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श्वेत क्रांति 2.0: मोटरसाइकिल पर दूध बेचती नजर आई लड़की, क्यों चर्चा में है पशुपालन विभाग की झांकी?

भारत ने 26 जनवरी को अपना 76वां गणतंत्र दिवस मनाया जो 26 जनवरी 1950 को भारत के संविधान को अपनाने की याद दिलाता है। हालांकि भारत को 1947 में औपनिवेशिक शासन से आजादी मिली, लेकिन भारत का संविधान 26 जनवरी 1950 को ही लागू हुआ था। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आज कर्तव्य पथ से 76वें गणतंत्र दिवस का जश्न मनाते देश का नेतृत्व किया। इस वर्ष के समारोह भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विविधता, एकता, समानता, विकास और सैन्य कौशल का एक अनूठा मिश्रण नजर आया। इंडोनेशिया के राष्ट्रपति प्रबोवो सुबिआंतो मुख्य अतिथि थे। राष्ट्रीय महत्व के आयोजनों में ‘जनभागीदारी’ बढ़ाने के सरकार के उद्देश्य के अनुरूप, परेड देखने के लिए लगभग 10,000 विशेष मेहमानों को आमंत्रित किया गया था। 76वें गणतंत्र दिवस समारोह में पशुपालन विभाग की झांकी में भारत की स्वदेशी गायों पर प्रकाश डाला गया। इसने भारतीय संस्कृति और परंपरा में उनकी स्थायी विरासत का जश्न मनाते हुए, कृषि, आजीविका और पर्यावरण में उनके योगदान पर जोर देते हुए सतत ग्रामीण विकास में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को प्रदर्शित किया।

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इस दौरान कर्तव्य पथ पर आयोजित गणतंत्र दिवस के परेड में पशुपालन विभाग की  झांकी ने भी सबका ध्यान अपनी ओर खींचा। इस झांकी की सबसे खास झलक मोटरसाइकिल पर दूध बेचती लड़की रही, जो यह दर्शाती है कि खेती-किसानी और पशुपालन अब सिर्फ पुरुषों का काम नहीं रहा। झांकी में एक महिला किसान को भैंस की देखभाल करते हुए दिखाया गया। इस दौरान एक पशु चिकित्सक टीके की एक खुराक तैयार कर रहा था, जो विभाग के प्रमुख सार्वभौमिक खुरपका और मुंहपका रोग टीकाकरण कार्यक्रम को रेखांकित करने के लिए था। 

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दो महिलाओं को पारंपरिक ‘बिलोना’ विधि से घी निकालते दिखाया गया और साथ ही घी की एक बोतल दिखाई गई। झांकी के पिछले हिस्से में कामधेनु/सुरभि की एक मूर्ति प्रदर्शित की गई। कामधेनु को एक पवित्र गाय माना जाता है जो इच्छाओं को पूरा कर सकती है और समृद्धि का भी प्रतिनिधित्व करती है। साइकिल और बायो-सीएनजी मोटरसाइकिल पर झांकी के साथ आने वाले सवारों ने भारत के हर कोने से दूध को सहकारी संग्रह केंद्रों या उपभोक्ताओं तक पहुंचाने वाले पुरुषों और महिलाओं के परिश्रम को दर्शाया।

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