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MP: दक्षिण अफ्रीका से लाए गए चीते की केएनपी में मौत, 42 दिन में तीसरे चीते की मौत

दक्षिण अफ्रीका से मध्य प्रदेश के कूनो राष्ट्रीय उद्यान (केएनपी) में लायी गयी मादा चीता दक्षा की मंगलवार को मौत हो गई।
दक्षा की मौत के साथ ही केएनपी में अब तक तीन चीतों की मौत हो चुकी है। इससे पहले एक मादा चीता और एक नर चीते की क्रमश: 27 मार्च और 23 अप्रैल को मौत हो गई थी।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) जेएस चौहान ने कहा, ‘‘ केएनपी की एक निगरानी टीम ने सुबह दक्षा को घायल अवस्था में पाया। उसे तुरंत आवश्यक दवा और उपचार दिया गया, लेकिन दोपहर 12 बजे के आसपास उसकी मौत हो गई।

उन्होंने कहा कि दक्षा को बाड़ा नंबर एक में छोड़ा गया और दो नर चीतों, वायु और अग्नि को बाड़ा-7 में छोड़ा गया। बाद में बाड़ा-एक को बाड़ा-सात से जोड़ने वाले फाटक को एक मई को खोल दिया गया ताकि चीते संबंध बनाकर अपना कुनबा बढ़ा सकें।
वन अधिकारी ने कहा कि 30 अप्रैल को कूनो में आयोजित एनटीसीए और भारतीय वन्यजीव संस्थान और दक्षिण अफ्रीका के विशेषज्ञों की एक बैठक के दौरान लिए गए निर्णय के अनुसार फाटक खोलने का यह कदम उठाया गया था।
चौहान ने कहा कि दोनों नर चीते (अग्नि और वायु) छह मई को बाड़े-7 में दाखिल हुए और ऐसा प्रतीत होता है कि संबंध बनाने के दौरान नर चीते हिंसक हो गए जो सामान्य बात है।

ऐसे समय में निगरानी दल के लिए दखल देना मुश्किल था।
इस साल 18 फरवरी को 12 चीते (जिनमें से सात नर और पांच मादा चीते शामिल हैं) को दक्षिण अफ्रीका से केएनपी लाया गया था।
इससे पहले भारत में चीतों को पुन: बसाने की योजना के तहत नामीबिया से आठ चीतों (पांच मादा और तीन नर) को यहां लाया गया था और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उनको 17 सितंबर को बाड़ों में छोड़ा था।
सियाया नाम के एक चीते ने हाल ही में चार शावकों को जन्म दिया है। 1947 में वर्तमान छत्तीसगढ़ के कोरिया जिले में भारत में अंतिम चीता की मृत्यु हो गई और 1952 में इस प्रजाति को देश से विलुप्त घोषित कर दिया गया।

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