हिंदी फिल्मों में आपने अक्सर देखा होगा कि पिता के साथ हुए गलत का बदला बड़े होकर उसका बेटा लेता नजर आया हो। लेकिन दिल्ली के पॉलिटिकल पिक्चर की स्टोरी भी किसी फिल्म से कम नहीं है। जिसमें एक मां की हार का गम है, बेटे द्वारा 10 साल बाद दी गई चुनौती है और कुछ हद तक कहें कि बदला भी पूरा कर लिया। खुद जीतकर नहीं तो किसी के हारने की वजह बनकर। दिल्ली की पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के नेतृत्व में 15 साल तक सरकार चलाने के बाद सत्ता से बाहर हुई कांग्रेस इस बार के विधानसभा चुनाव में कुल 70 में से सिर्फ तीन सीटों पर ही अपनी जमानत बचा सकी और लगातार तीसरी बार चुनाव में उसका खाता तक नहीं खुला। लेकिन सबसे लाइम लाइट वाली नई दिल्ली सीट पर इस बार मुकाबला बेहद ही दिलचस्प रहा। जहां नई दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र में अरविंद केजरीवाल की हार हुई। भाजपा के परवेश वर्मा ने उन्हें 4,089 वोटों से शिकस्त दी। तीसरे नंबर पर कांग्रेस के संदीप दीक्षित रहे।
इसे भी पढ़ें: महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में अनियमितताओं के आरोपों को लेकर Fadnavis ने राहुल पर निशाना साधा
जितने वोटों से हारे केजरीवाल उतने ही संदीप को मिले
परिणाम में कांग्रेस उम्मीदवार संदीप दीक्षित की भूमिका पर सवाल उठाते हैं। इस सीट का जो मजेदार फैक्ट है वो यह है कि इस सीट पर अरविंद केजरीवाल जितने वाटों से हारे हैं लगभग उतना ही वोट संदीप दीक्षित को मिला है। संदीप दीक्षित को 4,568 वोट मिले, जिससे अटकलें लगाई गईं कि उन्होंने भाजपा विरोधी वोटों को विभाजित हो गया और जिससे केजरीवाल की हार हुई। आप और कांग्रेस के बीच गठबंधन न होना नुकसानदेह साबित हुआ। अगर आप और कांग्रेस साथ आ जाते तो दीक्षित के वोट अरविंद केजरीवाल को ट्रांसफर हो सकते थे, जिससे संभावित परिणाम पलट सकते थे। कैलकुलेशन से पता चलता है कि इंडिया ब्लॉक गठबंधन पार्टियों – आप और कांग्रेस – के संयुक्त मोर्चे के परिणामस्वरूप अरविंद केजरीवाल को 479 वोटों के अंतर से जीत मिल सकती थी। केजरीवाल को 25999 वोट मिले + संदीप दीक्षित को 4,568 वोट मिले तो कुल मिलाकर 30,567 वोट हुए। यह परवेश वर्मा के 30,088 वोटों से 479 वोट ज्यादा होंगे।
इसे भी पढ़ें: हारो, नाचो, भूल जाओ! दिल्ली में 4.26% वोट पाकर झूम उठी कांग्रेस? इस नेता ने शेयर किया वीडियो
मां का हिसाब किया बराबर
इसके बाद कहा जा रहा है कि संदीप दीक्षित ने अरविंद केजरीवाल से अपना एक पुराना हिसाब बराबर कर लिया है। नई दिल्ली के इस नतीजे के साथ ही संदीप दीक्षित ने 2013 के विधानसभा चुनाव में केजरीवाल द्वारा शीला दीक्षित को हराने का बदला ले लिया है। कांग्रेस ने आप के खिलाफ बढ़ते गुस्से को भांपते हुए आप के खिलाफ आक्रामक प्रचार करने का फैसला किया। दिल्ली प्रचार के आखिरी दिनों में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाद्रा ने आम आदमी पार्टी पर हमला बोला. नई दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र में संदीप दीक्षित की मौजूदगी ने अरविंद केजरीवाल के लिए मामले को और भी जटिल बना दिया है। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने 27 साल बाद अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली आम आदमी पार्टी (आप) का सफाया कर दिल्ली में ऐतिहासिक वापसी की।
लोकसभा चुनाव के वक्त भी बीजेपी को हरा लिया था बदला
साल 1998 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस पार्टी ने शीला दीक्षित को पूर्वी दिल्ली लोकसभा क्षेत्र से मैदान में उतारा था। लेकिन बीजेपी के लाल बिहारी तिवारी से उन्हें 45 हजार से अधिक मतों से हार का सामना करना पड़ा था। साल 2004 के लोकसभा चुनाव में 1998 में अपनी मां को मिली हार का बदला लेने के लिए इस सीट पर शीला दीक्षित के बेटे संदीप दीक्षित ने चुनाव लड़ा। इस चुनाव में उन्होंने इस बार बिहारी लाल तिवारी को 229,779 के भारी वोटों के अंतर से हराया।