उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिले में कई सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक संगठनों ने 2018 में तत्कालीन मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के कार्यकाल के दौरान बनाए गए एक भूमि कानून को रद्द करने की मांग को लेकर शनिवार को एक रैली निकाली। इस कानून के मुताबिक राज्य में उद्योगपतियों के जमीन खरीदने की कोई सीमा तय नहीं है। इस कानून के विरोध में रैली में शामिल हुए संगठनों में उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी, सलाम समिति, भूमि बचाओ समिति, उत्तराखंड महिला मंच, उत्तराखंड छत्र संगठन, वन पंचायत सरपंच संगठन, लोक कलाकार संघ और नैनीताल बचाओ संघर्ष समिति शामिल हैं।
इन संगठनों के कार्यकर्ता रैली में हाथों में तख्तियां लिए हुए थे जिन पर भू माफिया भगाओ उत्तराखंड बचाओ लिखा हुआ था। उत्तराखंड परिवर्तन पार्टी के अध्यक्ष पी.सी. तिवारी ने कहा, ‘‘उत्तराखंड ही एक ऐसा हिमालयी राज्य है जहां उद्योग स्थापित करने के लिए कोई बाहर का उद्योगपति यहां कितनी जमीन खरीद सकता है इसकी कोई सीमा नहीं है। अन्य सभी हिमालयी राज्यों ने अपनी भूमि को स्थानीय लोगों के लिए संरक्षित कर उसकी रक्षा की है। ’’ उन्होंने कहा, ‘‘ हम 2018 में त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार द्वारा बनाए गए भूमि कानून को तत्काल निरस्त करने और भारतीय संविधान के अनुच्छेद 371 के प्रावधानों के तहत उत्तराखंड को संरक्षण देने की मांग करते हैं।