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अहमदाबाद । गुजरात उच्च न्यायालय ने जनवरी में रेलगाड़ियों की चपेट में आने से तीन शेरों की मौत की उपयुक्त जांच नहीं करने के लिए मंगलवार को भारतीय रेलवे और राज्य वन विभाग को फटकार लगाई तथा कहा कि वह उनके कामकाज की उच्च स्तरीय जांच शुरू करेगी। मुख्य न्यायाधीश सुनीता अग्रवाल और न्यायमूर्ति अनिरुद्ध मायी की खंडपीठएशियाई शेरों की असामयिक मौत और हाल ही में रेलगाड़ियों की चपेट में आने से तीन शेरों की मौत पर स्वत: संज्ञान लेते हुए जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही है। एशियाई शेर गुजरात में ही पाए जाते हैं।
अदालत ने अपने पहले के आदेश में, मुख्य वन संरक्षक, वन्यजीव प्रभाग, जूनागढ़ और मंडल रेलवे प्रबंधक, भावनगर मंडल (पश्चिम रेलवे) को घटना में की गई जांच को रेखांकित करते हुए हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था। दाखिल किये गए जवाब से असंतुष्ट पीठ ने सवाल किया कि क्या जांच शुरू की गई थी और जांच करने का आदेश किसने पारित किया था। रेलवे का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील इसका संतोषजनक उत्तर नहीं दे सके।
पीठ ने कहा, हम वन विभाग और रेलवे के कामकाज की उच्च-स्तरीय जांच शुरू कर रहे हैं। हमें यह नहीं बताएं कि आप सतर्क थे और 26 मार्च, 2024 (जब अदालत ने मामले का स्वत: संज्ञान लिया था) से पहले कुछ किया था। आपने और वन विभाग ने जो कुछ भी किया, वह सब अधूरा है। मुख्य न्यायाधीश अग्रवाल ने कहा, ‘‘हम रेल मंत्रालय के सचिव और वन एवं पर्यावरण विभाग, गुजरात के सचिव को निर्देश जारी कर रहे हैं कि वे दुर्घटनाओं के कारणों की जांच करने के लिए उच्च स्तरीय समिति का गठन करें और अधिकारियों की जिम्मेदारी तय करें।