मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले समूह को ‘शिवसेना’ के नाम और उसका चुनाव चिन्ह ‘धनुष और तीर’ आवंटित करने पर शिवसेना (यूबीटी) के समर्थकों ने शनिवार को भारत निर्वाचन आयोग के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया।
प्रदर्शनकारियों ने चुनाव आयोग पर नरेंद्र मोदी सरकार के इशारे पर काम करने का आरोप लगाया। शिंदे और मोदी की पार्टी भाजपा महाराष्ट्र में सत्तारूढ़ सहयोगी हैं।
उद्धव ठाकरे गुट से जुड़े भास्कर आंबेकर ने कहा कि सभी सरकारें और संवैधानिक संस्थाएं भाजपा शासित केंद्र के दबाव में काम कर रही हैं और कानून एवं संविधान को रौंद कर फैसले किए जा रहे हैं।
उन्होंने दावा किया कि उनके समूह ने ‘24 लाख सदस्यों’ का प्रमाण दिया था, जबकि शिंदे के गुट ने ‘केवल चार लाख’ सदस्यों को दिखाया था।
आंबेकर ने कहा, “संगठन में बड़ी ताकत होने के बावजूद फैसला शिंदे गुट के पक्ष में आया। हम जनता की अदालत में जाएंगे और फैसला हमारे पक्ष में आएगा।”
ठाकरे को एक बड़ा झटका देते हुए चुनाव आयोग ने शुक्रवार को शिंदे गुट को असली शिवसेना के रूप में मान्यता दी और उसे पार्टी का ‘धनुष और तीर’ चुनाव चिन्ह आवंटित किया।
यह पहली बार है कि ठाकरे परिवार ने उस पार्टी का नियंत्रण खो दिया है जिसकी स्थापना 1966 में बाल ठाकरे ने मिट्टी के बेटों के लिए न्याय के सिद्धांतों पर की थी।