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मैं उस वक्त 14 साल का था, बनाने में लगे एक महीने, ‘सेंगोल’ के निर्माता ने किया पुुराने दिनों को याद

आज पूरा देश ‘सेंगोल’ के बारे में बात कर रहा है। इसका अनुवाद ‘राजदंड’ के रूप में किया जाता है। लेकिन इसके अलावा कहीं कही पर इसे  ‘नेहरू को दी गई सोने की छड़ी’ के रूप में लेबल किया गया। यह प्रतीक है कि लौकिक सत्ता पर धर्म का शासन है। सेंगोल का उद्देश्य धर्म और सत्य की रक्षा करना है।  प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के द्वारा 28 मई को संसद भवन का उद्धाटन करेंगे।  जिस दिन नए संसद भवन को देश को समर्पित किया जाएगा उसी दिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तमिलनाडु के अधीनम से आए हुए इस सेंगोल को स्वीकार करेंगे और लोकसभा अध्यक्ष के आसन के पास इसे स्थापित करेंगे।

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जौहरी वुम्मिदी बंगारू चेट्टी के परपोते वुम्मिदी बालाजी ने कहा कि आज 75 साल बाद ‘सेंगोल’ को याद किया जा रहा है। सरकार 1947 में हुई पूरी घटना को फिर से क्रिएट कर रही है। हमारे लिए बहुत पुरानी यादें और एक खूबसूरत अहसास है कि हमारे पूर्वज इतिहास का हिस्सा थे और अब हम भी इस मनोरंजन को देखने जा रहे हैं। वुम्मिदी बंगारू ज्वेलर्स के चेयरमैन वुम्मिदी सुधाकर का कहना है कि हम ‘सेंगोल’ के निर्माता हैं। इसे बनाने में हमें एक महीने का समय लगा है। यह सिल्वर और गोल्ड प्लेटेड से बना है। मैं उस समय 14 साल का था… हम पीएम मोदी के आभारी हैं। 

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मदुरै अधीनम के 293वें प्रधान पुजारी श्री हरिहर देसिका स्वामीगल ने कहा कि मैं नए संसद भवन के उद्घाटन के अवसर पर पीएम मोदी से मिलूंगा और उन्हें ‘सेंगोल’ भेंट करूंगा। अंग्रेजों से भारत में सत्ता के हस्तांतरण के प्रतीक का प्रतिनिधित्व करने के लिए 14 अगस्त, 1947 को पंडित जवाहरलाल नेहरू द्वारा ऐतिहासिक राजदंड ‘सेंगोल’ प्राप्त किया गया था। वही 28 मई को मदुरै अधीनम के प्रधान पुजारी द्वारा पीएम मोदी को सौंपा जाएगा।

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