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Delhi Profile: महाभारत काल से जुड़ा है दिल्ली का इतिहास, जानिए कैसे बनी देश की राजधानी

ज्यादातर इतिहासकारों की मानें, तो करीब 50 ईसा पूर्व में मौर्य राजा ढिल्लू ने दिल्ली शहर की स्थापना की थी। मौर्य राजा ढिल्लू के नाम पर इस शहर का नाम दिल्ली रखा गया था। ढिल्लू राजा को धिल्लू और दिलू के नाम से भी जाना जाता था। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि तोमरवंश के राजा ने इस स्थान का नाम ढिली रखा था। जो दिल्ली का पुराना नाम था। ईसा पूर्व के 1000 साल पहले दिल्ली को महाभारत काल में इंद्रप्रस्थ की राजधानी के रूप में जाना जाता था। श्रीकृष्ण की सहायता से पांडवों ने खांडव प्रस्थ पहुंचकर इंद्र के सहयोग से इंद्रप्रस्थ नामक नगर बसाया था। 
वहीं 12 दिसंबर 1911 को दिल्ली दरबार में दिल्ली को राजधानी बनाने की घोषणा की गई थी। फिर 13 फरवरी 1931 को औपचारिक रूप से दिल्ली को देश की राजधानी बनाया गया। इससे पहले देश की राजधानी कोलकाता थी। साल 1947 में भारत की आजादी के बाद दिल्ली को आधिकारिक रूप से भारत की राजधानी घोषित कर दिया गया। बता दें कि दिल्ली का कुल क्षेत्रफल 4,60,208 वर्ग किलोमीटर है। जबकि नई दिल्ली का कुल क्षेत्रफल 42.7 वर्ग किमी है। यह 11 जिलों से मिलकर बना है। नई दिल्ली, दिल्ली का एक जिला है।

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दिल्ली देश की राजधानी
दिल्ली को राजधानी बनाने की एक बड़ी वजह यह भी रही कि सुरक्षा की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण शहर था। क्योंकि साल 1857 के गदर के समय अंग्रेजों के जानमाल की सुरक्षा दिल्ली में हुई थी। दिल्ली में विद्रोह को दबा दिया गया था। यहीं रिज में ब्रिटिश सरकार के प्रतिनिधि वाइसरॉय रह रहे थे। बता दें कि वर्तमान समय का दिल्ली विश्वविद्यालय का कुलपति कार्यालय ही उस दौरान वाइस रॉय का रेजिडेंस था।
दिल्ली की जनसंख्या
साल 2011 की जनगणना के मुताबिक, दिल्ली शहर की आबादी 1 करोड़ 67 लाख है। यहां की आबादी और कॉलोनियां लगातार फैलती जा रही हैं। संयुक्त राष्ट्र के अनुमान के मुताबिक साल 2030 तक दिल्ली की आबादी करीब 3.06 करोड़ हो जाएगी।
दिल्ली की सियासी इतिहास
दिल्ली विधानसभा का गठन 17 मार्च 1952 को पार्ट – सी राज्य सरकार अधिनियम-1951 के तहत पहली बार किया गया था। जिसके बाद विधानसभा चुनाव हुए और सरकार भी बनी थी। लेकिन 01 अक्तूबर 1956 को विधानसभा का उन्मूलन कर दिया गया। फिर सितंबर 1966 में विधानसभा की जगह एक मेट्रोपोलिटन काउंसिल बनाई गई, जिनमें 56 निर्वाचित और 5 मनोनीत सदस्य थे और इसी के साथ ही दिल्ली में विधानसभा के चुनाव बंद हो गए।
वहीं साल 1991 में संविधान में 69वां संशोधन कर दिल्ली के लिए विधानसभा की व्यवस्था की गई थी। फिर साल 1992 में दिल्ली में परिसीमन हुआ और साल 1993 में विधानसभा चुनाव हुए और निर्वाचित सरकार बनी। तब से अब तक दिल्ली में चुनाव होते आ रहे हैं।

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