हिमाचल प्रदेश पुलिस अपने जवानों को तिब्बती और चीनी में प्रशिक्षण दे रही है ताकि चीन से लगे सीमावर्ती इलाकों में खुफिया तंत्र को मजबूत किया जा सके। एक पुलिस अधिकारी ने सोमवार को यह जानकारी दी।
उन्होंने कहा कि इन भाषाओं के ज्ञान से पुलिस बल को सीमा क्षेत्र में होने वाली घटनाओं को गहराई से समझने में मदद मिलेगी।
हिमाचल प्रदेश में करीब 21,000 तिब्बती रह रहे हैं।
हिमाचल प्रदेश के कम से कम 48 गांव वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पास स्थित हैं, जिनमें से 36 किन्नौर में आते हैं, जो चीन के साथ 160 किलोमीटर की सीमा साझा करता है, जबकि शेष 12 गांव लाहौल-स्पीति में हैं, जो 80 किलोमीटर की सीमा साझा करता है।
अधिकारियों ने कहा कि वर्ष 2020 की तुलना में आज सीमा अधिक सुरक्षित है क्योंकि सड़क के बुनियादी ढांचे, वायु रक्षा क्षमता और केंद्रीय खुफिया तंत्र (भारत-तिब्बत सीमा पुलिस, सेना) में सुधार हुआ है और संचार नेटवर्क को मजबूत किया जा रहा है।
वर्ष 2020 में, चीनी सेना के हेलीकॉप्टर द्वारा 11 और 20 अप्रैल को कौरिक सेक्टर में हवाई-क्षेत्र के सीमा उल्लंघन की जानकारी सामने आई थी और इसके बाद उसी वर्ष 15 जून को गलवान की घटना हुई थी।
राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) संजय कुंडू ने कहा कि पुलिस अधीक्षक, उपाधीक्षक और एसएचओ सहित युवा और ऊर्जावान पुलिस अधिकारियों को सीमावर्ती क्षेत्रों में तैनात किया जा रहा है।
अधिकारियों ने कहा कि हिमाचल प्रदेश पुलिस ने किन्नौर के चितकुल, नमग्या और चांगो के अलावा लाहौल-स्पीति जिले के सुमदो में सीमावर्ती क्षेत्रों में तीन खुफिया-रोधी इकाइयां और चार नई पुलिस चौकियां स्थापित करने का प्रस्ताव भी भेजा था।