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चाचा Sharad Pawar से आगे निकलने की होड़ में भतीजे Ajit Pawar ने उठाया चौंकाने वाला कदम

महाराष्ट्र में चाचा भतीजे की जोड़ी यानि शरद पवार और अजित पवार की राजनीति कब क्या गुल खिला दे, इसके बारे में पहले से अनुमान लगाना मुश्किल है। कहने को चाचा और भतीजे अब अलग हो चुके हैं लेकिन समय-समय पर संकेत मिलते रहते हैं कि यह दोनों एक ही हैं। अब जब राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के मालिकाना हक के फैसले की घड़ी नजदीक आ रही है तब फिर से जो राजनीतिक संकेत दोनों गुटों की ओर से दिये जा रहे हैं उससे राजनीतिक प्रेक्षक हैरान हैं।
हम आपको बता दें कि राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के शरद पवार और अजित पवार के नेतृत्व वाले दोनों गुटों के वरिष्ठ नेताओं ने कहा है कि पार्टी में कोई विभाजन नहीं है और सभी एकजुट हैं। दोनों गुटों का यह बयान ऐसे समय आया है जब निर्वाचन आयोग ने अजित समूह की ओर से दायर याचिका के बाद छह अक्टूबर को राकांपा के प्रतिद्वंद्वी गुटों को व्यक्तिगत रूप से सुनवाई के लिए बुलाया है। हम आपको याद दिला दें कि निर्वाचन आयोग के समक्ष किये गये दावे में अजित पवार के गुट ने दावा किया है कि उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष चुना गया है। इस मुद्दे पर शरद पवार के नेतृत्व वाली राकांपा की महाराष्ट्र इकाई के प्रमुख जयंत पाटिल ने कहा, ”भारत के निर्वाचन आयोग द्वारा हमारे मामले को एक राजनीतिक दल के भीतर विवाद के रूप में मानना अनुचित है, जबकि हमने लगातार कहा है कि पार्टी में कोई विभाजन नहीं है।’’ जयंत पाटिल ने संवाददाताओं से कहा, ”शरद पवार ने निर्वाचन आयोग को लिखे अपने पत्र में इस तथ्य पर जोर दिया कि उन्हें पार्टी के भीतर कभी किसी विरोध का सामना नहीं करना पड़ा। कोई विवाद नहीं है। पार्टी की ओर से किसी भी सार्वजनिक मंच पर मेरी (शरद पवार की) नीतियों का कोई विरोध नहीं किया गया है।’’ दूसरी ओर, अजित पवार के गुट वाली राकांपा के नेता छगन भुजबल ने कहा, ”यह अच्छा है, क्योंकि पार्टी में कोई विवाद नहीं है। कुछ बदलाव हुए हैं, जैसे राष्ट्रीय अध्यक्ष का बदलाव….अजित पवार अब पार्टी के अध्यक्ष हैं और हमने पहले ही निर्वाचन आयोग को इस बारे में सूचित कर दिया है।”

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हम आपको यह भी बता दें कि जयंत पाटिल ने हाल ही में यह भी कहा था कि अगर पार्टी छोड़ने वाले लोगों का ‘‘हृदय परिवर्तन’’ हो गया है और वे इसमें लौटना चाहते हैं तो उनके प्रस्तावों को अस्वीकार नहीं करना चाहिए क्योंकि ‘‘राजनीति में संख्या बल काफी महत्व रखता है।’’ पाटिल ने दावा किया कि पार्टी छोड़ने वाले कुछ लोगों ने उनसे लौटने की इच्छा जतायी है। उन्होंने कहा कि ‘‘इन लोगों को पाला बदलने को लेकर जन भावनाओं का धीरे-धीरे पता चल रहा है।’’ 
हम आपको यह भी बता दें कि एक ओर जहां राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के दोनों गुट भारतीय निर्वाचन आयोग के समक्ष अपना-अपना पक्ष रखने की तैयारियों में जुटे हैं वहीं अजित पवार खेमे के नेता और राज्यसभा सांसद प्रफुल्ल पटेल ने राकांपा प्रमुख शरद पवार के साथ नए संसद भवन में खींची गई एक तस्वीर को साझा किया। हालांकि शरद पवार खेमे ने इसे दिग्गज नेता की ‘उदारता’ करार दिया है। प्रफुल्ल पटेल ने एक्स पर कहा, ‘नए संसद भवन में गर्मजोशी से भरा दिन। राज्यसभा चैंबर भव्य है और माननीय शरद पवार साहब के साथ यह क्षण साझा करना इसे और भी विशेष बनाता है। और अब कैफेटेरिया में दोस्तों के साथ बैठकर नाश्ता, वास्तव में एक यादगार दिन!’ हम आपको याद दिला दें कि प्रफुल्ल पटेल, अजित पवार नीत राकांपा के बागी गुट के नेता हैं। बागी गुट ने जुलाई में महाराष्ट्र की एकनाथ शिंद नीत शिवसेना और भाजपा सरकार के साथ हाथ मिलाया था।
उधर, प्रफुल्ल पटेल के पोस्ट के बारे में पूछने पर शरद पवार गुट के राष्ट्रीय प्रवक्ता क्लाईड क्रास्टो ने कहा कि भारतीय राजनीति में पार्टी (राकांपा के) संस्थापक का कद बहुत बड़ा है और सभी उनका सम्मान करते हैं। क्रास्टो ने कहा, ‘सभी दलों के लोग उनके (शरद पवार के) साथ तस्वीर खिंचवाने पर सम्मानित महसूस करते हैं और खुद शरद पवार भी विनम्रता जताते हैं। चूंकि प्रफुल्ल पटेल एक सह-सांसद हैं और नए संसद भवन के उद्घाटन के मौके पर पवार साहब, प्रफुल्ल पटेल के अनुरोध पर तस्वीर खिंचवाने के लिए उनके साथ खड़े हुए थे।’ क्रास्टो ने कहा कि यह शरद पवार की उदारता का प्रतीक है। उन्होंने कहा कि यह उनकी परिपक्वता को बयां करता है। 

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