प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह हमने अमेरिका में हुए सत्ता परिवर्तन, इजराइल हमास संघर्षविराम, रूस-यूक्रेन युद्ध और पाकिस्तान चीन संबंधों मुद्दों पर ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी सेवानिवृत्त के साथ चर्चा की। पेश है विस्तृत साक्षात्कार-
प्रश्न-1. डोनाल्ड ट्रंप ने अमेरिका की कमान संभाल ली है और आते ही जिस तरह के फैसले लेने शुरू किये हैं उससे विश्व राजनीति पर क्या असर पड़ने जा रहा है?
उत्तर- अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अपने दूसरे कार्यकाल की शुरुआत में कहा है कि अमेरिका का स्वर्णिम युग शुरू हो गया है और जल्द ही पूरी दुनिया अधिक शांतिपूर्ण और समृद्ध होगी। उन्होंने कहा कि ट्रंप ने अभी पद संभाला ही है और जिस तरह से गंभीरता के साथ उन्होंने कड़े फैसले लेने शुरू किये हैं उसका असर आने वाले दिनों में निश्चित तौर पर दिखेगा।
प्रश्न-2. संघर्षविराम के बाद गाजा और इजराइल में क्या हालात हैं?
उत्तर- गाजा में बंदूकें भले ही शांत हो गई हों, लेकिन लोगों के लिए पीड़ा अभी खत्म नहीं हुई है। वहां लोग मलबे में दबी अपनों की लाशें ढूंढ़ते देखे जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि मलबा हटाने के उपकरण नहीं होने के चलते लोगों को बड़ी परेशानी हो रही है। उन्होंने कहा कि रविवार को हमास और इज़राइल के बीच संघर्ष विराम लागू होने के बाद से फिलिस्तीनी नागरिक आपातकालीन सेवा और चिकित्सा कर्मचारियों ने लगभग 200 शव बरामद किए हैं। उन्होंने कहा कि अब तक 47,000 से अधिक गाज़ावासी मारे गए हैं।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि गाजा में सेवा मामलों के प्रमुख महमूद बसल का कहना है कि इज़राइल ने उनके कई वाहनों को नष्ट कर दिया है और उनके कर्मचारियों को मार डाला है। बेसल का अनुमान है कि युद्ध में मारे गए लगभग 10,000 फ़िलिस्तीनियों के शव अभी तक नहीं मिले हैं और उन्हें दफनाया नहीं गया है। उन्होंने कहा कि उनके पास साजो सामान ही नहीं है जिससे वह मलबा हटाने में नागरिकों की मदद कर सकें। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, इस महीने जारी संयुक्त राष्ट्र क्षति आकलन से पता चला है कि इज़राइल की बमबारी के बाद बचे 50 मिलियन टन से अधिक मलबे को साफ करने में 21 साल लग सकते हैं और इसमें 1.2 बिलियन डॉलर तक की लागत आ सकती है। उन्होंने कहा कि पंद्रह महीने के युद्ध ने गाजा को मलबे, बमबारी वाली इमारतों और अस्थायी शिविरों की एक बंजर भूमि बना दिया है, जिसमें सैंकड़ों हजारों हताश लोग सर्दियों की ठंड से बचने का प्रयास कर रहे हैं और जो भी सहायता उन तक पहुंच सकती है उसी के बलबूते जीवित रह रहे हैं।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि हमास के अधिकारी मलबे की सफाई की निगरानी कर रहे हैं। समूह के बंदूकधारी गाजा की धूल भरी सड़कों पर सहायता काफिले की रक्षा भी कर रहे हैं और इसकी नीली वर्दी वाली पुलिस एक बार फिर शहर की सड़कों पर गश्त कर रही है, जो एक स्पष्ट संदेश भेज रही है कि इस इलाके में हमास प्रभारी बना हुआ है। उन्होंने कहा कि गाजा के हमास द्वारा संचालित प्रशासन ने सुरक्षा को फिर से लागू करने, लूटपाट पर अंकुश लगाने और एन्क्लेव के कुछ हिस्सों में बुनियादी सेवाओं को बहाल करना शुरू कर दिया है, जिनमें से कुछ हिस्सों को इजरायल ने बंजर भूमि में बदल दिया है। उन्होंने कहा कि हमास गाजा में गहराई से जमा हुआ है। उन्होंने कहा कि यह इस्लामी समूह न केवल गाजा के सुरक्षा बलों को नियंत्रित करता है, बल्कि इसके प्रशासक मंत्रालय और सरकारी एजेंसियां चलाते हैं, कर्मचारियों को वेतन देते हैं और अंतरराष्ट्रीय गैर सरकारी संगठनों के साथ समन्वय करते हैं।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि हमास की सैन्य क्षमता का आकलन करना कठिन है क्योंकि इसका रॉकेट शस्त्रागार छिपा हुआ है और इसके कई सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षित लड़ाके मारे गए होंगे, लेकिन फिर भी यह गाजा में प्रमुख सशस्त्र समूह बना हुआ है। उन्होंने कहा कि युद्धविराम की शर्तों के तहत, इज़राइल को मध्य गाजा से अपने सैनिकों को वापस लेना होगा और शुरुआती छह सप्ताह के चरण के दौरान फिलिस्तीनियों को उत्तर में लौटने की अनुमति देनी होगी, जिसमें कुछ बंधकों को रिहा किया जाएगा। उन्होंने कहा कि वैसे इजराइली विदेश मंत्री गिदोन सार ने कहा है कि अगर हमास गाजा पट्टी में सत्ता में रहता है तो दोनों पक्षों के लिए शांति, स्थिरता और सुरक्षा का कोई भविष्य नहीं है। उन्होंने कहा कि साथ ही संयुक्त अरब अमीरात और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के नए प्रशासन सहित प्रमुख दानदाताओं ने इस बात पर जोर दिया है कि हमास (जिसे कई पश्चिमी देशों द्वारा आतंकवादी संगठन के रूप में नामित किया गया है) युद्ध के बाद गाजा में सत्ता में नहीं रह सकता है। उन्होंने कहा कि राजनयिक अंतरराष्ट्रीय शांति सैनिकों से जुड़े मॉडल पर चर्चा कर रहे हैं, जिसमें संयुक्त अरब अमीरात और अमेरिका, अन्य देशों के साथ, अस्थायी रूप से गाजा के शासन, सुरक्षा और पुनर्निर्माण की देखरेख करेंगे, जब तक कि एक फिलिस्तीनी प्राधिकरण कार्यभार संभालने में सक्षम न हो जाए। उन्होंने कहा कि यह भी कहा जा रहा है कि मिस्र द्वारा समर्थित एक अन्य मॉडल में फतह और हमास दोनों से बनी एक संयुक्त समिति फिलिस्तीनी प्राधिकरण की देखरेख में गाजा को चलाएगी।
प्रश्न-3. रूस-यूक्रेन युद्ध में ताजा अपडेट क्या है, यदि दोनों देशों के बीच युद्धविराम होता है तो किन शर्तों पर बात बन सकती है?
उत्तर- ताजा रिपोर्टों के अनुसार, दक्षिणी यूक्रेन के शहर ज़ापोरिज़िया पर रूसी मिसाइल हमले में 47 वर्षीय एक व्यक्ति की मौत हो गई है। इसके अलावा इस हमले में दो महीने के बच्चे सहित 16 अन्य घायल हो गए। उन्होंने कहा कि यूक्रेनी वायु सेना ने कहा है कि रूस ने रात भर में यूक्रेन की ओर 99 ड्रोन लॉन्च किए। वायु सेना ने कहा कि कीव के सैनिकों ने 65 ड्रोन नष्ट कर दिए जबकि 30 रडार से गायब हो गए। उन्होंने कहा कि यूक्रेन के छह क्षेत्रों में ड्रोन के हमले की सूचना मिली। उन्होंने कहा कि इसके अलावा रूस के रक्षा मंत्रालय ने पुष्टि की है कि मॉस्को की सेना ने यूक्रेन के उत्तरपूर्वी खार्किव क्षेत्र के जैपडने गांव पर कब्जा कर लिया है। यह गांव ओस्किल नदी के पश्चिमी तट पर है, जिसने लंबे समय तक क्रेमलिन और कीव की सेनाओं के बीच अग्रिम पंक्ति बनाई थी। उन्होंने कहा कि एक और रिपोर्ट है कि यूक्रेन की उप प्रधान मंत्री यूलिया स्विरिडेंको ने कहा है कि 2022 में यूक्रेन पर रूस के पूर्ण पैमाने पर आक्रमण के बाद से रूस ने कीव की ऊर्जा सुविधाओं पर 1,200 बार हमला किया है, जिसमें बिजली उत्पादन सुविधाओं, वितरण चैनलों और गैस सुविधाओं को लक्षित हमले भी शामिल हैं।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इसके अलावा, यूक्रेनी राष्ट्रपति लगातार दूसरे देशों से मदद जुटाने पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि जर्मन समाचार एजेंसी डॉयचे प्रेसे एजेंटुर ने बताया है कि 2024 में बर्लिन द्वारा निर्यात के लिए स्वीकृत 13.8 अरब डॉलर मूल्य के हथियारों और सैन्य उपकरणों में से 8.48 अरब डॉलर यूक्रेन के लिए भेजे जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि साथ ही यूक्रेन के राष्ट्रपति वलोडिमिर ज़ेलेंस्की ने स्विट्जरलैंड के दावोस में विश्व आर्थिक मंच में कई अन्य वैश्विक नेताओं से भी मुलाकात की। यह चर्चा कीव के लिए रक्षा और सुरक्षा सहायता, रूस के खिलाफ बढ़ते प्रतिबंधों, रूस द्वारा यूक्रेन से जबरन लिए गए 53 बच्चों की वापसी में मध्यस्थता और स्थायी शांति की संभावना पर केंद्रित थी। उन्होंने कहा कि इसके अलावा, रूस की इंटरफैक्स समाचार एजेंसी ने बताया कि रूसी उप विदेश मंत्री सर्गेई रयाबकोव ने कहा है कि मॉस्को को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के तहत नए प्रशासन के साथ एक समझौता करने के अवसर की केवल एक छोटी-सी खिड़की दिखती है। उन्होंने कहा कि साथ ही संयुक्त राष्ट्र में रूस के उप राजदूत दिमित्री पोलांस्की ने ट्रम्प की धमकियों का जवाब देते हुए कहा है कि मॉस्को को देखना होगा कि ट्रम्प का “सौदे” से क्या मतलब है। पॉलींस्की ने यह भी कहा कि हालांकि ट्रंप अमेरिका की “दुर्भावनापूर्ण रूस विरोधी” नीति के लिए ज़िम्मेदार नहीं हैं, लेकिन अब उनके पास इसे ख़त्म करने की शक्ति है।
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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जहां तक ट्रंप की ओर से दी गयी धमकी की बात है तो उन्होंने अपने रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन को यूक्रेन में ‘बेतुके युद्ध’ को समाप्त करने को कहा है। उन्होंने कहा कि ट्रंप ने चेतावनी देते हुए कहा है कि रूस यूक्रेन के खिलाफ युद्ध को खत्म करे या फिर अत्यधिक शुल्क और आगामी प्रतिबंधों का सामना करने के लिए तैयार रहे। उन्होंने कहा कि ट्रंप ने सोशल मीडिया पोस्ट में रूस के राष्ट्रपति पुतिन का नाम लिया और कहा कि उनके एवं पुतिन के बीच हमेशा अच्छे संबंध रहे हैं, लेकिन अब इस ‘‘बेतुके युद्ध’’ को खत्म करने का समय आ गया है।’’ उन्होंने कहा कि ट्रंप ने कहा कि वह रूस के खिलाफ कुछ कड़े कदम उठाने पर विचार कर रहे हैं और चाहते हैं कि युद्ध में और लोगों की जान नहीं जाए। उन्होंने कहा कि ट्रंप ने कहा है कि मैं रूसी लोगों से प्यार करता हूं तथा राष्ट्रपति पुतिन के साथ मेरे हमेशा बहुत अच्छे संबंध रहे हैं। हमें यह कभी नहीं भूलना चाहिए कि रूस ने हमें द्वितीय विश्व युद्ध जीतने में मदद की, इस प्रक्रिया में लगभग 60,000,000 लोगों की जान चली गई। उन्होंने कहा कि साथ ही ट्रंप ने यह भी चेतावनी दी कि अगर जल्द संघर्ष विराम समझौता नहीं हुआ, तो उनके पास रूस द्वारा अमेरिका और अन्य भागीदार देशों को बेची जाने वाली किसी भी वस्तु पर शुल्क, कर और प्रतिबंध लगाने के अलावा कोई अन्य विकल्प नहीं होगा। उन्होंने कहा कि ट्रंप कई महीनों से यूक्रेन में संघर्ष विराम का आह्वान कर रहे हैं और दोनों पक्षों से बातचीत करने का आग्रह कर रहे हैं।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि रूसी सेना ने 2022 की शुरुआत में यूक्रेन पर हमला किया था और तब से लेकर अब तक करीब तीन साल से जारी लड़ाई में दोनों पक्षों को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। उन्होंने कहा कि अपने चुनाव प्रचार अभियान के दौरान ट्रंप ने बार-बार कहा था कि अगर वह राष्ट्रपति चुने गए तो वह रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध को एक दिन में सुलझा सकते हैं। उन्होंने कहा कि हालांकि अब ट्रंप और उनकी टीम को लग रहा है कि यह मुद्दा सुलझने में छह महीने तक भी लग सकते हैं। उन्होंने कहा कि संभावना है कि आने वाले दिनों में ट्रंप और पुतिन की जल्द मुलाकात हो और इस युद्ध का समापन हो जाये।
प्रश्न-4. पाकिस्तान में चीन द्वारा बनाया गया सबसे बड़ा हवाई अड्डा चालू हो चुका है, इसका क्या महत्व है?
उत्तर- दक्षिण एशिया के एक तीसरे देश में चीन निर्मित हवाई अड्डा है। जैसा कि पाकिस्तान अपने सबसे बड़े अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर खुशी मना रहा है, जिसे उसके सदाबहार सहयोगी चीन ने बनाया है, सवाल यह है कि क्या वह नेपाल और श्रीलंका में चीनी वित्त पोषित और निर्मित हवाई अड्डों के भाग्य से बच सकता है। उन्होंने कहा कि श्रीलंका में मटाला राजपक्षे अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा (MRIA) 2013 में खोला गया था और इसे चीन EXIM बैंक द्वारा वित्त पोषित किया गया था। अपनी कम उड़ानों की संख्या, पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील स्थान और लगातार वित्तीय घाटे के कारण, इसे “दुनिया का सबसे खाली हवाई अड्डा” का उपनाम मिला है। उन्होंने कहा कि श्रीलंका कर्ज के जाल में फंस गया और 2024 में हवाई अड्डे का प्रबंधन दो भारतीय और रूसी कंपनियों को सौंप दिया गया। उन्होंने कहा कि भारत के एक अन्य पड़ोसी देश, हिमालयी राष्ट्र नेपाल को भी ऐसा ही अनुभव हुआ। चीन ने पोखरा में एक अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे का वित्तपोषण और निर्माण किया। एयरपोर्ट से चीन से केवल एक या दो उड़ानें ही संचालित होंगी। उन्होंने कहा कि 2024 में नेपाल सरकार को औपचारिक रूप से पोखरा हवाई अड्डे के निर्माण के लिए किए गए 216 मिलियन अमेरिकी डॉलर के कर्ज से राहत मांगनी पड़ी। उन्होंने कहा कि सुरक्षा कारणों से कई बार उद्घाटन टालने के बाद इस साल 21 जनवरी को पाकिस्तान ने बलूचिस्तान में ग्वादर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे का उद्घाटन किया। उन्होंने कहा कि दक्षिण-पश्चिमी बलूचिस्तान में अलगाववादी आतंकवादी हमलों के कारण क्षेत्र में चीनी निवेश पर हमला हो रहा है। उन्होंने कहा कि यह हवाई अड्डा पाकिस्तान के किसी काम का नहीं है।