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गुजरात सरकार ने स्थानीय निकायों में ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा की

गुजरात में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत सरकार ने मंगलवार को एक आयोग की रिपोर्ट के आधार पर पंचायतों, नगर पालिकाओं और नगम निगमों जैसे निकायों में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण की घोषणा की, जिससे इन निकायों के चुनाव का रास्ता साफ हो गया।
हालांकि, पंचायत (अनुसूचित क्षेत्रों तक विस्तार) (पेसा) अधिनियम के तहत अधिसूचित क्षेत्रों में-जिनमें से अधिकांश अच्छी खासी आदिवासी आबादी वाले हैं – स्थानीय निकायों में ओबीसी के लिए आरक्षण 10 प्रतिशत जारी रहेगा। गुजरात सरकार ने कहा कि इसके अलावा, अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति के लिए मौजूदा कोटा अपरिवर्तित रहेगा और 50 प्रतिशत आरक्षण की सीमा का कोई उल्लंघन नहीं हुआ है।

इससे पहले, गुजरात में स्थानीय निकायों में ओबीसी आरक्षण 10 प्रतिशत था। न्यायमूर्ति झावेरी आयोग की रिपोर्ट पर आधारित यह घोषणा लोकसभा चुनाव से पहले की गई है और इससे स्थानीय निकाय चुनाव कराने का मार्ग प्रशस्त होगा, जो लंबित कोटा मुद्दे के कारण स्थगित कर दिए गए थे, क्योंकि उच्चतम न्यायालय ने आदेश दिया था कि ओबीसी के लिये आरक्षण उनकी आबादी के आधार पर होना चाहिये।
गुजरात के मंत्री और राज्य सरकार के प्रवक्ता ऋषिकेश पटेल ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘झावेरी आयोग की रिपोर्ट के आधार पर एक कैबिनेट उप-समिति ने स्थानीय निकायों में ओबीसी के लिए 27 प्रतिशत आरक्षण की सिफारिश की और सिफारिश को राज्य मंत्रिमंडल ने मंगलवार को स्वीकार कर लिया।’’

उन्होंने कहा, ‘‘इससे पहले, गुजरात में स्थानीय निकायों में ओबीसी आरक्षण 10 प्रतिशत था।उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर स्थानीय निकायों में ओबीसी के लिए सीट आरक्षण को फिर से परिभाषित करने के लिए एक आयोग का गठन किया गया था। झावेरी आयोग की रिपोर्ट हमें अप्रैल में मिली। उसके बाद मंत्रिमंडल की एक उप-समिति ने उसपर विचार-विमर्श किया।’’
पटेल ने कहा कि घोषणा के बाद, चुनाव होने पर पंचायतों (ग्राम, तालुका और जिला), नगरपालिकाओं और नगर निगमों में सीट 27 प्रतिशत अनुपात में ओबीसी उम्मीदवारों के लिए आरक्षित रखी जाएंगी।

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