दिल्ली उच्च न्यायालय ने सोमवार को एक जनहित याचिका पर दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) से जवाब मांगा, जिसमें दावा किया गया है कि निगम के प्राथमिक विद्यालय में पढ़ने वाले अफगानिस्तान के कुछ शरणार्थी छात्रों के बैंक खाते नहीं होने के चलते वे वैधानिक मौद्रिक लाभ से वंचित हैं।
मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा और न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने याचिका पर एमसीडी, यहां जंगपुरा एक्सटेंशन स्थित एमसीडी के प्राथमिक स्कूल और जंगपुरा स्थित इंडियन ओवरसीज बैंक को नोटिस जारी किया।
अदालत ने अधिकारियों से याचिका पर अपना जवाब दाखिल करने को कहा और मामले की अगली सुनवाई छह अक्टूबर के लिए सूचीबद्ध की।
एनजीओ ‘सोशल ज्यूरिस्ट’ द्वारा दायर याचिका में कहा गया है कि अफगानिस्तान के शरणार्थी छात्रों को वैधानिक मौद्रिक लाभ से वंचित करना ‘‘मनमाना, अन्यायपूर्ण, भेदभावपूर्ण, अनैतिक, बाल विरोधी’’ और शिक्षा के मौलिक अधिकार का उल्लंघन है, जिसकी भारत के संविधान ने गारंटी दी है।
अधिवक्ता अशोक अग्रवाल और कुमार उत्कर्ष के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि नियमों के अनुसार, दिल्ली सरकार और एमसीडी द्वारा संचालित स्कूलों के सभी छात्र मुफ्त पाठ्यपुस्तकें, लेखन सामग्री और वर्दी के हकदार हैं।
इसमें कहा गया है कि पाठ्यपुस्तकें, लेखन सामग्री और वर्दी उपलब्ध कराने के एवज में प्रशासन द्वारा छात्रों के खाते में धन हस्तांतरित किया जाता है।याचिका में कहा गया है कि जंगपुरा एक्सटेंशन के एमसीडी स्कूल में पढ़ रहे 73 अफगान छात्रों समेत विद्यालय के सभी छात्र अपने बैंक खातों के माध्यम से वैधानिक मौद्रिक लाभ प्राप्त कर रहे हैं, जबकि 46 अफगानी छात्र इससे वंचित हैं क्योंकि उनके पास बैंक खाता नहीं है।