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इजरायल और गाजा से इतर मणिपुर में क्या हो रहा है? कैसे बदलेंगे हालात, लौटेगा आपसी भरोसा और पटरी पर आएगी जिंदगानी, सरकार ने तैयार किया पूरा ब्लूप्रिंट

इजरायल और हमास के बीच युद्ध 11वें दिन में प्रवेश कर चुका है। दुनियाभर में दोनों देशों की भिड़ंत इन दिनों ट्रेंडिंग टॉपिक बना हुआ है। गाजा में अस्पताल पर हुए मिसाइल हमलों में 500 से ज्यादा लोगों की मौत के बाद जहां भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दुख जताया। इसके साथ ही हमले में मारे गए लोगों के प्रति संवेदना भी जताई। इतना ही नहीं पीएम मोदी ने कहा कि इस हमले में शामिल लोगों की जिम्मेदारी तय होनी चाहिए। इससे पहले भी पीएम मोदी इजरायल पर हमास के हमले को लेकर एक्स पर अपनी प्रतिक्रिया दे चुके हैं। लेकिन पीएम मोदी के इस कदम को विपक्ष द्वारा सवाल उठाया गया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को मणिपुर की चिंता नहीं है। पीएम मणिपुर के हालात से ज्यादा इजरायल के घटनाक्रम की चिंता है। दरअसल, मणिपुर में बड़े पैमाने पर हिंसा की शुरुआत हुए 5 महीने से ज्यादा का वक्त गुजर चुका है। उसके बावजूद प्रदेश के हालात सामान्य नहीं हो पाए हैं। हिंसा की घटनाओं में कमी तो जरूर आई है लेकिन दो प्रमुख समुदाय मैतेई और कुकी के बीच तनाव की स्थिति बरकरार है। 

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पहाड़ियों और घाटी के हालात को पटरी पर लाना
मणिपुर में जातीय संघर्ष का लंबा इतिहास रहा है। पहले भी मणिपुर के लोगों को इस तरह के जातीय हिंसा का सामना कई बार करना पड़ा है। लेकिन इस साल मई से जिस तरह की हिंसा हुई है। पिछले दो दशक में उतनी खराब स्थिति कभी देखने को नहीं मिली है। मीडिया रिपोर्ट के जरिए ये पता चला है कि कुकी और मैतेई समूह अपने-अपने क्षेत्रों में वापस चले गए हैं। लेकिव वे उन जगहों पर नहीं लौटे हैं जहां एक समुदाय अल्पसंख्यक है। सरकार ने मणिपुर के हालात से निपटने और वापस से इसे पटरी पर लाने के लिए ब्लूप्रिंट तैयार किया है। मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि मोदी सरकार का पहला लक्ष्य जल्द से जल्द हिंसा को रोकना है।
हथियारों की बरामदगी पर फोकस
लगभग 5,600 हथियार गायब हैं और आत्मसमर्पण अनुरोधों और छापों के माध्यम से बरामदगी की जा रही है। लगभग 1,500 हथियार बरामद किए गए हैं और काम अभी भी जारी है। हथियारों का रिकॉर्ड से मिलान भी किया जा रहा है। कहा जा रहा है कि मोदी सरकार के विशेष निर्देश हैं कि आवश्यक सेवाएं बिना किसी परेशानी और बाधा के उपलब्ध होनी चाहिए
हॉटस्पॉट इलाकों में दोनों समुदायों के बीच आपसी सामंजस्य स्थापित करना
मणिपुर के जातीय संघर्ष से संबंध ईसाई गैर ईसाई, हिन्दू-मुस्लिम जैसे पहलुओं का भी रहा है। अलग अलग समुदाय में राजनीतिक जनाधार बनाने के प्रयासों से भी मनमुटाव को बढ़ावा मिला है। अब बलों की तैनाती और जनता के सहयोग के जरिए हॉटस्पॉट इलाकों में दोनों समुदायों के बीच आपसी सामंजस्य स्थापित करना एक बड़ी चुनौती है। कहा जा रहा है कि सरकार ये सुनिश्चित करने की कोशिश में है कि कुकी-मैतेई समुदाय एक-दूसरे से बात करें और सामान्य कामकाज करें। 

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राजधानी इंफाल के मुर्दाघरों से रखे शव 
पांच महीने गुजर चुके हैं लेकिन जातीय संघर्ष में मारे गए कुकी जो समुदाय के कई लोगों के शव राजधानी इंफाल के मुर्दाघर में रखे हुए हैं। आदिवासी संगठन कमेटी ऑन ट्रायबल यूनिटी को सरकारी अधिकारियों से इन शवों को इंफाल के मुर्दाघर से कांगपोकपी जिले में लाने का अनुरोध तक करना पड़ा। वहीं मैतई समुदाय के कुछ शवों के लावरिस पड़े होने की बात सामने आई है। अब इन शवों की अदला बदली के जरिए उनके अंतिम संस्कार कराए जाने की कोशिश सरकार की तरफ से की जा सकती है।

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