प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने इजराइल और हमास के बीच हुए संघर्षविराम समझौते, रूस-यूक्रेन युद्ध, विदेश मंत्री एस. जयशंकर के यूरोपीय देशों के दौरे और भारत-बांग्लादेश के बीच उठ रहे नये विवाद से जुड़े मुद्दों पर ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) से चर्चा की गयी। पेश है विस्तृत साक्षात्कार-
प्रश्न-1. इजराइल और हमास के बीच हुए संघर्षविराम को आप कैसे देखते हैं? डोनाल्ड ट्रंप के अमेरिका के राष्ट्रपति पद संभालने से पहले हुए इस समझौते से क्या संदेश गया है?
उत्तर- यह संघर्षविराम नये साल पर एक नई शुरुआत की तरह है क्योंकि हिंसा से कभी मुद्दे हल नहीं हुआ करते। हालांकि हमास ने जो आतंकवादी कृत्य किया था उसका सबक सिखाया जाना जरूरी था लेकिन इस दौरान बड़ी संख्या में आम लोग भी हताहत हुए और गाजा में जो लोग बचे हैं उनके समक्ष जीवन को दोबारा शुरू करने की कठिन चुनौती है। उन्होंने कहा कि डोनाल्ड ट्रंप के आने से पहले यह जो समझौता हुआ है उसका श्रेय लेने के लिए बाइडन और ट्रंप की टीमें तमाम दावे कर रही हैं। उन्होंने कहा कि लेकिन इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता कि बाइडन ने यह समझौता कराने के लिए काफी प्रयास किये थे और इसी के चलते लंबे समय से बैठकों का दौर चल रहा था। उन्होंने कहा कि हालांकि बंधकों की रिहाई के मुद्दे पर ट्रंप ने जिस तरह की चेतावनी दी उसके चलते यह समझौता आसानी से हो गया।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि यह संघर्षविराम समझौता ‘एक महत्वपूर्ण पहला कदम’ है। उन्होंने कहा कि फलस्तीनियों, इजराइलियों और व्यापक क्षेत्र के बेहतर भविष्य के लिए एक विश्वसनीय राजनीतिक मार्ग स्थापित करने के लिए इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए। उन्होंने कहा कि इजराइल और हमास के बीच 15 महीने तक चले हिंसक संघर्ष में एक महत्वपूर्ण सफलता के रूप में दोनों पक्ष एक संघर्षविराम समझौते पर सहमत हुए हैं जो गाजा में आतंकवादियों द्वारा बंधक बनाए गए लोगों और इजराइल में सैंकड़ों फिलस्तीनी कैदियों की रिहाई का रास्ता साफ करता है। उन्होंने इस समझौते को आगे बढ़ाने में मध्यस्थों- मिस्र, कतर और अमेरिका के प्रयासों के लिए उनकी सराहना की।
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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि यह वह खबर है जिसका इजराइल और फलस्तीनी लोग इंतजार कर रहे थे। उन्होंने कहा कि युद्ध विराम से अब गाजा में पीड़ा को समाप्त करने के लिए आवश्यक मानवीय सहायता में भारी वृद्धि हो सकेगी। उन्होंने कहा कि गाजा के लोगों ने इस संघर्ष का खामियाजा भुगता है। यह हमास के क्रूर आतंकवादियों द्वारा शुरू किया गया था, जिन्होंने सात अक्टूबर 2023 को ‘होलोकॉस्ट’ के बाद से यहूदी लोगों का सबसे घातक नरसंहार किया था। उन्होंने कहा कि वह बंधक, जिन्हें उस दिन क्रूरतापूर्वक उनके घरों से निकाल दिया गया था और तब से अकल्पनीय परिस्थितियों में बंदी बनाकर रखा गया था, अब अंततः अपने परिवारों के पास लौट सकते हैं। उन्होंने कहा कि उन निर्दोष फिलस्तीनियों के लिए जिनके घर रातोंरात युद्धक्षेत्र में बदल गए और जिन लोगों ने अपनी जान गंवा दी, इस युद्ध विराम से मानवीय सहायता में भारी वृद्धि होगी, जो गाजा में पीड़ा को समाप्त करने के लिए अत्यंत आवश्यक है।
प्रश्न-2. उत्तर कोरिया के सुसाइड सोलजर्स यूक्रेन के लिए कैसे नई चुनौती बनते जा रहे हैं? साथ ही हम यह भी जानना चाहते हैं कि युद्ध में ताजा अपडेट क्या है?
उत्तर- इस सप्ताह रूस के बर्फीले पश्चिमी क्षेत्र कुर्स्क में एक लड़ाई के बाद यूक्रेनी विशेष बलों ने एक दर्जन से अधिक मारे गए उत्तर कोरियाई दुश्मन सैनिकों के शवों को खोज निकाला। उनमें से उन्हें एक अभी भी जीवित मिला। लेकिन जैसे ही वे पास आए, उसने एक ग्रेनेड विस्फोट कर खुद को उड़ा लिया। उन्होंने कहा कि कुछ उत्तर कोरियाई सैनिक चरम उपायों का सहारा ले रहे हैं जिससे यूक्रेन की मुश्किल बढ़ गयी है। उन्होंने कहा कि वास्तव में सैनिक किम जोंग उन के लिए खुद को बलिदान करने के लिए तैयार दिख रहे हैं। उन्होंने कहा कि उत्तर कोरिया ने रूस के पश्चिमी कुर्स्क क्षेत्र में मास्को की सेना का समर्थन करने के लिए लगभग 11,000 सैनिकों को तैनात किया है। उन्होंने कहा कि उत्तर कोरिया की रूस में तैनाती 1950-53 के कोरियाई युद्ध के बाद किसी युद्ध में उसकी पहली बड़ी भागीदारी है। उन्होंने कहा कि उत्तर कोरिया ने कथित तौर पर वियतनाम युद्ध और सीरिया में नागरिक संघर्ष के दौरान एक छोटी टुकड़ी भेजी थी।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि उत्तर कोरिया के नेता किम ने पहले अपनी सेना को “दुनिया में सबसे मजबूत” बताया था। 2023 में शासन द्वारा जारी वीडियो में नंगे सीने वाले सैनिकों को बर्फीले मैदानों में दौड़ते, जमी हुई झीलों में कूदते और शीतकालीन प्रशिक्षण के लिए बर्फ के ब्लॉकों पर मुक्का मारते हुए दिखाया गया था। उन्होंने कहा कि चिंता की बात यह है कि ऐसे संकेत हैं कि रूस की ओर से लड़ रहे उत्तर कोरियाई सैनिकों को आत्महत्या करने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने कहा कि मारे गए उत्तर कोरियाई सैनिकों द्वारा लिए गए मेमो से यह भी पता चलता है कि उत्तर कोरियाई अधिकारियों ने पकड़े जाने से पहले आत्म-विनाश और आत्महत्या पर जोर दिया था। उन्होंने कहा कि सैनिकों या जासूसों द्वारा की गई आत्महत्याएं न केवल किम जोंग उन शासन के प्रति वफादारी दिखाती हैं, बल्कि यह घर पर छोड़े गए अपने परिवारों की रक्षा करने का एक तरीका भी है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन की सेना को अब डर लग रहा है कि उत्तर कोरियाई सैनिकों के करीब जाना भारी पड़ सकता है इसलिए उनमें घबराहट देखी जा रही है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जहां तक युद्ध क्षेत्र के ताजा हालात की बात है तो रूस लगातार आगे बढ़ा जा रहा है और अब तो पश्चिमी मीडिया भी मानने लगा है कि यूक्रेन का बड़ा भाग रूसी कब्जे में जा चुका है। उन्होंने कहा कि यूक्रेन की वायु सेना ने दावा किया है कि रूस ने 43 क्रूज और बैलिस्टिक मिसाइलों के साथ-साथ 74 ड्रोन से उसके पश्चिमी हिस्से पर हमला किया। उन्होंने कहा कि रूसी अधिकारियों ने हमले की पुष्टि करते हुए कहा कि यह अमेरिका और ब्रिटेन निर्मति मिसाइलों के साथ रूसी सेना के कारखानों और ऊर्जा केंद्रों पर कीव के हवाई हमले के जवाब में था। उन्होंने कहा कि यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने देश के ऊर्जा क्षेत्र पर रूस के नवीनतम हमलों की निंदा की है और विदेशी सहयोगियों से अधिक सुरक्षा सहायता की मांग की है। उन्होंने कहा कि ज़ेलेंस्की ने साथ ही कहा है कि उन्हें उम्मीद है कि अगले सप्ताह डोनाल्ड ट्रम्प के राष्ट्रपति पद संभालने के बाद अमेरिका रूस के खिलाफ यूक्रेन की सैन्य क्षमताओं का समर्थन करना जारी रखेगा।
प्रश्न-3. विदेश मंत्री एस. जयशंकर के यूरोपीय देशों के दौरे का क्या महत्व रहा?
उत्तर- विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत यूरोपीय संघ के साथ घनिष्ठ साझेदारी का इच्छुक है और यह भागीदारी भविष्य में भूमध्यसागरीय क्षेत्र में अधिक दिखाई देगी। उन्होंने कहा कि स्पेन दौरे के दौरान जयशंकर ने अपने समकक्ष जोस मैनुअल अल्बेरेस के साथ क्षेत्रीय और वैश्विक मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री के रूप में जयशंकर की यह पहली स्पेन यात्रा थी और यह स्पेन के राष्ट्रपति पेड्रो सांचेज की भारत यात्रा के लगभग ढाई महीने बाद हुई है। उन्होंने कहा कि इस यात्रा के दौरान व्यापार, निवेश, रक्षा, सुरक्षा, शहरी विकास, रेलवे, हरित हाइड्रोजन, जलवायु कार्रवाई और लोगों से लोगों के बीच संबंधों पर द्विपक्षीय साझेदारी पर सार्थक बातचीत हुई। उन्होंने कहा कि भारत मजबूत भारत-यूरोपीय संघ संबंधों और एक विश्वसनीय भूमध्यसागरीय भागीदार के समर्थक के रूप में स्पेन की सराहना करता है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि बैठक के बाद स्पेनी विदेश मंत्री के साथ प्रेस से बातचीत करते हुए जयशंकर ने कहा कि भारत में 230 स्पेनी कंपनियां हैं। उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने रक्षा और सुरक्षा के क्षेत्र में कुछ उल्लेखनीय उपलब्धियां हासिल की हैं। उन्होंने कहा कि भारत स्पेन के साथ अपने रक्षा और सुरक्षा सहयोग को मजबूत करने के लिए तत्पर है। उन्होंने कहा कि एक महत्वपूर्ण विषय जिस पर दोनों पक्ष सहमत हुए हैं वह 2026 को संस्कृति, पर्यटन और एआई का वर्ष घोषित करना है तथा मुझे लगता है कि इससे हमारे लोगों को और करीब लाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि भारत की भूमध्य सागर में गहरी रुचि है। संयुक्त राष्ट्र में भारत की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय शांति सैनिक लेबनान और ‘गोलान हाइट्स’ में तैनात हैं। उन्होंने कहा कि इसके अलावा जयशंकर ने अपनी यात्रा के दौरान मैड्रिड में राजदूतों के 9वें वार्षिक सम्मेलन को संबोधित किया। सम्मेलन का विषय ‘हमारी अपनी पहचान के साथ विदेश नीति’ था। उन्होंने कहा कि इसके अलावा अपनी यात्रा के दौरान विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने स्पेन के राष्ट्रपति पेड्रो सांचेज से मुलाकात कर भारत-स्पेन के बीच ‘‘दीर्घकालिक’’ साझेदारी को मजबूत बनाने को लेकर प्रतिबद्धता दोहराई और द्विपक्षीय सहयोग में हुई प्रगति के बारे में उन्हें जानकारी दी।
प्रश्न-4. बांग्लादेश सीमा पर भारत की ओर से बाड़ लगाने का विरोध क्यों कर रहा है? यह कौन-सा क्षेत्र है जिस पर बांग्लादेश को बाड़ लगाने पर आपत्ति हो रही है?
उत्तर- भारत और बांग्लादेश के बीच दो बार स्थगित हो चुकी महानिदेशक (डीजी) स्तर की वार्ता अब 16 फरवरी से दिल्ली में होने की उम्मीद है, जिसमें बाड़ लगाने और बांग्लादेश में राजनीतिक उथल-पुथल के बाद घुसपैठ की कोशिशों में बढ़ोतरी का मुद्दा चर्चा का प्रमुख एजेंडा रहेगा। उन्होंने कहा कि बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश का एक प्रतिनिधिमंडल 16 से 19 फरवरी के बीच भारत के सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के साथ इस द्विवार्षिक वार्ता में चर्चा करेगा। उन्होंने कहा कि पिछले साल पांच अगस्त को शेख हसीना के अपदस्थ होने के बाद दोनों सेनाओं के बीच यह पहली शीर्ष स्तरीय चर्चा होगी। उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों के बीच वार्ता के मुद्दों पर काम किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि पिछले साल ये वार्ता दो बार स्थगित हो गई थी।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि दोनों देशों के बीच कुल 4,096 किलोमीटर लंबी अंतरराष्ट्रीय सीमा के लगभग 95.8 किलोमीटर को कवर करने वाले लगभग 92 चिह्नित हिस्सों पर सहमति के अनुसार ‘सिंगल रो’ की बाड़ के निर्माण को लेकर बांग्लादेश की आपत्तियों से संबंधित मुद्दों को इस बैठक के दौरान प्रमुखता से उठाए जाने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेश ने सप्ताहांत में ढाका में भारतीय उच्चायुक्त प्रणय वर्मा को बुलाकर बाड़ लगाने और सीमा पर हत्याओं के संबंध में बीएसएफ की गतिविधियों पर गहरी चिंता व्यक्त की थी। अगले दिन, भारत ने दिल्ली में बांग्लादेश के कार्यवाहक उच्चायुक्त नूरल इस्लाम को स्पष्ट कर दिया कि बाड़ लगाने के दौरान सभी निर्धारित प्रोटोकॉल का पालन किया जा रहा है। इसमें उम्मीद जताई गई थी कि बांग्लादेश द्वारा सभी पूर्व समझौतों को लागू किया जाएगा और सीमा पार अपराधों से निपटने के लिए एक सहयोगात्मक दृष्टिकोण अपनाया जाएगा।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि सीमा वार्ता के दौरान भारत की ओर से सीमा पर बांग्लादेशी नागरिकों के घुसपैठ के प्रयासों में बढ़ोतरी के मुद्दे पर भी चर्चा किए जाने की उम्मीद है। उन्होंने कहा कि आंकड़ों के अनुसार, पिछले वर्ष अगस्त से दिसंबर के बीच बीएसएफ के जवानों ने 1,956 बांग्लादेशी नागरिकों को पकड़ा था। उन्होंने कहा कि महानिदेशक स्तर की सीमा वार्ता 1975 और 1992 के बीच सालाना आयोजित की जाती थी, लेकिन 1993 में इसे द्विवार्षिक कर दिया गया, जिसमें दोनों पक्ष बारी-बारी से नयी दिल्ली और ढाका में वार्ता आयोजित करते हैं। उन्होंने कहा कि पिछला संस्करण मार्च में ढाका में आयोजित किया गया था, जब भारतीय प्रतिनिधिमंडल बांग्लादेश गया था।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि सुरक्षा के लिए सीमा पर बाड़ लगाने के संबंध में दोनों देशों के बीच आपसी सहमति है। इस संबंध में बीएसएफ और बीजीबी (सीमा सुरक्षा बल और बॉर्डर गार्ड बांग्लादेश) के बीच बातचीत जारी है। उन्होंने कहा कि हम उम्मीद करते हैं कि आपसी सहमति को लागू किया जायेगा और अपराध से निपटने के लिए सहयोगपूर्ण दृष्टिकोण अपनाया जायेगा। उन्होंने कहा कि भारत और बांग्लादेश के बीच सीमा गतिविधियों को नियंत्रित करने के लिए चार समझौता ज्ञापन (एमओयू) हैं। उन्होंने कहा कि इनमें से 1975 के एमओयू में यह स्पष्ट किया गया है कि रक्षा क्षमता वाला कोई भी विकास कार्य जीरो लाइन के 150 गज के भीतर नहीं किया जा सकता। दूसरे एमओयू में कहा गया है कि आपसी सहमति के बिना इस सीमा के भीतर कोई भी विकास कार्य नहीं किया जा सकता। ऐसे किसी भी कार्य के लिए दोनों देशों के बीच पूर्व सहमति की आवश्यकता होती है। उन्होंने कहा कि ऐसी रिपोर्टें हैं कि भारत ने बांग्लादेश के साथ 4,156 किलोमीटर लंबी सीमा में से 3,271 किलोमीटर पर पहले ही बाड़ लगा दी है और लगभग 885 किलोमीटर सीमा बिना बाड़ के रह गई है। उन्होंने कहा कि हाल में पांच क्षेत्रों में विवाद सामने आए हैं, जिनमें (उत्तर-पश्चिमी) चपैनवाबगंज, नौगांव, लालमोनिरहाट और तीन बीघा कॉरिडोर शामिल हैं।