गुजरात के मेहसाणा जिले में एक गांव के अनुसूचित जाति के लोगों ने पाटीदार समुदाय द्वारा आयोजित एक धार्मिक कार्यक्रम में प्रीतिभोज के दौरान जातिगत भेदभाव का आरोप लगाया है जहां उनके लिए अलग से बैठने की व्यवस्था की गई थी।
पाटीदार समुदाय के नेताओं ने इन आरोपों से इनकार किया है जबकि स्थानीय अधिकारी इस विवाद को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं।
जिला सामाजिक न्याय विभाग के एक अधिकारी ने कहा कि रविवार और सोमवार को आयोजित एक धार्मिक कार्यक्रम में आयोजित प्रीतिभोज की व्यवस्था पर विवाद के बाद दोनों समुदायों के सदस्यों के बीच बैठकें आयोजित की गईं।
भटारिया गांव के दलित समुदाय के सदस्यों ने दावा किया कि उन्हें पाटीदार समुदाय द्वारा उमिया माता और महादेव मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव के अवसर पर आयोजित रात्रिभोज में अलग बैठने के लिए कहा गया था, जिसके बाद उन्होंने भोजन करने से इनकार कर दिया।
दलित समुदाय के लोगों ने आरोप लगाया कि मंदिर से कुछ दूरी पर एक गांव के स्कूल में अनुसूचित जाति समुदाय के 120 सदस्यों के लिए भोजन की व्यवस्था की गई थी।
पीड़ित समुदाय के लोगों ने उचित कार्रवाई की मांग को लेकर जिलाधिकारी को ज्ञापन भी सौंपा। तनाव कम करने के लिए स्थानीय पुलिस को भी बुलाया गया है।
दलित समुदाय से ताल्लुक रखने वाली गांव की सरपंच विजयबेन परमार ने दावा किया कि उन्हें ग्राम पंचायत प्रमुख होने के बावजूद दावत के दौरान अन्य ग्रामीणों से अलग बैठने के लिए भी कहा गया था।
उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ मैं अपने समुदाय के साथ खड़ी हूं। हमारे साथ हुए दुर्व्यवहार के खिलाफ हम लड़ेंगे। हम इसे बर्दाश्त नहीं कर सकते। ’’
स्थानीय कार्यकर्ता कांतिभाई नादिया ने दावा किया कि भटारिया गांव में दलितों के साथ अछूतों जैसा व्यवहार किया जा रहा है और महिला सदस्यों को गांव के आंगनवाड़ी केंद्रों में खाना बनाने की अनुमति नहीं है।