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Indore temple tragedy: माकपा ने आरोपियों की गिरफ्तारी में ‘देरी’ पर सवाल उठाए

मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने सोमवार को सवाल किया कि इंदौर के बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर हादसे के 10 दिन बाद भी पुलिस ने उसके दो पदाधिकारियों को अभी तक गिरफ्तार क्यों नहीं किया।
मध्य प्रदेश की माकपा इकाई के सचिव जसविंदर सिंह ने यहां एक बयान जारी कर कहा कि स्थानीय सांसद अपराधियों को बचाने की साजिश कर रहे हैं और उन्हीं के दबाव में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी हत्यारों को बचाने के लिए असली मुद्दे से ध्यान भटकाने की कोशिश कर रहे हैं।
उन्होंने आरोप लगाया कि मंदिर हादसे में 36 नागरिकों की मौत पर पर्दा डालने के लिए चौहान ‘‘भावनात्मक मगर खतरनाक’’ खेल खेल रहे हैं।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंमत्री मंदिर उसी स्थान पर बनाने की तो बात कर रहे हैं मगर इस हादसे में 36 मौतों के लिए जिम्मेदार दो अपराधियों को पकड़ने और सजा देने का आश्वासन देने से भी बच रहे हैं।
माकपा ने दोनों अपराधियों को तुरंत गिरफ्तार करने की मांग की है।
माकपा नेता ने कहा कि स्थानीय नागरिक अवैध मंदिर निर्माण का लगातार विरोध कर रहे थे और उन्हीं की शिकायतों के आधार पर मंदिर प्रबंधन को नोटिस भी दिए गए थे लेकिन राजनीतिक दबाव के कारण कोई कार्रवाई नहीं की गई थी।

उन्होंने कहा कि जानकारी के अनुसार अपराधी मंदिर के बहाने सार्वजनिक भूमि का अतिक्रमण कर वहां व्यापारिक संस्थान खड़ा करना चाहते थे। उन्होंने कहा कि उनकी अब भी यही मंशा यही है और मुख्यमंत्री अपराधियों के व्यापारिक हितों को संरक्षण देने के लिए ही मंदिर उसी स्थान पर बनाने की बात कर रहे हैं।
माकपा नेता ने कहा कि मुख्यमंत्री को मृतकों के परिजनों को मुआवजा देने में भेदभाव नहीं करना चाहिए और मंदसौर गोलीकांड में मारे गए किसानों की तरह इस हादसे के शिकार लोगों के परिजनों को भी एक-एक करोड़ रुपए मुआवजा मिलना चाहिए।

सिंह ने मांग की है कि मुख्यमंत्री को आरोपियों की बजाय मृतकों के परिजनों के साथ खड़े नजर आना चाहिए और उन्हें (आरोपियों को) गिरफ्तार करना चाहिए।
उल्लेखनीय है कि कि बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर की फर्श 30 मार्च को रामनवमी के हवन-पूजन के दौरान इस तरह धंस गई थी कि बावड़ी में गिरकर 21 महिलाओं और दो बच्चों समेत 36 लोगों की जान चली गई थी।

प्रशासन ने हादसे के चार दिन बाद तीन अप्रैल को बेलेश्वर महादेव झूलेलाल मंदिर के देवी-देवताओं की मूर्तियां अन्य देवस्थान में पहुंचाई थीं और आम लोगों की सुरक्षा का हवाला देते हुए मंदिर को ढहा दिया था, लेकिन सात अप्रैल को मुख्यमंत्री चौहान ने भोपाल में मीडिया से कहा था, ‘‘इंदौर की घटना के बाद बावड़ी को भर दिया गया है। मंदिर अत्यंत प्राचीन था, इसलिए पूरी तरह से सुरक्षित रखते हुए सामंजस्य और सद्भाव के साथ फिर से मंदिर स्थापित किया जाएगा, ताकि श्रद्धालु फिर से वहां पूजा-अर्चना कर सकें।

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