नयी दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायालय ने आतंकवाद के वित्त-पोषण के एक मामले में अलगाववादी नेता यासीन मलिक को मौत की सजा देने के अनुरोध को लेकर राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) की याचिका के सिलसिले में जेल से वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये पेशी की अर्जी पर विचार के लिए बृहस्पतिवार को सात अगस्त की तारीख निर्धारित की।
जेल अधीक्षक की अर्जी पर सुनवाई इसलिए स्थगित कर दी गई, क्योंकि न्यायमूर्ति सिद्धार्थ मृदुल और न्यायमूर्ति अनीश दयाल की पीठ आज नहीं बैठ सकी।
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अदालत ने तिहाड़ जेल में आजीवन कारावास की सजा काट रहे मलिक को नौ अगस्त को पेश करने के लिए 29 मई को उस वक्त वारंट जारी किया था, जब एनआईए की सजा बढ़ाने की याचिका सुनवाई के लिए सूचीबद्ध थी।
आदेश में संशोधन का अनुरोध करते हुए जांच एजेंसी ने याचिका में कहा है कि मलिक एक ‘‘बेहद उच्च जोखिम वाला कैदी’’ है और सार्वजनिक व्यवस्था तथा सुरक्षा बनाए रखने के लिए जरूरी है कि उसे अदालत में व्यक्तिगत रूप से पेश न किया जाए।
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अर्जी में यह भी कहा गया है कि गृह मंत्रालय द्वारा पारित आदेश के अनुसार मलिक को ‘‘तिहाड़ जेल से नहीं हटाया जा सकता’’ और उसे राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से बाहर नहीं ले जाया जाएगा।
अर्जी के अनुसार, ‘‘यासीन मलिक को बहुत अधिक जोखिम वाले कैदियों की श्रेणी के तहत तिहाड़ जेल में रखा गया है। इसलिए जरूरी है कि सार्वजनिक व्यवस्था और सुरक्षा बनाए रखने के लिए प्रतिवादी को माननीय अदालत के समक्ष शारीरिक रूप से पेश न किया जाए।