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उच्च न्यायालय ने क्रिकेट मैचों के लिए पुलिस सुरक्षा शुल्क कम करने के औचित्य पर सवाल उठाया

बॉम्बे उच्च न्यायालय ने मंगलवार को महाराष्ट्र में क्रिकेट मुकाबलों के दौरान लगाये जाने वाले पुलिस सुरक्षा शुल्क को कम करने और माफ करने के औचित्य पर सवाल उठाते हुए कहा कि कुछ तो गड़बड़ है।

महाराष्ट्र सरकार ने कहा था कि ऐसा करने का फैसला ऐसे मैच आयोजित करने से राज्य के खजाने को होने वाले वित्तीय लाभ को ध्यान में रखते हुए लिया गया था। साथ ही यह भी दावा किया था कि अगर तुलना की जाये तो अन्य राज्यों में ली जाने वाली सुरक्षा फीस बहुत कम है।

आरटीआई कार्यकर्ता अनिल गलगली ने एक जनहित याचिका (पीआईएल) दायर की थी जिसमें वर्ष 2011 से पूर्वव्यापी प्रभाव से राज्य में आयोजित क्रिकेट मुकाबलों को प्रदान की जाने वाली पुलिस सुरक्षा के लिए दर को कम करने के राज्य के फैसले को चुनौती दी गई थी।

मुख्य न्यायाधीश डी के उपाध्याय और न्यायमूर्ति अमित बोरकर की खंडपीठ ने मंगलवार को हैरानी व्यक्त की कि राज्य सरकार मुंबई में आयोजित होने वाले मैच की तुलना कानपुर या लखनऊ जैसे शहर में आयोजित होने वाले मैच से कैसे कर सकती है।

उपाध्याय ने सवाल किया, ‘‘क्या मुंबई में एक मैच कराने के लिए हुआ सुरक्षा का खर्चा लखनऊ में कराये गये मैच जितना ही है? क्या यह तर्कसंगत है। कुछ तो गड़बड़ है। ’’
राज्य का प्रतिनिधित्व कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता मिलिंद साठे ने पीठ को सूचित किया कि क्रिकेट संघों द्वारा अन्य राज्यों में कम दर को लेकर मांग और विरोधहो चुका है।

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