इजराइल पर हुए हमास के आतंकी हमले से आंखें फेर कर कुछ नेता फलस्तीन और हमास का खुलेआम समर्थन कर एक तरह से आतंकवाद को समर्थन और शह दे रहे हैं। कश्मीर की बात करें तो फारुक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को इजराइल में मारे गये लोगों की बजाय हमास पर हो रहे हमले पर दुख हुआ तो अलगाववादी मीरवाइज उमर फारूक को भी दुख और दर्द का अहसास हो रहा है। हाल ही में नजरबंदी से रिहा किये गये हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के अध्यक्ष मीरवाइज उमर फारूक ने वैश्विक समुदाय से अपनी जिम्मेदारी निभाने और इजराइल-फलस्तीन मुद्दे का उचित समाधान खोजने का आह्वान करते हुए कहा कि दोनों पक्षों के लोगों को शांति व सम्मान के साथ रहने में सक्षम होना चाहिए।
श्रीनगर में मीरवाइज ने संवाददाताओं से कहा, ‘‘इस्लामिक जगत के साथ-साथ जम्मू-कश्मीर के लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं। जो लोग दर्द को महसूस कर सकते हैं वे (इस मुद्दे पर) चुप्पी देखकर निराश हैं। हम देख रहे हैं कि कैसे बुजुर्गों, बच्चों, महिलाएं और निर्दोषों पर बम बरसाए जा रहे हैं, उनकी हत्याएं हो रही हैं।’’ उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि वैश्विक समुदाय इस मुद्दे का ‘‘न्यायसंगत समाधान’’ खोजने की अपनी जिम्मेदारी निभाए।
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फारूक ने कहा, ‘‘(इस मुद्दे पर) एकतरफा निर्णय नहीं हो सकता। फलस्तीन का मुद्दा लंबे समय से लंबित मुद्दा है और इसका उचित समाधान निकाला जाना चाहिए। फलस्तीन के लोगों के अधिकार उन्हें वापस दिए जाने चाहिए। उनका राष्ट्र और उनकी जमीन उनसे छीन ली गई है, इससे ज्यादा अत्याचार क्या हो सकता है।’’