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Prabhasakshi Exclusive: पहले की सरकारें सीमा के निकट China के निर्माण को बस देखती रहती थीं, अब Bharat ने जवाब देना सीख लिया है

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी (सेवानिवृत्त) से जानना चाहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जम्मू में 90 बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का उद्घाटन किया है। इसके अलावा जम्मू में ही ‘नॉर्थ टेक सिम्पोजियम’ में स्वदेशी रूप से निर्मित रक्षा प्रणालियों का प्रदर्शन किया जा रहा है। इसे कैसे देखते हैं आप? इसके जवाब में उन्होंने कहा कि यह बहुत ही जरूरी कार्य था। उन्होंने कहा कि चीन सीमावर्ती इलाकों में बुनियादी ढांचे का विकास करता रहा लेकिन हमारी पिछली सरकारें सिर्फ देखती रहीं। लेकिन वर्तमान सरकार ने सीमावर्ती इलाकों में बुनियादी ढांचों के विकास को आगे बढ़ाया, वाइब्रेंट विलेज अभियान चलाकर सीमावर्ती गांवों का विकास किया और उनमें तमाम सुविधाएं दीं और अब रक्षा उत्पादन के मामले में देश को आत्मनिर्भर बनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि आज चीन को दिक्कत इसी बात से हो रही है कि भारत ने जवाब देना सीख लिया है। पहले उसे लगता था कि वह तो घंटे भर में अपने रक्षा साजो सामान के साथ लड़ने के लिए आ जायेगा और भारत को ऐसा करने में महीनों लग जायेंगे लेकिन अब भारत भी कुछ घंटों में ही सारा रक्षा साजो सामान लेकर पहुँच सकता है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सीमावर्ती इलाकों तक पहुँच आसान बनाने के लिए सड़क, पुल और सुरंगों के निर्माण को काफी तवज्जो दी इसके अलावा ऐसे हल्के विमान, टैंक और हथियार खरीदे गये हैं जो ज्यादा सामान लेकर तेजी के साथ ऊँचाई वाले इलाकों तक पहुँच सकते हैं।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने जम्मू-कश्मीर के सांबा जिले में 2,941 करोड़ रुपये की लागत से पूरी हुई सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) की 90 बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का उद्घाटन किया। इसके अलावा उन्होंने सांबा जिले में बिश्नाह-कौलपुर-फूलपुर रोड पर अत्याधुनिक 422.9 मीटर लंबे देवक पुल के अलावा 89 अन्य परियोजनाओं का डिजिटल माध्यम से उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि देवक पुल रक्षा बलों के लिए सामरिक महत्व का है और इससे सैनिकों, भारी उपकरणों और मशीनीकृत वाहनों को अग्रिम क्षेत्रों में तेजी से भेजने में मदद मिलेगी और क्षेत्र के सामाजिक-आर्थिक विकास को भी बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि बीआरओ परियोजनाओं में 10 सीमावर्ती राज्यों और उत्तरी एवं पूर्वोत्तर क्षेत्रों के केंद्र शासित प्रदेशों में 22 सड़कें, 63 पुल, एक सुरंग, दो हवाई पट्टियां और दो हेलीपैड शामिल हैं, जिनका निर्माण अधिकांश दुर्गम इलाकों में चुनौतीपूर्ण मौसम की स्थिति में किया गया है।

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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि डिजिटल रूप से जिन 89 परियोजनाओं का उद्घाटन किया गया उनमें से 36 अरुणाचल प्रदेश में, 25 लद्दाख में, 11 जम्मू-कश्मीर में, पांच मिजोरम में, तीन हिमाचल प्रदेश में, दो-दो सिक्किम, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल में और एक-एक नगालैंड, राजस्थान और अंडमान व निकोबार द्वीप समूह में हैं। उन्होंने कहा कि बीआरओ ने महत्वपूर्ण सामरिक परियोजनाओं को रिकॉर्ड समय में पूरा किया और उनमें से कई का निर्माण अत्याधुनिक तकनीक का उपयोग करके एक ही कार्य सत्र में किया गया। उन्होंने कहा कि अरुणाचल प्रदेश में बालीपारा-चारदुआर-तवांग रोड पर 500 मीटर लंबी नेचिफू सुरंग रणनीतिक तवांग क्षेत्र को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करेगी और यहां तैनात सशस्त्र बलों तथा प्राचीन तवांग क्षेत्र का दौरा करने वाले पर्यटकों दोनों के लिए फायदेमंद होगी। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल में बागडोगरा और बैरकपुर हवाई अड्डों के पुनर्निर्माण एवं पुनरुद्धार से न केवल सीमाओं पर भारतीय वायु सेना की रक्षात्मक और आक्रामक क्षमताओं में सुधार होगा, बल्कि क्षेत्र में वाणिज्यिक उड़ान संचालन की सुविधा भी मिलेगी। उन्होंने कहा कि रक्षा मंत्री ने पूर्वी लद्दाख में न्योमा हवाई पट्टी की डिजिटल रूप से नींव भी रखी, जिसे 218 करोड़ रुपये की लागत से विकसित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस हवाई पट्टी के निर्माण से लद्दाख में हवाई बुनियादी ढांचे को काफी बढ़ावा मिलेगा और उत्तरी सीमाओं पर भारतीय वायुसेना की क्षमता में वृद्धि होगी।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जहां तक भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) जम्मू के जगती परिसर में ‘नॉर्थ टेक संगोष्ठी’ की बात है तो इससे घरेलू रक्षा कंपनियों को काफी लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि देखा जाये तो भारत एक बदलाव के दौर से गुजर रहा है। उन्होंने कहा कि अब देश के पास ऐसी प्रणालियां मौजूद हैं जो सौ किलोमीटर के दायरे तक मौजूद हथियारों को निशाना बना सकती हैं। उन्होंने कहा कि भारत जल्द ही दुनिया के प्रमुख रक्षा उत्पादकों में से एक बनकर उभरेगा क्योंकि देश ‘‘आत्मनिर्भरता’’ की राह पर आगे बढ़ रहा है, जिसका आह्वान कुछ साल पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने किया था।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि देखा जाये तो वर्तमान में देश की सीमाएं पहले से कहीं अधिक सुरक्षित हैं। उन्होंने कहा कि भारत ने पिछले नौ वर्षों में प्रौद्योगिकी के साथ बड़ी रणनीतिक ताकत हासिल की है और इसकी सीमाएं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा रक्षा मंत्री के तहत पहले से कहीं अधिक सुरक्षित हो गई हैं। उन्होंने कहा कि अत्यंत आवश्यक सीमा बंकरों का निर्माण, सीमावर्ती निवासियों के लिए चार प्रतिशत आरक्षण और सीमा बटालियनों की स्थापना बहुत सराहनीय कदम है।

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