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युवाओं में खासतौर से लड़कियों में बढ़ती यौन इच्छाओं को लेकर कोलकाता हाई कोर्ट ने एक बड़ा फैसला दिया है। कोलकाता हाई कोर्ट ने युवा लड़कों को युवा लड़कियों और महिलाओं और उनकी गरिमा और शारीरिक स्वायत्ता का सम्मान करने की आदेश दिए हैं। कोलकाता हाई कोर्ट ने साफ तौर पर कहा है कि सिर्फ कुछ मिनट के आनंद के लिए अपनी यौन इच्छाओं पर काबू रखना चाहिए।
कोलकाता हाई कोर्ट ने यह सलाह दुष्कर्म के एक मामले में सुनवाई करते हुए दी है। हाई कोर्ट ने युवाओं को सुझाव दिया है कि वह अपनी योन इच्छाओं पर नियंत्रण रखें। युवाओं को अपने शरीर की गरिमा का भी ध्यान रखते हुए दूसरे लिंग के लोगों के प्रति सम्मान की भावना रखनी चाहिए।
बता दें कि हाईकोर्ट ने ये सलाह एक 20 वर्षीय युवक को उसके नाबालिग प्रेमिका के साथ शारीरिक संबंध बनाने की आरोप में दिया है। बता दें कि मामले में ट्रायल कोर्ट ने पोक्सो एक्ट के तहत 20 साल को जेल की सजा युवक को दी है। इस सजा के खिलाफ ही युवक ने हाईकोर्ट में अपील की थी।
याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट में नाबालिग लड़की ने कहा कि शारीरिक संबंध दोनों की सहमति से बने थे। लड़की ने यह भी कहा कि दोनों भविष्य में शादी करने के लिए भी तैयार थे। जानकारी के मुताबिक भारत में सहमति से शारीरिक संबंध बनाने की उम्र 18 वर्ष है, मगर इस मामले में लड़की नाबालिग थी इसलिए युवक को सजा दी गई। इस मामले में दोनों के बीच सहमति से शारीरिक संबंध बनाने के बाद भी पोक्सो एक्ट लगाया गया है जिसमें दोनों की सहमति भी मान्य नहीं मानी जाती है।
इस याचिका पर जस्टिस चितरंजन दास और जस्टिस पार्थ सारथी सेन की पीठ ने सुनवाई की साथ ही युवाओं को कुछ जरूरी सलाह भी दी है। हाईकोर्ट ने स्कूल में सेक्स एजुकेशन दिए जाने की अहमियत पर भी जोर दिया। पीठ ने कहा कि लड़कियों को अपनी यौन इच्छाओं को नियंत्रण में रखना चाहिए। हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि महज दो मिनट के आनंद के लिए इच्छाओं को बेकाबू नहीं होने देना चाहिए। लड़कियों को सलाह देते हुए है कोर्ट ने कहा कि सिर्फ 10 मिनट के सुख के लिए लड़कियां समाज की नजरों में खुद को गिरा लेती है।
साथ ही लड़कियों को सलाह देते हुए हाईकोर्ट ने यह भी कहा कि युवा लड़कियों की जिम्मेदारी है कि वह अपने शरीर की गरिमा को बनाए रखें। ऐसे ही सलाह उन्होंने युवा लड़कों को भी नहीं है और कहा कि लड़कियों की इज्जत करनी चाहिए। हाई कोर्ट ने कहा कि युवा लड़कों को इस तरह से शिक्षित करना चाहिए कि वह लड़कियों की इज्जत करे। बता दें कि इस मामले में हाईकोर्ट ने याचिकाकर्ता को बरी कर दिया है।