प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह गाजा को लेकर डोनाल्ड ट्रंप के नये ऐलान, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे, रूस-यूक्रेन युद्ध और अमेरिका तथा चीन के बीच शुरू हुए टैरिफ युद्ध से जुड़े मुद्दों पर ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) के साथ चर्चा की गयी। पेश है विस्तृत साक्षात्कार-
प्रश्न-1. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इजराइली प्रधानमंत्री से मुलाकात के बाद ऐलान कर दिया है कि गाजा पट्टी को अमेरिका अपने अधीन लेगा, इसके क्या निहितार्थ हैं? साथ ही ट्रंप ने यूएनएचआरसी से अमेरिका को अलग कर दिया है जिससे अब फलस्तीनियों को राहत राशि नहीं मिल पाएगी, इससे वहां क्या असर पड़ेगा?
उत्तर- अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अप्रत्याशित ऐलान करते हुए कहा कि अमेरिका गाजा पट्टी को अपने अधीन लेगा, इस पर अधिकार करेगा और वहां आर्थिक विकास करेगा जिससे लोगों के लिए बड़ी संख्या में रोजगार और आवास उपलब्ध होंगे। उन्होंने कहा कि व्हाइट हाउस में ट्रंप ने इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में ये बातें कहीं। उन्होंने कहा कि ट्रंप ने यह भी सुझाव दिया कि अमेरिका उस जगह को विकसित करेगा लेकिन इस बारे में ज्यादा जानकारी नहीं दी कि वहां किसे रहने की अनुमति दी जाएगी।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि हालांकि ट्रंप के इस ऐलान का दुनियाभर में विरोध शुरू हो गया है और खुद अमेरिका में भी उनके इस बयान का विरोध हो रहा है। उन्होंने कहा कि हालांकि अमेरिका के सहयोगियों ने पहले ट्रंप के प्रस्ताव का बचाव किया लेकिन अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रही निंदा के कारण वे भी पीछे हट गए। उन्होंने कहा कि लंबे समय तक न्यूयॉर्क में प्रॉपर्टी डेवलपर रहे ट्रंप को विश्व शक्तियों- रूस, चीन और जर्मनी से फटकार मिली, जिन्होंने कहा कि इससे “नई पीड़ा और नई नफरत” को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने कहा कि साथ ही सऊदी अरब ने भी इस प्रस्ताव को सिरे से खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि लेकिन इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने ट्रंप के प्रस्ताव को उल्लेखनीय बताते हुए आग्रह किया है कि इस पर विचार किया जाए, हालांकि उन्होंने इस बारे में विशेष रूप से नहीं बताया कि ट्रंप क्या पेशकश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि गाजा से फिलस्तीनियों को हटाना जातीय सफाई के समान होगा और अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत अवैध होगा।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि ट्रंप की गाजा पट्टी को अमेरिकी नियंत्रण के तहत एक अंतरराष्ट्रीय समुद्र तट रिज़ॉर्ट में पुनर्विकसित करने के दृष्टिकोण ने एक साल पहले उनके दामाद जेरेड कुशनर द्वारा पेश किए गए विचार को पुनर्जीवित कर दिया है। उन्होंने कहा कि यह पहली बार नहीं था जब ट्रंप ने रियल एस्टेट निवेश के अवसरों के संदर्भ में गाजा के बारे में बात की हो। पिछले साल अक्टूबर में उन्होंने एक रेडियो साक्षात्कारकर्ता से कहा था कि अगर सही तरीके से पुनर्निर्माण किया जाए तो गाजा “मोनाको से बेहतर” हो सकता है। उन्होंने कहा कि कुशनर ने कहा था कि गाजा की तटवर्ती संपत्ति, यह बहुत मूल्यवान हो सकती है, अगर लोग आजीविका के निर्माण पर ध्यान केंद्रित करेंगे। उन्होंने कहा कि कुशनर ने एक बार पूरे अरब-इजरायल संघर्ष को “इजरायलियों और फिलिस्तीनियों के बीच एक अचल संपत्ति विवाद से ज्यादा कुछ नहीं” के रूप में भी वर्णित किया था।
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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जहां तक ट्रंप ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद (यूएनएचआरसी) से अमेरिका के अलग होने संबंधी एक शासकीय आदेश पर हस्ताक्षर किए और फलस्तीनी शरणार्थियों के लिए एजेंसी को भविष्य में सहायता राशि जारी करने पर भी रोक लगा दी है उसका भी बड़ा असर देखने को मिलेगा। उन्होंने कहा कि इजराइल और अमेरिका ने मानवाधिकार परिषद पर इजराइल को गलत तरीके से निशाना बनाने और बदनाम करने का आरोप लगाया है। उन्होंने कहा कि अमेरिका और इजराइल ने 2019 में यूनेस्को से खुद को अलग कर लिया था और इजराइल ने एजेंसी की आलोचना करते हुए कहा था कि यह उसके देश की सीमाओं के भीतर यहूदी इतिहास को ‘‘खत्म’’ कर रही है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि वैसे एक बात तो है कि जो लोग आज ट्रंप के ऐलान का विरोध कर रहे हैं वह अमेरिकी सेना के गाजा पट्टी में उतरने पर कुछ नहीं कर पाएंगे और हमास का भी शीर्ष नेतृत्व खत्म हो चुका है और वह अमेरिकी सेनाओं से सीधी टक्कर लेने की स्थिति में नहीं बचा है। उन्होंने कहा कि लेकिन यहां एक सवाल यह भी खड़ा हो रहा है कि अमेरिका फर्स्ट का नारा देकर सत्ता में आये ट्रंप क्यों दूसरे देशों में टांग अड़ा रहे हैं?
प्रश्न-2. अमेरिकी राष्ट्रपति के निर्देश पर उन भारतीयों को भी वापस भेजा जाना शुरू हो चुका है जो वहां अवैध रूप से रह रहे थे। इसी बीच, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ट्रंप से मिलने के लिए अमेरिका भी जा रहे हैं। प्रधानमंत्री के इस अमेरिकी दौरे से भारत को क्या उम्मीदें हैं?
उत्तर- विदेश मंत्री ने संसद में कहा है कि सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए अमेरिका के साथ बातचीत कर रही है कि निर्वासित किए जा रहे भारतीयों के साथ किसी भी प्रकार का दुर्व्यवहार न हो। उन्होंने कहा कि अमेरिका से भारतीयों को निर्वासित किए जाने की प्रक्रिया नयी नहीं है और यह सभी देशों का दायित्व है कि यदि उनके नागरिक विदेशों में अवैध रूप से रह रहे हैं तो उन्हें वापस ले। उन्होंने कहा कि यह नीति केवल एक देश पर लागू नहीं है। निर्वासन की प्रक्रिया कोई नयी नहीं है, यह कई वर्षों से है। उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री ने संसद में बताया है कि विमान द्वारा निर्वासन के लिए मानक संचालन प्रक्रिया संयम के उपयोग पर बल देती है। हालांकि, हमें सूचित किया गया है कि महिलाओं और बच्चों को रोका नहीं गया है। उन्होंने कहा कि जहां तक प्रधानमंत्री मोदी के अमेरिका दौरे की बात है तो वह उनके कार्यकाल का दसवां दौरा होगा और जिन परिस्थितियों में मोदी अमेरिका जा रहे हैं उसको देखते हुए यह काफी महत्वपूर्ण हो गया है। उन्होंने कहा कि हालांकि यह भी गौर करने लायक बात है कि ट्रंप के दूसरे कार्यकाल में मोदी दूसरे हेड ऑफ द स्टेट हैं जो अमेरिकी राष्ट्रपति से मिलने जा रहे हैं। इससे पहले अब तक ट्रंप से सिर्फ इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ही मिले हैं।
प्रश्न-3. रूस-यूक्रेन युद्ध में ताजा अपडेट क्या है? यूक्रेनी राष्ट्रपति को अब अमेरिका से आगे मदद मिलने की उम्मीद बहुत कम है ऐसे में वह अब और कितना दिन युद्ध के मैदान में टिके रह पाएंगे?
उत्तर- कुल मिलाकर देखें तो यूक्रेन के 20 प्रतिशत भाग पर रूस कब्जा कर चुका है और रूस जिस तेजी से आगे बढ़ रहा है उससे आने वाले दिनों में यह प्रतिशत बढ़ सकता है। उन्होंने कहा कि अगले सप्ताह इस युद्ध को चलते हुए तीन वर्ष हो जाएंगे और इसके अब भी समाप्त होने के आसार नजर नहीं आ रहे हैं।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जहां तक युद्ध क्षेत्र के हालात की बात है तो ताजा खबर है कि रूसी सेना द्वारा यूक्रेन पर दागी गई उत्तर कोरियाई बैलिस्टिक मिसाइलें समय के साथ कहीं अधिक सटीक हो गई हैं। उन्होंने कहा कि व्लादिमीर पुतिन की सेना 2023 के अंत से आयातित उत्तर कोरियाई प्रोजेक्टाइल का उपयोग कर रही है और तब से उनकी सटीकता और प्रदर्शन में काफी बदलाव आया है। उन्होंने कहा कि पिछले कई हफ्तों में यूक्रेन पर हमला करने वाली सभी 20 से अधिक बैलिस्टिक मिसाइलें अपने निर्धारित लक्ष्य से 50-100 मीटर के भीतर गिरीं। उन्होंने कहा कि यह दिखा रहा है कि उत्तर कोरिया की सैन्य क्षमताओं में भी सुधार हो रहा है। उन्होंने कहा कि एक और खबर है कि राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रॉन द्वारा की गयी घोषणा के छह महीने बाद फ्रांसीसी मिराज 2000 लड़ाकू विमानों का पहला बैच यूक्रेन पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि फ्रांसीसी सशस्त्र बल मंत्री सेबेस्टियन लेकोर्नू ने कहा है कि फ्रांस में कई महीनों तक प्रशिक्षित यूक्रेनी पायलटों के साथ वे अब यूक्रेन के आसमान की रक्षा करेंगे।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इसके अलावा बताया जा रहा है कि पश्चिमी यूक्रेन में एक सेना भर्ती केंद्र में विस्फोट में एक व्यक्ति की मौत हो गई। उन्होंने कहा कि क्षेत्रीय प्रशासक सेर्गी ट्यूरिन ने कहा है कि कामियानेट्स-पोडिल्स्की भर्ती केंद्र में विस्फोट में चार अन्य लोग घायल हो गए। यूक्रेनी पुलिस ने कहा है कि इस साल भर्ती केंद्र पर यह नौवां हमला था। उन्होंने कहा कि यूक्रेन ने आरोप लगाया है कि अपराधी को रूसी एजेंटों द्वारा भर्ती किया गया था। उन्होंने कहा कि इसके अलावा रूस और यूक्रेन दोनों ने कहा है कि उनके पकड़े गए 150 सैनिकों को युद्ध बंदी विनिमय नीति के तहत वापस कर दिया गया है। यूक्रेनी राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने कहा, “कुछ लोग दो साल से अधिक समय से कैद में थे।” उन्होंने कहा कि रूस ने संयुक्त अरब अमीरात की मध्यस्थता से इस अदला-बदली की पुष्टि की है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इसके अलावा रक्षा मंत्री रुस्तम उमेरोव ने कहा है कि यूक्रेन की सेना अग्रिम मोर्चे पर तैनात करने के लिए रोबोटिक वाहन इकाइयां बनाएगी। उन्होंने कहा कि यूक्रेन ने कहा है कि उसका लक्ष्य एक ऐसी सेना बनाना है जहां नवीन प्रौद्योगिकियां सबसे खतरनाक कार्यों को करने में मदद करें, जिससे हमारे रक्षकों की जान बचाई जा सके। उन्होंने कहा कि यूक्रेन के रक्षा मंत्रालय ने एक रोबोटिक वाहन की तस्वीर प्रकाशित की, जिस पर बंदूक लगी हुई है। उन्होंने कहा कि यूक्रेनी अधिकारियों का कहना है कि दोनों पक्ष हर महीने हजारों हवाई ड्रोन तैनात कर रहे हैं, जमीन पर जितना संभव हो उतने सैनिकों को मानव रहित जमीनी वाहनों (यूजीवी) से बदलने की होड़ चल रही है।
प्रश्न-4. अमेरिका और चीन के बीच खासतौर पर शुरू हुआ टैरिफ युद्ध दुनिया को कैसे प्रभावित करेगा?
उत्तर- 1 फरवरी को, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने घोषणा की थी कि उनकी सरकार चीन, कनाडा और मैक्सिको पर टैरिफ लगाएगी। उन्होंने कहा कि टैरिफ 4 फरवरी की आधी रात से प्रभावी होने वाले थे। उन्होंने कहा कि कनाडा और मैक्सिको दोनों की सरकारों ने कम से कम एक अस्थायी राहत हासिल की कि ट्रंप प्रशासन ने 3 फरवरी को 30 दिनों के लिए टैरिफ लागू करने पर रोक लगाने पर सहमति व्यक्त की। उन्होंने कहा कि माना जा रहा है कि ट्रंप के चीन टैरिफ केवल एक सौदेबाजी की चाल है, जिसका उद्देश्य किसी अंतिम समझौते पर पहुंचने के लिए लाभ उठाना है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि टैरिफ की घोषणा के तुरंत बाद चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा था कि चीन इस कदम की कड़ी निंदा करता है और इसका विरोध करता है और अपने वैध अधिकारों और हितों की रक्षा के लिए आवश्यक जवाबी कदम उठाएगा। उन्होंने कहा कि चीन ने कहा था कि व्यापार और टैरिफ युद्धों का कोई विजेता नहीं होता। उन्होंने कहा कि इस खेल में भले ही कोई विजेता न हो, लेकिन चीन हार न मानने के लिए प्रतिबद्ध है। जैसे ही अमेरिकी टैरिफ लागू हुआ, बीजिंग ने अपने स्वयं के उपायों के साथ जवाब दिया। उन्होंने कहा कि चीन अपनी कई ऊर्जा जरूरतों को अमेरिका से आयात नहीं करता है। उन्होंने कहा कि अपने स्वयं के टैरिफ लागू करने के अलावा, चीन ने यह भी घोषणा की कि वह विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में अमेरिका के खिलाफ मामला दायर कर रहा है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि चीन अमेरिकी कंपनियों पर प्रतिबंधों को पूरी तरह से प्रतीकात्मक के बजाय वास्तविक तरीके से लागू करने की नई इच्छा दिखा रहा है। उन्होंने कहा कि ड्रोन और महत्वपूर्ण खनिजों जैसे प्रमुख बाजारों में अपने प्रभुत्व का लाभ उठाने के बीजिंग के हालिया प्रयास, आपूर्ति श्रृंखलाओं को हथियार बनाने और लक्षित संस्थाओं पर आर्थिक लागत लगाने की बढ़ती इच्छा को दर्शाते हैं। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग से ट्रंप की मुलाकात के बाद हालात में बदलाव आये लेकिन माना जा रहा है कि जिनपिंग अभी अमेरिकी राष्ट्रपति से मुलाकात नहीं करना चाहते।