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के पोनमुडी को मंत्री नियुक्त करने से राज्यपाल का इनकार, सुप्रीम कोर्ट पहुंची तमिलनाडु सरकार

सुप्रीम कोर्ट को वरिष्ठ द्रमुक नेता के पोनमुडी को राज्य मंत्रिमंडल में मंत्री नियुक्त करने से राज्यपाल आरएन रवि के इनकार के खिलाफ तमिलनाडु सरकार की याचिका पर विचार करने के लिए सहमत हो गया। राज्यपाल ने हाल ही में वरिष्ठ द्रमुक नेता और पूर्व उच्च शिक्षा मंत्री को राज्य मंत्रिमंडल में फिर से शामिल करने से यह कहते हुए इनकार कर दिया कि यह संवैधानिक नैतिकता के खिलाफ होगा। मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने राज्य सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील अभिषेक सिंघवी की दलीलों पर ध्यान दिया, मामले में कुछ तात्कालिकता थी जिसे सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया जाना चाहिए।

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राज्य सरकार ने राज्यपाल को मुख्यमंत्री एम के स्टालिन के नेतृत्व वाली मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह के अनुसार कार्य करने का निर्देश देने की मांग की है। सिंघवी ने कहा कि यह वही दोषी राज्यपाल है, जिस पर पहले इस अदालत ने कार्रवाई की थी। उच्चतम न्यायालय ने (पोनमुडी की) दोषसिद्धि पर रोक लगा दी। मुख्यमंत्री उनकी नियुक्ति की अनुशंसा करते हैं। राज्यपाल एक पत्र लिखते हैं और कहते हैं कि यह संवैधानिक रूप से अनैतिक है।

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सीजेआई ने कहा कि कृपया एक ईमेल भेजें। मैं ईमेल पर गौर करूंगा। राज्यपाल ने स्टालिन को लिखे पत्र में कहा कि शीर्ष अदालत ने केवल अंतरिम आदेश के जरिए पोनमुडी की सजा को निलंबित किया है। गवर्नर ने स्टालिन कैबिनेट में नेता नियुक्त करने से इनकार कर दिया। राज्य सरकार ने विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों पर सहमति न देने से संबंधित एक याचिका में अंतरिम याचिका दायर की है। इसमें यह कहने के लिए एक संवैधानिक योजना का उल्लेख किया गया है कि राज्यपाल मंत्रिपरिषद की सहायता और सलाह से बंधा हुआ है। 

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