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राजस्थान : मुख्य सचेतक जोशी ने कहा, इस्तीफे वापस लेना चाह रहे हैं कांग्रेस विधायक

राजस्थान विधानसभा के बजट सत्र से पहले सत्तारूढ़ कांग्रेस के मुख्य सचेतक महेश जोशी ने शनिवार को कहा कि सचिन पायलट को नया मुख्यमंत्री बनाने के पार्टी के किसी भी कदम के खिलाफ इस्तीफा देने वाले कांग्रेस विधायक अब विधानसभा अध्यक्ष को सौंपे अपने इस्तीफे वापस लेना चाह रहे हैं।
इन विधायकों ने 25 सितंबर को अपने इस्तीफे विधानसभा अध्यक्ष डॉ सी.पी. जोशी को सौंपे थे। हालांकि, इस बारे में विधानसभा अध्यक्ष कार्यालय की ओर से अभी तक आधिकारिक रूप से कुछ नहीं कहा गया है।

जोशी की ताजा टिप्पणी ऐसे समय में आई है जब मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, मौजूदा कार्यकाल में अपना आखिरी व पांचवां बजट पेश करने की तैयारी कर रहे हैं। विधानसभा का बजट सत्र 23 जनवरी से शुरू होगा।
जोशी ने यहां कहा, ‘‘इस्तीफे वापस लेने की बात अध्यक्ष व विधायकों के बीच की है। विधायक जो उचित समझेंगे, वैसा फैसला करेंगे। मुझे जानकारी मिली है कि विधायकों ने इस्तीफे वापस लिए हैं। मैं समझता हूं कि इस बारे में शीघ्र ही अधिकृत रूप से स्थिति सामने आएगी।’’

क्या इस्तीफा देने वाले विधायक, इस्तीफा वापस नहीं लेने की स्थिति में विधानसभा की कार्यवाही में भाग लेंगे, यह पूछे जाने पर जोशी ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘कई बार, लोग (विधायक) सदन के सत्र के दौरान इस्तीफा दे देते हैं, लेकिन वे सदन की कार्यवाही में भी भाग लेते हैं। इसलिए, इस (90 से अधिक विधायकों के इस्तीफे) मामले में, स्थिति में कोई विसंगति नहीं है।’’
कुछ विधायकों द्वारा इस्तीफे वापस लिए जाने की खबरों पर उन्होंने कहा, ‘‘मुझे भी जानकारी मिली है कि विधायकों ने इस्तीफे वापस लिए हैं…विधायक इस्तीफे वापस ले रहे हैं। मैं भी समझता हूं कि विधायक इस्तीफे वापस लेंगे तो माहौल खुशनुमा रहेगा।’’

क्या उन्होंने इस्तीफा वापस ले लिया यह पूछे जाने पर जोशी ने कहा, ‘‘मैं भी विचार कर रहा हूं। सब कर रहे हैं तो सबके साथ मैं भी हूं।’’
वहीं, उपनेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने कहा कि कांग्रेस विधायक इस्तीफा देने का ढोंग कर जनता से छल कर रहे हैं।
राठौड़ ने ट्वीट किया, ‘‘कांग्रेस के विधायक इस्तीफे देकर फिर उसे वापस लेने का ढोंग कर प्रदेश की जनता के साथ छल कर रहे हैं। महज 0.5 फीसदी अधिक मत लेकर सत्ता में आई अंतर्कलह से जूझ रही कांग्रेस सरकार के पास कार्यकाल के अब महज 11-12 महीने शेष बचे हैं। जनता आने वाले समय में वोट की चोट से इसका जवाब देगी।’’

उल्लेखनीय है कि 25 सितंबर को मुख्यमंत्री आवास पर कांग्रेस विधायक दल (सीएलपी) की बैठक बुलाई गई थी। इसे कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव से पहले राज्य में मुख्यमंत्री को बदलने की कवायद के रूप में देखा गया क्योंकि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अध्यक्ष पद की दौड़ में सबसे आगे माना जा रहा था।

हालांकि, सीएलपी की बैठक नहीं हो सकी क्योंकि गहलोत के वफादार विधायकों ने संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल के आवास पर समानांतर बैठक की और सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाने के किसी भी संभावित कदम के खिलाफ विधानसभा अध्यक्ष जोशी को अपना इस्तीफा सौंप दिया।
इन विधायकों का कहना था कि अगर विधायक दल का नया नेता चुनना है तो वह उन 102 विधायकों में से हो जिन्होंने जुलाई 2020 में राजनीतिक संकट के दौरान अशोक गहलोत सरकार का समर्थन किया था। तब पायलट और 18 अन्य विधायकों ने गहलोत के खिलाफ बगावत की थी।

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