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1979 में गई थी 1439 लोगों की जान, 43 साल बाद दिखा कुछ वैसा ही तांडव, गुजरात के मोरबी पुल के ढहने के लिए कौन जिम्मेदार है?

गुजरात के मोरबी जिले में हुए पुल हादसे के बाद पुलिस का एक्शन भी देखने को मिल रहा है। पुलिस  नौ लोगों को गिरफ्तार किया है। पुलिस ने जिन लोगों को गिरफ्तार किया है उनमें दो प्रबंधक, दो मरम्मत करने वाले कॉन्ट्रेक्टर पिता और पुत्र, तीन सुरक्षा गार्ड और दो टिकट क्लर्क शामिल हैं। मोरबी सस्पेंशन ब्रिज के ढहने की घटना की जांच के लिए पांच सदस्यीय विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है, जिसमें 133 लोगों की मौत हो गई थी। यहां तक ​​​​कि जब जांच चल रही है, तो कई ग्रे क्षेत्र हैं जिन पर टीम को आगे बढ़ना चाहिए और तल्लीन करना चाहिए। 

1979 की भीषण त्रासदी 

लेकिन ऐसा ही भायवह मंजर मोरबा के लोगों ने आज से 43 बरस पहले देखा था तब बांध टूटने की वजह से 1400 लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी। बाद साल 1979 की है लगातार वर्षा होने की वजह से नदियों में बाढ़ के चलते मच्छु डैम ओवरफ्लो हो गया। इससे कुछ ही देर में पूरे शहर में तबाही मच गई थी। 11 अगस्त 1979 को दोपहर सवा तीन बजे डैम टूट गया और 15 मिनट में ही डैम के पानी ने पूरे शहर को अपनी चपेट में ले लिया था। देखते ही देखते मकान और इमारतें गिर गईं थी, जिससे लोगों को संभलने तक का मौका भी नहीं मिला था। सरकारी आंकड़ों के अनुसार इस हादसे में 1439 लोगों और 12,849 हजार से ज्यादा पशुओं की मौत हुई थी। बाढ़ का पानी उतरने के लोगों ने भयानक मंजर देखा। मच्छू बांध हादसे के बाद चल रहे राहत काम को देखने आईं इंदिरा गांधी द्वारा बदबू से बचने के लिए अपना चेहरा रुमाल से छुपाने की तस्वीर भी सामने आई थी। 

पूर्ण नवीनीकरण से पहले खुला पुल

अजंता ओरेवा कंपनी को इसके संचालन का जिम्मा सौंपा गया था। उसने बिना किसी आधिकारिक अनुमति के दिवाली की छुट्टियों के दौरान इसे फिर से शुरू कर दिया। मार्च 2022 में मोरबी नगर निगम और अजंता ओरेवा कंपनी के बीच अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए थे और यह 2037 तक वैध था। समझौते में कहा गया है कि कंपनी द्वारा 8 से 12 महीने रखरखाव के काम में लगाए जाने चाहिए। हालांकि, कंपनी ने अनुबंध की शर्तों और समझौतों का उल्लंघन किया और नागरिक निकाय को सूचित किए बिना, केवल पांच महीनों में पुल खोल दिया। जीर्णोद्धार के बाद, नागरिक निकाय को सुरक्षा जांच करनी थी और फिर अगर वह पर्याप्त रूप से फिट पाया गया, तो उसने पुल के संचालन के लिए एक एनओसी या फिटनेस प्रमाण पत्र जारी किया जाता।  ऐसा कभी नहीं किया गया। मोरबी के मुख्य सुरक्षा अधिकारी संदीप सिंह ने कहा कि पुल को ‘फिटनेस सर्टिफिकेट’ जारी नहीं किया गया था। 

ब्रिटिश काल के पुल का खराब रखरखाव

मोरबी पुल 100 साल से अधिक पुराना था। भले ही पुल का संचालन अजंता ओरेवा कंपनी को सौंप दिया गया था, लेकिन नागरिक अधिकारियों ने यह नहीं बताया कि इसे कैसे संचालित किया जा रहा है। राज्य सरकार ने भी मोरबी नगर निकाय के निगरानी कार्य का कभी जायजा नहीं लिया। पुल के खराब रखरखाव के कारण नवीनीकरण की आवश्यकता थी। मोरबी के मुख्य सुरक्षा अधिकारी संदीप सिंह ने कहा, ”इस कंपनी को 2008 से 2018 तक 10 साल के लिए ठेका दिया गया था और उसके बाद कोई ठेका नहीं दिया गया। मार्च 2022 में इसी कंपनी के साथ 15 साल के लिए फिर से अनुबंध रिन्यू किया गया।  

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