इसराइल और हमास के बीच पिछले 35 से ज्यादा दिनों से युद्ध जबरदस्त तरीके से जारी है। इसराइल को हमास लगातार चुनौती दे रहा है। सबसे बड़ा सवाल यही उभर रहा है कि आखिर इस युद्ध में हमास जैसे छोटे समूह को इतनी ताकत कौन दे रहा है और उसके आत्मविश्वास की वजह क्या है? इसी को लेकर हमने ब्रिगेडियर डी.एस.त्रिपाठी से सवाल पूछा। उन्होंने कहा कि हमास ने पूरी तैयारी के साथ इसराइल पर हमला किया। हमास ने बीच के दौर में सभी को एक भरोसा दिलाने की कोशिश की कि हमारा फोकस विकास पर है। शायद इसी की वजह से हमास को इसराइल और बाकी देशों ने हल्के में लिया। हालांकि, इसके साथ हमास अपनी तैयारी करता रहा। अपनी शांति वाले दिखावे को आगे करते हुए हमास ने कहीं ना कहीं इजरायल की गोपनीय की जानकारी ली। उसके अनुसार अपनी तैयारी को अंजाम दिया और तब जाकर हमला किया। यही कारण है कि इस युद्ध में हमास काफी मजबूत नजर आ रहा है।
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ब्रिगेडियर त्रिपाठी ने यह भी कहा कि हमास के लोग कितने मारे गए, यह ना तो हमास की ओर से बताया जा रहा है और ना ही इस तरह की कोई जानकारियां आ रही हैं। फीलीस्तीन के 11000 से ज्यादा लोग मारे गए हैं। लेकिन इसमें हमास के कितने मारे गए, यह किसी को पता नहीं। हमास को कितना डैमेज हुआ है, यह भी कोई बात नहीं पा रहा है। हमास के लड़ाके पूरी तरीके से तैयार हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हमास को फिलिस्तीन के लोगों से भी कोई मतलब नहीं है। वह पूरी तरीके से जिहादी हैं। इसके बाद उन्हें किसी भी प्रकार की अपनी जान की परवाह नहीं रहती है। उन्होंने कहा कि उनके लड़ाकू ने ईरान में ट्रेनिंग ली है। उन्होंने कहा कि इसकी भी संभावना है कि जो हथियार हमास के पास से मिल रहे हैं, वह ज्यादातर ईरान के हैं। उन्होंने कहा कि हमास के पास से कुछ हथियार रूस और नॉर्थ कोरिया के भी मिले हैं।
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उन्होंने साफ तौर पर कहा कि ईरान के जरिए सिर्फ हथियार ही नहीं पहुंचे बल्कि वही ट्रेनिंग भी हुई है। ट्रेनिंग के बाद लड़ाके पूरी तरीके से तैयार हुए हैं। उन्होंने कहा कि हमास के कमांडर यह भी लगातार कह रहे हैं कि अभी तो बहुत कुछ बाकी है। इसका मतलब उन्हें कहीं ना कहीं से बैक सपोर्ट मिल रहा है। हिज्बुल्लाह ने भी कहीं ना कहीं हमास का समर्थन किया है। यमन से हूती विद्रोही भी मिसाइल फ़ायर कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि डायरेक्टली कोई नहीं है। लेकिन कहीं ना कहीं सीरिया भी इसमें पीछे से इंवॉल्व हो रहा है। ईरान धमकी देने की कोशिश कर रहा है। ईरान को अमेरिका की चिंता है। शायद इसी वजह से वह दबाव की बनाने की कोशिश कर रहा है। खाड़ी देशों में अमेरिका की बहुत ज्यादा मौजूद की है। यही कारण है कि अमेरिका फिलहाल इजरायल युद्ध पर पूरी तरीके से फोकस है।