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बारिश हो रही है ज्यादा तो उसे AC के रिमोट की तरह कम-ज्यादा या बंद कर सकेंगे, क्या है मिशन मौसम, जिसे मोदी सरकार ने दी मंजूरी

राजधानी दिल्ली-एनसीआर के कई हिस्सों में देर रात से ही बारिश लगातार जारी है, जिससे कई इलाके जलमग्न हो गए और यातायात बाधित हो गया। भारी बारिश के अलर्ट के मद्देनजर कई राज्यों में स्कूलों की छुट्टी भी कर दी गई है। वैसे देश में हर वर्ष बारिश की वजह से भूस्खलन, बिजली गिरना, हिमस्खलन उफनती नदियां, बाढ़ जैसी प्राकृतिक आपदाएं सिर उठाती रहती हैं। नतीजतन जान माल का नुकसान भी देखने को मिलता है। अब इन्हीं सब के मद्देनजर सरकार ने मिशन मौसम शुरू करने का फैसला लिया है। जिसके बाद आने वाले वर्षों में बारिश को भी एसी के रिमोट की माफिक बढ़ाया, घटाया या बंद किया जा सकेगा। भारतीय मौसम वैज्ञानिकों ने इसको लेकर उम्मीद जताई है कि अगले पांच वर्षों में उनके पास न केवल बारिश बढ़ाने के लिए पर्याप्त विशेषज्ञता होगी, बल्कि कुछ क्षेत्रों में ओलावृष्टि और बिजली गिरने के साथ-साथ इसे इच्छानुसार रोका भी जा सकेगा। 

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क्या है मिशन मौसम
मतलब अगर दिल्ली या कोई अन्य शहर स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान बारिश को रोकना चाहता है, तो साइंटिफिक मेथड से ऐसा करने में सक्षम होंगे। इसी तरह बाढ़ के दौरान शहरों में बारिश/ओलावृष्टि को रोका जा सकता है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय (एमओईएस) के सचिव एम रविचंद्रन ने मिशन मौसम को लेकर विस्तार से जानकारी दी है। इसे एक दिन पहले ही कैबिनेट की मंजूरी मिली है। उन्होंने कहा कि हम प्रारंभिक प्रायोगिक कृत्रिम वर्षा दमन और वृद्धि के लिए जाना चाहते हैं। लैब सिमुलेशन (क्लाउड चैंबर) अगले 18 महीनों में किया जाएगा, लेकिन हम निश्चित रूप से पांच साल के समय के पैमाने में आर्टिफिशियल तरीके से मौसम को मैनेज किया जाएगा। 

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कैसे करेगा काम
क्या 15 अगस्त को बारिश को रोका जा सकता है, जैसे सवाल पर रविचंद्रन ने कहा कि हम इसके बारे में सोच सकते हैं। मिशन मौसम जनादेश के तहत, वैज्ञानिक छोटी और मध्यम दूरी की पूर्वानुमान सटीकता को 5-10% तक बढ़ाने के संदर्भ में देश में मौसम पूर्वानुमान प्रणालियों के क्रमिक सुधार पर भी काम करेंगे। मिशन का उद्देश्य भारत को जलवायु संबंधी स्मार्ट और मौसम के लिए तैयार बनाना है। यहां तक ​​कि बादल फटने सहित किसी भी मौसम की घटना को अनदेखा न होने देना है। भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) के साथ-साथ एमओईएस के अन्य वैज्ञानिक संस्थान भी विकास और लॉन्च करेंगे। ‘मौसम जीपीटी यूजर्स को अगले पांच वर्षों में लिखित और ऑडियो दोनों रूपों में मौसम संबंधी त्वरित जानकारी प्राप्त करने में मदद करेगा।

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