राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने विधानसभा की वित्तीय स्वायत्तता पर सैद्धांतिक सहमति जताते हुए बृहस्पतिवार को कहा कि विधानसभा से इस बारे में कोई प्रस्ताव आने पर सरकार उस पर सकारात्मक दृष्टिकोण से विचार करेगी।
गहलोत यहां राजस्थान विधानसभा में पीठासीन अधिकारियों के अखिल भारतीय सम्मेलन के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे। उल्लेखनीय है कि विधानसभा अध्यक्ष डॉ सीपी जोशी ने पीठासीन अधिकारियों को वित्तीय स्वायत्तता का मुद्दा उठाया था।
इसका जिक्र करते हुए गहलोत ने कहा, ‘‘मैं भी सिद्धांत रूप से इस बात पर सहमति व्यक्त करता हूं। यही कहना चाहूंगा कि विधानसभा से जैसे ही प्रस्ताव आता है तो उस पर हम सकारात्मक दृष्टिकोण से विचार करेंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘विचार विमर्श होता है तो नए नए विचार आते हैं, उसके आधार पर फैसले भी होते हैं और उसका लाभ सबको मिलता है। डॉ सीपी जोशी ने आप सब की भावना का प्रतिनिधित्व बहुत प्रभावशाली ढंग से किया…मुझे बताया गया है कि लोकसभा में 1964 में ऐसा ही प्रस्ताव बनाकर भेजा गया और सरकार ने उसे मंजूर किया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मैं भी सैद्धांतिक रूप से इस बात पर सहमति व्यक्त करता हूं। यह कहना चाहूंगा कि विधानसभा से जैसे ही प्रस्ताव आता है तो उस पर हम सकारात्मक दृष्टिकोण से विचार करेंगे।’’
उल्लेखनीय है कि इस सम्मेलन में पारित नौ प्रस्तावों में एक इस विषय पर भी है। इसमें कहा गया है कि संघ और राज्य विधानमंडलों के कार्य प्रबंधन में वित्तीय स्वायत्तता प्राप्त करने के लिए अखिल भारतीय पीठासीन अधिकारियों की 83वीं बैठक में सत्यनिष्ठा से संकल्प लिया गया कि माननीय अध्यक्ष लोकसभा को संबंधित राज्य सरकारों से विस्तृत विचार-विमर्श के लिए अधिकृत किया जाता है।
सम्मेलन के बाद डॉ जोशी ने कहा कि सम्मेलन में मुख्य चर्चा यह थी कि पीठासीन अधिकारियों को वित्तीय स्वायत्तता मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा, ‘‘इस दिशा में शुरुआत करने के लिए…राजस्थान के मुख्यमंत्री ने विधानसभा को वित्तीय स्वायत्तता देने का जो निर्णय किया है, उसके लिए मैं राज्य सरकार का आभार व्यक्त करता हूं।