पंजाब में तीन विधेयकों को मंजूरी राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित द्वारा रोके जाने के खिलाफ (आप) नीत सरकार के उच्चतम न्यायालय का रुख करने के बीच, उन्होंने रविवार को मुख्यमंत्री को सूचित किया कि वह राज्य के लोगों के व्यापक हित में सभी विधेयकों की विषय-वस्तु के आधार पर उनकी पड़ताल करेंगे।
मुख्यमंत्री भगवंत मान को लिखे पत्र में राज्यपाल ने कहा कि उन्होंने उनके (मान के) कार्यभार संभालने के बाद विधानसभा द्वारा पारित 27 में से 22 विधेयकों को अपनी मंजूरी दी है, और कहा कि वह आने वाले दिनों में बाकी विधेयकों पर अलग से निर्णय लेंगे।
आप सरकार ने 20 अक्टूबर को विधानसभा के दो दिवसीय सत्र को संक्षिप्त कर दिया था और मुख्यमंत्री मान ने घोषणा की थी कि उनकी सरकार सदन में पेश किए जाने वाले तीन विधेयकों की मंजूरी राज्यपाल द्वारा रोकने के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख करेगी।
आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि राज्य सरकार ने राज्यपाल के खिलाफ उच्चतम न्यायालय का रुख किया है, लेकिन विषय अभी सुनवाई के लिए सूचीबद्ध नहीं हुआ है।
अपने नवीनतम संदेश में पुरोहित ने लिखा कि पंजाब विधानसभा का सत्र बुलाने के साथ-साथ सत्र को जारी रखने की संवैधानिकता के बारे में ‘गंभीर संदेह’ व्यक्त किया गया है कि ‘भारतीय संविधान के विभिन्न प्रावधानों और पंजाब विधानसभा की कार्यवाही और कार्य संचालन’ के नियम का उल्लंघन किया गया है।
पुरोहित द्वारा तीन विधेयकों – पंजाब राजकोषीय उत्तरदायित्व और बजट प्रबंधन (संशोधन) विधेयक- 2023, पंजाब माल और सेवा कर (संशोधन) विधेयक-2023 और भारतीय स्टांप (पंजाब संशोधन) विधेयक- 2023 को मंजूरी रोकने के बाद राजभवन और भगवंत मान सरकार के बीच चल रही खींचतान और बढ़ गई है।
पुरोहित ने पहले कहा था कि 20-21 अक्टूबर का विधानसभा सत्र, जिसे बजट सत्र का विस्तार बताया जा रहा है, ‘अवैध’ होगा और इस दौरान की गई कोई भी कार्यवाही ‘गैरकानूनी’ होगी।
इससे पहले, 19-20 जून के सत्र में पारित चार विधेयकों में, सिख गरुद्वारा (संशोधन) विधेयक-2023 भी शामिल है, जिसका उद्देश्य अमृतसर स्थित स्वर्ण मंदिर से ‘गुरबानी’ का टीवी पर मुफ्त प्रसारण सुनिश्चित करना है।
इसी तरह, पंजाब विश्वविद्यालय कानून (संशोधन) विधेयक-2023 राज्यपाल के स्थान पर मुख्यमंत्री को राज्य द्वारा संचालित विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति के रूप में नियुक्त करने के लिए था, पंजाब पुलिस (संशोधन) विधेयक-2023 एक स्वतंत्र तंत्र लाने का मार्ग प्रशस्त करने के लिए था, ताकि पुलिस महानिदेशक पद पर उपयुक्त व्यक्तियों की नियुक्ति की जा सके।
इन विधेयकों को राज्यपाल की मंजूरी मिलनी अभी बाकी है।