Breaking News
-
ब्रिटेन में लेबर पार्टी 14 सालों के बाद फिर से सत्ता पर काबिज हो गई…
-
भारतीय टीम रोहित शर्मा की अगुवाई में टी20 वर्ल्ड कप खिताब जीतने के बाद गुरुवार…
-
आज के दौर में लोग फिटनेस को लेकर काफी सजग हो रहे हैं। शरीर को…
-
रोहित शर्मा की कप्तान में टी20 वर्ल्ड कप 2024 की जीत के बाद भारतीय टीम…
-
बारबाडोस में भारत बनाम दक्षिण अफ्रीका टी20 विश्व कप फाइनल में बाउंड्री के पास सूर्यकुमार…
-
बॉलीवुड डायरेक्टर आदित्य चोपड़ा ने अपने स्पाई यूनिवर्स की नयी फिल्म की आधिकारिक तौर पर…
-
मुंबई। शिव सेना (यूबीटी) नेता आदित्य ठाकरे ने शुक्रवार को कहा कि मुंबई में टी20…
-
लेबर पार्टी के नेता कीर स्टार्मर महाराजा चार्ल्स तृतीय से मुलाकात के बाद आधिकारिक तौर…
-
ऋषि सुनक ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री के रूप में अपना आखिरी भाषण 10, डाउनिंग स्ट्रीट…
-
आजकल के खराब लाइफस्टाइल और गलत खानपान के कारण महिलाओं में पीसीओडी, एंडोमेट्रेसिस और इनफर्टिलिटी…
कॉलेजियम के कामकाज को लेकर सरकार और न्यायपालिका के बीच गतिरोध पर किरेन रिजिजू की हालिया टिप्पणी पर अपनी अस्वीकृति व्यक्त करते हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे ने कहा कि केंद्रीय कानून मंत्री ने ‘लक्ष्मण रेखा’ पार कर ली है। बार एंड बेंच से बात करते हुए वरिष्ठ वकील साल्वे ने कहा कि मेरी राय में कानून मंत्री ने जो कहा, वो लक्ष्मण रेखा पार करने सरीखा था। अगर वह सोचते हैं कि सुप्रीम कोर्ट को खुले तौर पर असंवैधानिक कानून को देखते हुए अपनी आंखे मूंद लेनी चाहिए और उस कानून में संशोधन करने के लिए सरकार की दया पर निर्भर रहना चाहिए, तो खेद के साथ कहूंगा कि ये गलत है।
इसके अलावा, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम पर उनकी राय के बारे में पूछे जाने पर, साल्वे ने कहा कि वह व्यवस्था के आलोचक बने हुए हैं। कानून मंत्री रिजिजू ने सुप्रीम कोर्ट के इस अवलोकन की आलोचना की थी कि सरकार कॉलेजियम द्वारा स्वीकृत न्यायाधीशों की नियुक्ति से संबंधित फाइलों को अटका कर बैठी है। उन्होंने कहा कि “कभी मत कहना कि सरकार फाइलों पर बैठी है, फिर फाइलें सरकार को नहीं भेजी जाए, आप खुद की नियुक्त करो, खुद शो चलाओ। उन्होंने कॉलेजियम प्रणाली को संविधान के लिए “विदेशी” बताते हुए कहा था, “आप मुझे बताएं कि कॉलेजियम प्रणाली किस प्रावधान के तहत निर्धारित की गई है।
सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस एसके कौल ने रिजिजू की आलोचना पर नाराजगी जताते हुए कहा था कि ऐसा नहीं होना चाहिए था। केंद्रीय कानून मंत्री का नाम लिए बगैर न्यायमूर्ति कौल ने कहा, ‘उन्हें शक्ति देने दीजिए। हमें कोई कठिनाई नहीं है… मैंने सभी प्रेस रिपोर्टों को नज़रअंदाज़ कर दिया, लेकिन वह क्या कहते हैं, कि जब कोई उच्च स्तर का व्यक्ति कहता है कि उसे स्वयं करने दो, हम इसे स्वयं करेंगे, कोई कठिनाई नहीं है… यह किसी उच्च व्यक्ति से आया है। मैं बस इतना कह सकता हूं कि ऐसा नहीं होना चाहिए था।”