सेवा के दौरान मौत होने पर परिवार को पेंशन देने की योजना की महाराष्ट्र सरकार की घोषणा के बावजूद हजारों सरकारी कर्मचारियों ने पुरानी पेंशन योजना बहाल करने की मांग को लेकर अपनी हड़ताल शुक्रवार को लगातार चौथे दिन जारी रखी।
इस बीच मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने कर्मचारियों से वार्ता के लिए आगे आने की अपील की है। वहीं दूसरी ओर बंबई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र के सरकारी कर्मचारियों के प्रदर्शन के बीच राज्य सरकार से शुक्रवार को पूछा कि गैर-कानूनी हड़तालों के ‘‘खतरों को रोकने’’ के लिए वह क्या कर रही है?
हड़ताल की वजह से सरकारी सेवाएं प्रभावित रहीं, जबकि हड़ताली कर्मचारी के संगठनों के साझा मंच ने आरोप लगाया कि गतिरोध दूर करने के लिए सरकार ‘कोई पहल’ नहीं कर रही है, इसलिए शनिवार को भी हड़ताल जारी रहेगी।
मुख्यमंत्री शिंदे ने नये सिरे से अपील करते हुए यहां संवाददाताओं से कहा कि कर्मचारी वार्ता की मेज पर आएं। उन्होंने कहा, ‘‘हमने पुरानी पेंशन योजना का अध्ययन करने के लिए तीन-सदस्यीय समिति बनाई है और यह अपनी रिपोर्ट तीन महीने में देगी।’’
इस बीच, राज्य मंत्रिमंडल ने फैसला किया कि सेवा अवधि में कर्मचारी की मौत होने पर पारिवारिक पेंशन की सुविधा उसके आश्रित को दी जाएगी। मौजूदा समय में राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) के तहत राज्यकर्मी की मौत होने पर 10 लाख रुपये की अनुकंपा राशि दी जाती है। हालांकि, पेंशन का विकल्प लेने वाले परिवार को अनुग्रह राशि का भुगतान नहीं किया जाएगा।
राज्य सरकार के कर्मचारियों, अर्द्ध-सरकारी कर्मचारियों और शिक्षकों के करीब 35 संगठनों का प्रतिनिधित्व करने वाली समिति के संयोजक विश्वास काटकर ने कहा, ‘‘कर्मचारियों की मौत होने पर एनपीएस के तहत लाभ देने का फैसला किया गया है, लेकिन उनका क्या जो जिंदा हैं और जिन्हें पुरानी पेंशन योजना का लाभ देने से इनकार किया जा रहा है।’’
कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश एस.वी. गंगापुरवाला और न्यायमूर्ति संदीप मार्ने की खंडपीठ ने हड़ताल के खिलाफ अधिवक्ता गुणरत्न सदावर्ते द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा कि आम लोगों को परेशानी नहीं होनी चाहिए।
याचिका में शिक्षण और चिकित्सकीय क्षेत्र के कर्मचारियों सहित अन्य सरकारी कर्मचारियों की हड़ताल को तत्काल वापस लेने का निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।
महाराष्ट्र में पुरानी पेंशन योजना (ओपीएस) बहाल करने की मांग को लेकर राज्य के लाखों सरकारी कर्मचारी अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं। इससे राज्य में प्रशासनिक कामकाज और कई सेवाएं प्रभावित हो रही हैं।
महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने अदालत को बताया कि हड़ताल ‘‘अवैध’’ है और उन्होंने आश्वासन दिया कि राज्य सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए सभी प्रयास कर रही है कि हड़ताल के कारण किसी भी व्यक्ति को परेशानी न हो।
पीठ ने सरकार से स्पष्ट रूप से यह बताने को कहा कि वह बुनियादी सुविधाओं व आवश्यक सेवाओं तक जनता की पहुंच सुनिश्चित करने के लिए क्या कदम उठा रही है।
अदालत ने कहा, ‘‘ हमें चिंता है आम नागरिक आवश्यक सेवाओं से वंचित न रह जाएं। आम नागरिकों को परेशानी नहीं होनी चाहिए। हम जानना चाहते हैं कि इस खतरे को रोकने के लिए राज्य सरकार क्या कदम उठा रही है। लोगों को बुनियादी सुविधाएं तथा आवश्यक सेवाएं उपलब्ध कराने के लिए सरकार क्या कर रही है।’’
अदालत ने मामले को 23 मार्च के लिए सूचीबद्ध करते हुए कहा कि लोगों को प्रदर्शन करने का अधिकार है, लेकिन सरकार को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि वह उचित कार्रवाई करे ताकि किसी को परेशानी न हो।