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गुजरात उच्च न्यायालय ने धेमाजी विस्फोट कांड के सभी छह आरोपियों को बरी किया

गुवाहाटी उच्च न्यायालय ने 2004 के धेमाजी बम विस्फोट मामले में बृहस्पतिवार को सभी छह आरोपियों को बरी कर दिया।
स्वतंत्रता दिवस के दिन हुए इस धमाके में 13 स्कूली बच्चों सहित 18 लोग मारे गए थे।
न्यायमूर्ति माइकल जोथनखुमा और न्यायमूर्ति मृदुल कुमार की खंडपीठ ने पर्याप्त साक्ष्यों के अभाव में धेमाजी जिला एवं सत्र अदालत के 2019 के उस आदेश को पलट दिया, जिसमें चार आरोपियों को आजीवन कारावास और दो अन्य को चार साल की सजा सुनाई गई थी।
फैसला सुनाते हुए अदालत ने कहा कि परिस्थितिजन्य साक्ष्य यह निष्कर्ष निकालने के लिए अपर्याप्त हैं कि अपीलकर्ता अपराध के दोषी हैं।
इसमें कहा गया है कि सीआरपीसी की धारा 164 के तहत दर्ज किए गए बयानों के अलावा कोई सबूत नहीं हैं। अदालत ने अपने फैसले में कहा, ‘‘इसके अलावा, साक्ष्य दर्ज करने वाले न्यायिक अधिकारी ने यह मानने का कारण नहीं बताया कि यह कानून के प्रावधानों के अनुसार स्वेच्छा से दिया गया था।’’


अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष मामले में आरोपियों की संलिप्तता सिद्ध करने में विफल रहा है।
फैसले में कहा गया कि दोषसिद्धि को बरकरार रखने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं मिलने पर सभी आरोपियों को बरी किया जाता है।
उच्च न्यायालय ने 24 जुलाई को छह आरोपियों द्वारा दायर अपील पर सुनवाई पूरी करने के बाद यह फैसला सुनाया।
जिला अदालत ने दीपांजलि बुरागोहेन, मुही हांडिक, जतिन दुबोरी और लीला गोगोई को आजीवन कारावास की सजा, जबकि प्रशांत भुइयां और हेमेन गोगोई को चार साल जेल की सजा सुनाई थी।
यह विस्फोट स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान धेमाजी कॉलेज के मैदान में हुआ था। इस घटना में करीब 45 लोग घायल हुए थे। 
समारोहों के बहिष्कार का आह्वान करने वाले प्रतिबंधित संगठन उल्फा ने विस्फोट की जिम्मेदारी ली थी।
याचिकाकर्ताओं के वकील अभिजीत खानिकर ने कहा कि दोनों आरोपियों को जिला अदालत ने चार साल जेल की सजा सुनाई थी क्योंकि उनके घरों से कथित आपत्तिजनक वस्तुएं बरामद हुई थीं।

खानिकर ने कहा, ‘‘जब्त की गई आपत्तिजनक सामग्री में हेमेन के घर से मिला एक ‘गमोसा’ (तौलिया) और एक टूथपेस्ट शामिल था। यह साबित नहीं हो सका कि उसका संगठन से कोई संबंध था।’’
विस्फोट के बाद मामले में 14 लोगों को आरोपी बनाया गया था। जिला अदालत ने छह को दोषी ठहराया था और सात को बरी कर दिया था, जबकि एक फरार था।
विस्फोट में जान गंवाने वाले 14 वर्षीय गिरिन सैकिया की मां तरुलता सैकिया ने निराश होकर कहा कि उल्फा ने स्वीकार किया है कि विस्फोट के पीछे उसका हाथ था, लेकिन पुलिस द्वारा आरोपपत्र दाखिल करने में देरी से ‘‘हमें न्याय नहीं मिल सका।’’
उन्होंने घटना की सीबीआई जांच की मांग की।
विस्फोट में जान गंवाने वाले 10 वर्षीय प्रदीप्त गोगोई के पिता नित्य गोगोई ने कहा कि वे उच्च न्यायालय का सम्मान करते हैं, लेकिन आदेश के बाद बेहद दुखी हैं।

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