भारत के सबसे प्रसिद्ध जासूसों में से एक अजीत डोभाल तीसरे कार्यकाल के लिए राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) के रूप में काम करना जारी रखेंगे। 2019 में वह दो कार्यकाल तक सेवा देने वाले पहले एनएसए बने। अपने व्यापक क्षेत्र कार्य के साथ-साथ अपने रणनीतिक नेतृत्व के लिए जाने जाने वाले 1968-बैच के आईपीएस अधिकारी केरल कैडर से आते हैं। डोभाल कीर्ति चक्र से सम्मानित होने वाले पहले पुलिसकर्मी भी हैं, जो अशोक चक्र के बाद शांतिकाल का दूसरा सबसे बड़ा वीरता पुरस्कार है। अजीत डोभाल यानी भारत की सुरक्षा से जुड़े सबसे ताकतवर नौकरशाह जिनकी नियुक्ति सीधे पीएम मोदी ने की है और डोभाल सिर्फ उन्हीं के प्रति जवाबदेह हैं। वो नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल (एनएससी) के प्रमुख हैं। ये एक सलाहकार बॉडी है जिसे गृह मंत्रालय, वित्त मंत्रालय और विदेश मंत्रालय के साथ काम करना पड़ता है।
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राजस्थान के अजमेर मिलिट्री स्कूल में पढ़ाई
डोभाल के शुरुआती दिनों के बारे में जानकारी माीडिया में बेहद ही सीमित है। उनका जन्म 1945 में हुआ था। ब्राह्मण परिवार से ताल्लुक रखने वाले डोभाल उत्तराखंड की पहाड़ियों में घिरी नाम के गांव में पैदा हुए थे। उनके पिता भारत की फौज में एक अफसर थे। उत्तर प्रदेश के पूर्व सीएम और कांग्रेस नेता एचएन बहुगुणा उनकी मां के चचेरे भाई थे। डोभाल की पढ़ाई राजस्थान के अजमेर मिलिट्री स्कूल में हुई और इसके बाद की डिग्री की पढ़ाई के लिए वो आगरा विश्वविद्यालय गए, जहां उन्होंने अर्थशास्त्र की पढ़ाई की।
कोट्टायम में ट्रेनिंग
1968 में वो भारतीय पुलिस सेवा का हिस्सा बने। वो उस साल के केरल कैडर का हिस्सा थे। कोट्टायम में ट्रेनिंग के बाद उन्हें थालास्सेरी का अपर पुलिस अधीक्षक नियुक्त किया गया। 1971 के अंत और 1972 की शुरुआत में जब शहर में कुख्यात सांप्रदायिक दंगे हुए तब डोभाल वहीं थे। केरल पुलिस के एक पूर्व महानिदेशक एलेक्जेंडर जैकब के मुताबिक डोभाल ने दंगों को रोकने में अहम भूमिका निभाई थी। जैकब ने 1989 में इन दंगों पर एक रिपोर्ट लिखी जिसमें उन्होंने ये बात कही है। 1972 तक डोभाल को आईबी में भेज दिया गया था, वो इसके ऑपरेशन विंग का हिस्सा थे।
कारनामे सुन जेम्स बांड के किस्से भी फीके लगने लगते
डोभाल कई ऐसे खतरनाक कारनामों को अंजाम दे चुके हैं जिन्हें सुनकर जेम्स बांड के किस्से भी फीके लगने लगते हैं। डोभाल सात साल पाकिस्तान में रह चुके हैं, यह बात तो हर किसी ने सुनी होगी। लेकिन पाकिस्तान से जुड़े एक किस्से का जिक्र खुद एनएसए ने एक बार विदर्भ मैनेजमेंट एसोसिएशन के समारोह में करते हुए कहा था कि “लाहौर में औलिया की एक मज़ार है, जहाँ बहुत से लोग आते हैं। मैं एक मुस्लिम शख़्स के साथ रहता था।