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Jharkhand: हिमंता का बड़ा आरोप, आदिवासियों की जमीन पर कब्जा कर रहे बांग्लादेशी घुसपैठिए, सोरेन पर भी साधा निशाना

असम के मुख्यमंत्री हिमंत बिस्वा सरमा ने बांग्लादेश से रोहिंग्या घुसपैठ को रोकने के लिए झारखंड और बंगाल सरकारों को कमजोर बिंदु बताया। उन्होंने कहा, दोनों राज्यों ने घुसपैठ के खिलाफ नरम रुख अपनाया है, जो जनसांख्यिकी के लिए खतरा पैदा कर रहा है। इसके साथ ही उन्होंने आज कहा कि आज मैंने पाकुड़ के गैबथान गांव का दौरा किया। एसपीटी कानून है, इसलिए आदिवासियों की जमीन हस्तांतरित नहीं की जा सकती। उन्होंने कहा कि दो बांग्लादेशी घुसपैठियों ने उनकी जमीन हड़प ली, कोर्ट ने आदेश दिया कि उन दोनों को हटाया जाये और आदिवासी परिवार को उनकी जमीन वापस दी जाये, लेकिन प्रशासन ने कुछ नहीं किया। 
 

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बीजेपी झारखंड के सह प्रभारी हिमंत बिस्वा सरमा ने आगे कहा कि जब आदिवासी परिवार ने अपनी जमीन पर घर बनाने की कोशिश की, तो बांग्लादेशी घुसपैठियों ने उन पर हमला कर दिया। आज भी उन्हें उनकी जमीन वापस नहीं मिली है। झारखंड के एक आदिवासी सीएम को उनकी मदद करनी चाहिए। घुसपैठ कोई मुद्दा नहीं, पाकुड़, साहिबगंज जैसी जगहों की हकीकत है। उन्होंने बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की उस टिप्पणी का भी उल्लेख किया कि बंगाल “अपने दरवाजे खुले रखेगा” – जो बांग्लादेश में चल रहे छात्रों के विरोध के संदर्भ में कहा गया था। उन्होंने कहा, “केंद्र सरकार को रोहिंग्या का मुद्दा पश्चिम बंगाल सरकार के सामने उठाना चाहिए।”
गुवाहाटी में एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए सरमा ने कहा, “रोहिंग्या भारत-बांग्लादेश सीमा की स्थिति का उपयोग कर रहे हैं क्योंकि बड़े क्षेत्र छिद्रपूर्ण हैं। असम में, हम अभी भी सुरक्षा कर रहे हैं, लेकिन असम केवल सीमा का एक हिस्सा है।” मुख्यमंत्री ने अवैध आप्रवासियों पर कार्रवाई के कुछ उदाहरणों का हवाला दिया – एक त्रिपुरा में जहां बड़ी संख्या में रोहिंग्या को गिरफ्तार किया गया है, और एक असम में, जहां पुलिस ने पिछले साल एक नेटवर्क का भंडाफोड़ किया था।
 

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उन्होंने दावा किया कि असम अब अवैध अप्रवासियों के लिए सुरक्षित ठिकाना नहीं है क्योंकि भाजपा के सत्ता में आने के बाद हमने स्थिति को नियंत्रित कर लिया है। लेकिन बंगाल और झारखंड इस गंभीर मुद्दे पर चुप हैं… (लेकिन अन्य जगहों पर) तुष्टीकरण की राजनीति के कारण हम इस पर नियंत्रण नहीं कर पा रहे हैं। उन्होंने तर्क दिया, बेरोकटोक घुसपैठ के साथ, जनसांख्यिकी पहले से ही बदल रही है। उन्होंने कहा, यह जनगणना के दौरान स्पष्ट हो जाएगा और चौंकाने वाली खबर के रूप में सामने आएगा।

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