राज्यसभा के उप सभापति हरिवंश ने सरकारी कर्मचारियों के लिए पुरानी पेंशन योजना बहाल किए जाने की स्थिति में देश की आर्थिक बदहाली के खतरे की ओर सोमवार को आगाह किया।
उन्होंने कहा कि ‘‘सत्ता पाने के लिए’’ पुरानी पेंशन योजना पर लौटने की बात हो रही है, लेकिन समाज को बहस करनी चाहिए कि क्या ऐसे कदमों से भविष्य में देश में श्रीलंका और पाकिस्तान सरीखा भीषण आर्थिक संकट पैदा नहीं हो जाएगा?
हरिवंश, इंदौर की सामाजिक संस्था ‘‘अभ्यास मंडल’’ की ग्रीष्मकालीन व्याख्यानमाला के तहत ‘‘नये दौर की चुनौतियां’’ विषय पर संबोधित कर रहे थे।
गौरतलब है कि अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार ने पुरानी पेंशन योजना एक अप्रैल 2004 से बंद कर दी थी और इसके स्थान पर नयी राष्ट्रीय पेंशन योजना शुरू की थी।
हरिवंश ने कहा, ‘‘अब सत्ता पाने के लिए वापस पुरानी पेंशन योजना पर जाने की बात हो रही है क्योंकि सरकारी कर्मचारी संगठित हैं और इस कारण यह एक बड़ा वोट बैंक है।’’
उन्होंने मीडिया की खबरों में जताए गए अनुमान का हवाला देते हुए कहा कि जिन पांच राज्यों ने पुरानी पेंशन योजना बहाल की है, उनके सरकारी खजाने पर कुल मिलाकर तीन लाख करोड़ रुपये का बोझ बढ़ गया है।
हरिवंश ने पुरानी पेंशन योजना बहाल करने वाले राज्यों में शामिल राजस्थान का उदाहरण देते हुए कहा कि इस कदम से राजस्थान के कुल कर राजस्व का 56 प्रतिशत हिस्सा केवल छह फीसद सरकारी कर्मचारियों पर खर्च होगा।
उन्होंने देश में पुरानी पेंशन योजना बहाल किए जाने पर सरकारी खजाने पर बोझ बढ़ने के आशंकित दुष्परिणामों पर जोर देते हुए कहा, ‘‘…तो क्या हम भविष्य में अपने देश में श्रीलंका और पाकिस्तान जैसी स्थितियां पैदा करना चाहते हैं? इस विषय पर समाज को बहस करनी चाहिए।’’
राज्यसभा के उप सभापति ने घंटे भर के अपने संबोधन के दौरान इस आवश्यकता पर भी बल दिया कि मौजूदा वक्त में समाज को नैतिक मूल्य अपनाने चाहिए।