जोशीमठ के एक संगठन ने मंगलवार को धमकी दी कि यदि उत्तराखंड सरकार इस ‘‘डूबते’’ शहर के लोगों के पुनर्वास की प्रक्रिया तत्काल नहीं शुरू करती है तो वह सड़कों पर उतरेगा।
‘जोशीमठ बचाओ संघर्ष समिति’ के संयोजक अतुल सती ने कहा कि आंदोलन के वास्ते रणनीति तैयार करने के लिए बुधवार को चमोली जिले के सीमावर्ती शहर जोशीमठ में एक बैठक बुलायी गयी है।
जोशीमठ नगर पालिका के अध्यक्ष शैलेंद्र पंवार ने कहा कि जिन घरों में दरारें पैदा हो गयी हैं, उनकी संख्या बढ़कर 600 के पार चली गयी हैं।
उन्होंने कहा कि सींगधार वार्ड के एक बड़े हिस्से में मकानों में सोमवार से दरारें पैदा हो गयी हैं।
सती ने प्रशासन का ध्यान समस्या की ओर खींचने के लिए सोमवार को देहरादून की यात्रा की थी और जोशीमठ के निवासियों के तत्काल पुनर्वास की मांग की थी।
उन्होंने कहा कि जोशमठ का आधार डूब रहा है और लोगों की जिंदगी खतरे में है।
सती ने सोमवार को कहा था, ‘‘ हम एक साल से अपने तत्काल पुनर्वास की मांग कर रहे हैं लेकिन हमारी कोई सुन नहीं रहा है।’’
उन्होंने कहा कि जोशीमठ रणनीतिक, धार्मिक और पर्यटन महत्व का अंतिम सीमावर्ती शहर है जो भूकंपीय क्षेत्र पांच में आता है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि भूकंप आया, तो जान-माल को भारी नुकसान होगा।
विशेषज्ञों की एक टीम ने भी कस्बे का सर्वेक्षण किया और पाया है कि यह धीरे-धीरे डूब रहा है। बड़ी संख्या में घरों में बड़ी दरारें दिखाई दे रही हैं।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मामले पर चमोली के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना से रिपोर्ट मांगी है और रिपोर्ट आने पर सुधार के कदम उठाने की बात कही है।