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अस्तित्व के लिए आदिवासियों में वृहद एकता की जरूरत : Hemant Soren

रांची। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने बुधवार को देशभर के आदिवासियों से अपने अस्तित्व की लड़ाई में एकजुट होने का आह्वान किया। उन्होंने दावा किया कि विनाशकारी शक्तियां और धार्मिक चरमपंथी उनका दमन कर उनके संसाधनों पर कब्जा करना चाहते हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी समुदाय असंगठित और विभाजित है तथा यही वजह है कि उनके मुद्दे, चाहे वह मणिपुर हो या झारखंड, को सुना नहीं जाता।

सोरेन ने यहां आयोजित झारखंड आदिवासी महोत्सव को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘उनके बीच (आदिवासियों के) उन ताकतों से लड़ने को लेकर चर्चा होनी चाहिए जो (आदिवासियों के) सभी संसाधानों, पहचान और संस्कृति पर कब्जा करना चाहते हैं।’’
उन्होंने कहा कि मणिपुर, झारखंड, छत्तीसगढ़, गुजरात राजस्थान और तमिलनाडु सहित देश के विभिन्न हिस्सों में आदिवासी अपनी पहचान के लिए संघर्ष कर रहे हैं जबकि विनाशकारी ताकतें उनका दमन करने को तत्पर हैं।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर परोक्ष रूप से हमला करते हुए सोरेन ने कहा कि जिनकी कोई जाति नहीं है उन्हें विनाशकारी ताकतें ‘जनजाति’ और ‘वनवासी’ के तौर पर प्रचारित कर रही हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘उद्योगों, परियोजनाओं, बांध और खदानों की वजह से विस्थापित होने वालों में करीब 80 प्रतिशत आदिवासी हैं लेकिन ‘क्रूर तंत्र’ ने उनके लिए ठिकाना खोजने की कोशिश नहीं की।’’
सोरेन ने आरोप लगाया कि बड़ी कोयला कंपनियों को आदिवासियों की लाखों एकड़ जमीन बिना पुनर्वास योजना के ही सौंपी जा रही है।

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