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लोकसभा चुनाव में हावी रहा हिंदुत्व का वोट बैंक, BJP को रणनीति में बदलाव करना जरूरी – राजनीतिक विश्लेषक, Harshvardhan Tripathi

देश में चुनावी मौसम है और ऐसे में जब भी चुनाव आता है तो हिंदुत्व को लेकर चर्चा जबरदस्त तरीके से होने लगती है। बड़ा सवाल एक ही है कि क्या इस देश में हिंदुओं को बांटने की कोशिश हो रही है? अगर ऐसा है तो बांटने की कोशिश कौन कर रहा है? क्या हिंदू एकजुट नहीं है? आखिर अगर ऐसा है तो इसमें दरार कैसे आई है? क्या विपक्ष जातिगत जनगणना को भुनाने की कोशिश में लगा है? ताकि भाजपा के हिंदुत्व के कार्ड को कमजोर किया जा सके। इसी को लेकर हमने बातचीत की जाने-माने राजनीतिक विश्लेषक हर्षवर्धन त्रिपाठी जी से।
प्रश्न – देश में आखिर हिंदुओं को तोड़ने की साजिश कौन रच रहा है और इससे सत्ता पक्ष को फायदा है या विपक्ष को ?
जवाब – देश में जातिगत जनगणना कोई भी मुद्दा नहीं है, क्योंकि यदि यह मुद्दा होता तो बिहार के बाद राहुल गांधी कांग्रेस शासित प्रदेशों में जरूर जातिगत जनगणना करवाते। इसके साथ ही जातिगत जनगणना से कोई लाभ भी नहीं होगा क्योंकि वर्तमान भारतीय जनता पार्टी की सरकार समाज के निचले तबके को लगातार ऊपर लाने का प्रयास कर रही है। इसके साथ ही हिंदुत्व का वोट बैंक बिखरने की खबरों में भी कोई प्रमाणिकता नहीं है। जिसका प्रमुख कारण है कि विपक्ष की तमाम कोशिशें के बावजूद भी भारतीय जनता पार्टी उड़ीसा समेत कई प्रदेशों में अच्छी बढ़त बनाने में सफल रही थी। संविधान खत्म करने के विपक्ष के आरोपों के बावजूद भी लोग हिंदुत्व के पक्ष में मतदान कर रहे हैं। इसके साथ ही भारतीय जनता पार्टी की सीटों में कमी कुछ स्थानीय मुद्दों के कारण आई है। भारत की बढ़ती हुई ताकत को रोकने के लिए दुनिया के तमाम देश भी भारत को जाति के नाम पर बांटना चाहते हैं, लेकिन फिलहाल देश को आगे बढ़ाने के लिए जाति के नाम पर विभाजन सही नहीं है। इसलिए भारतीय जनता पार्टी को हिंदुत्व की परिभाषा नए तरीके से गढ़ने की आवश्यकता है।
प्रश्न – लोकसभा चुनाव के बाद से राहुल गांधी लगातार हिंदू धर्म की बात करके क्या संदेश देना चाहते हैं और इसे बीजेपी रोकने में किस हद तक सफल रही है ?
जवाब – जरूर, भारतीय जनता पार्टी को इस मुद्दे पर अपनी रणनीति बदलने की जरूरत है। जिसके तहत हाल ही में अनुराग ठाकुर ने राहुल गांधी की जाति की बात करके विपक्ष के पूरे नॉरेटिव को ध्वस्त कर दिया है। राम मंदिर और धारा 370 का वादा बीजेपी ने पूरा कर दिया है। इसलिए अब पार्टी को कुछ नए और बड़े मुद्दे तलाशने होंगे। इसके साथ ही हिंदू पहले से अधिक जाग चुका है और उसकी अपेक्षाएं भी बढ़ चुकी हैं। जिसमें जाति के मुद्दे स्थानीय मुद्दे और युवा-किसानों के मुद्दे महत्वपूर्ण रहेंगे।
प्रश्न – क्या राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने भी चुनाव के आंकड़ों का अध्ययन करने के बाद जातिगत जनगणना करने की मंशा जाहिर की है ?
जवाब – मुझे लगता है कि आरएसएस के बयान को सही संदर्भ में देखने की जरूरत है कि उनका यह कोई प्रस्ताव नहीं है, बल्कि सुनील आंबेकर ने एक सवाल के जवाब में कहा था कि जातिगत जनगणना से आरएसएस को कोई समस्या नहीं है। क्योंकि आरएसएस के कार्य करने का सिद्धांत हमेशा से जाति मुक्त समाज के निर्माण का रहा है।
प्रश्न – क्या उत्तर प्रदेश में योगी सरकार की नीतियों के कारण विपक्ष को जाति के बारे में बात करने से फायदा मिल रहा है ? 
जवाब – बिल्कुल यह संभव हो सकता है लेकिन इसका एक दूसरा पहलू भी है, क्योंकि उत्तर प्रदेश में हाल ही में चर्चा में रहा मंगेश यादव एनकाउंटर कोई पहला एनकाउंटर नहीं है और इसकी न्याय की जांच भी जरूर होनी चाहिए। लेकिन जब योगी सरकार में किसी ठाकुर समाज की जाति के अपराधी का घर तोड़ा जाता है, तो लोग जाति की बात करना भूल जाते हैं। अगर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कुछ मामलों में नैरेटिव अपने खिलाफ इस्तेमाल होने का अवसर देंगे। तो इससे विपक्ष को निश्चित रूप से फायदा मिलेगा और किसी भी राज्य में लगातार हो रहे एनकाउंटर निश्चित रूप से चिंता का विषय है। 
प्रश्न – भाजपा हिंदुत्व के मुद्दे को लेकर अभी किस स्तर तक जा सकती है और इसके लिए विपक्ष के पास क्या रणनीति है ? 
जवाब – निश्चित तौर पर विपक्ष जाति के मुद्दे को ही भुनना चाहेगा, क्योंकि उसे लगता है कि भाजपा के हिंदुत्व की नैरेटिव को कम करने के लिए यही एक सबसे बड़ा मुद्दा है। इसके साथ ही उत्तर प्रदेश की योगी सरकार पूरी तरह से सुरक्षित है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और आरएसएस का पूरा समर्थन मिल रहा है। इसलिए सीएम योगी हिंदुत्व को लेकर अपनी रणनीति में किसी भी प्रकार का बदलाव नहीं करेंगे।
प्रश्न – बांग्लादेश और हिंदू, फिलीस्तीन और मुसलमान को लेकर विपक्ष के रुख पर आपके क्या विचार हैं ? 
जवाब – यह निश्चित रूप से शर्मनाक है की प्रियंका गांधी वाड्रा ने फिलीस्तीन को लेकर लगातार ट्वीट्स किए हैं। तो वहीं, दूसरी ओर बांग्लादेश में हिंदुओं के खिलाफ हुए अत्याचार पर प्रियंका गांधी और राहुल गांधी का कोई भी बयान नहीं आया है और यह देश के हिंदुओं को निश्चित रूप से अच्छा नहीं लगेगा।

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