दिल्ली उच्च न्यायालय ने दिल्ली उच्चतर न्यायिक सेवाएं मुख्य (लिखित) परीक्षा के दो विषयों में अतिरिक्त अंक देते हुए उसके प्रशासनिक निकाय द्वारा जारी किये गये नोटिस को बुधवार को दरकिनार कर दिया और उम्मीदवारों की चयन सूची फिर से तैयार करने का आदेश दिया।
न्यायमूर्ति विभु बाखरू और न्यायमूर्ति अमित महाजन की पीठ ने कहा कि दिल्ली उच्चतर न्यायिक सेवाएं (डीएचजएस) नियमावली स्पष्ट रूप से उत्तीर्णता अंक का निर्धारण करती है तथा दिल्ली उच्च न्यायालय (डीएचसी) (प्रशासनिक पक्ष) के पास अपने सांविधिक या प्रशासनिक अधिकारों का इस्तेमाल करते हुए उसमें बदलाव करने का कोई विवेकाधिकार नहीं है।
पीठ ने 51 पन्नों के अपने फैसले में कहा, ‘‘ डीएचसी उत्तीर्ण परीक्षार्थियों की सूची में केवल उन उम्मीदवारों को शामिल करने के लिए बाध्य है जिन्होंने हर विषय में न्यूनतम 45 प्रतिशत अंक हासिल किये हैं।
नि:संदेह डीएचसी के पास निष्पक्ष मूल्यांकन तथा यह निर्धारित करने की प्रक्रिया विकसित करने के परीक्षक प्राधिकार के रूप में विवेकाधिकार है कि उम्मीदवार ने उत्तीर्णता अंक हासिल कर लिये हैं या नहीं।’’
पीठ ने कहा, ‘‘ हमारे उपरोक्त निष्कर्ष के आलोक में डीएचजेएस मुख्य (लिखित) परीक्षा के विधि।।। प्रश्नपत्र और सामान्य ज्ञान एवं के प्रश्नपत्र में अतिरिक्त अंक देना सही नहीं है। इसलिए 13 अक्टूबर, 2022को जारी किये गये नोटिस कोखारिज किया जाता है। तत्पश्चात, डीएचसी को उम्मीदवारों की चयन सूची फिर तैयार करने और बाद के कदम उठाने का निर्देश दिया जाता है।’’
यह फैसला उस याचिका पर आया है जिसमें 13 अक्टूबर, 2022 के नोटिस को चुनौती दी गयी है।
उच्च न्यायालय ने डीएचजेएस मुख्य (लिखित) परीक्षा 2022 में भाग लेने वाले सभी अभ्यर्थियों को विधि-।।। प्रश्नपत्र में अतिरिक्त एक अंकऔर सामान्य ज्ञान एवं के प्रश्नपत्र में अतिरिक्त आधा अंक दिया था।
विधि-।।। में अतिरिक्त अंक मिलने से तीन अभ्यर्थी परीक्षा उत्तीर्ण कर गये थे और उन्हें मौखिक परीक्षा के लिए बुलाया गया था। उनमें से एक को डीएचजेएसके लिए चुन भी लिया गया था।
याचिकाकर्ता ने दावा किया था कि उम्मीदवारों को अतिरिक्त अंक देना उच्च न्यायालय के लिए ठीक नहीं है क्योंकि यह प्रासंगिक नियमों के खिलाफ है तथा चयन प्रक्रिया की शुचिता पर भी असर डालता है।