हरियाणा में एमबीबीएस छात्रों ने राज्य सरकार की ‘बॉन्ड नीति’ के खिलाफ 54 दिनों से जारी अपने विरोध प्रदर्शन को शनिवार को वापस ले लिया।
सरकार द्वारा अपनी संशोधित बॉन्ड नीति को अधिसूचित किए जाने के तीन दिन बाद यह कदम उठाया गया है।
पिछले महीने मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर के साथ प्रदर्शनकारी छात्रों की बैठक के बाद नीति में संशोधन किया गया।
पीजीआईएमएस, रोहतक में ‘रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन’ के अध्यक्ष डॉ. अंकित गुलिया ने कहा कि शनिवार को विरोध प्रदर्शन वापस ले लिया गया क्योंकि संशोधित नीति से एमबीबीएस छात्रों को राहत मिलेगी।
मेडिकल छात्रों की अन्य मांगों पर गुलिया ने कहा कि छात्रों को उपस्थिति में छूट दी जाएगी और 26 दिसंबर को होने वाली उनकी परीक्षा स्थगित कर दी जाएगी।
उन्होंने कहा कि एमबीबीएस छात्रों के खिलाफ दर्ज मामला भी वापस लिया जाएगा।
छात्र नेता अनुज धानिया ने कहा कि प्राथमिकी रद्द करने और परीक्षा स्थगित करने के आश्वासन के बाद उन्होंने शनिवार को अपना विरोध वापस ले लिया।
रोहतक में पंडित भगवत दयाल शर्मा स्वास्थ्य विज्ञान विश्वविद्यालय की कुलपति अनीता सक्सेना की उपस्थिति में छात्रों ने अपना प्रदर्शन समाप्त किया।
हरियाणा सरकार ने तीन दिन पहले अपनी संशोधित बॉन्ड नीति को अधिसूचित किया था जिसमें उसने बॉन्ड नीति की राशि घटा दी थी और अनिवार्य सरकारी सेवा की अवधि को सात से घटाकर पांच साल कर दिया था।
संशोधनों के अनुसार, सरकारी मेडिकल कॉलेजों में पुरुष एमबीबीएस छात्रों के लिए बॉन्ड राशि 25.77 लाख रुपये और महिला छात्रों के लिए 10 प्रतिशत कम 23.19 लाख रुपये होगी। इससे पहले बॉन्ड की राशि 36.41 लाख रुपये थी।
नई बॉन्ड नीति 2020-21 से लागू है।