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Shaurya Path: Israel-Hamas Conflict, Jaishankar’s Vietnam Visit, Putin-Jinping Meeting और Russia-Ukraine War से जुड़े मुद्दों पर Brigadier Tripathi से बातचीत

प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में आप सभी का स्वागत है इस सप्ताह इजराइल-हमास युद्ध से जुड़े विभिन्न पहलुओं, विदेश मंत्री एस. जयशंकर की वियतनाम यात्रा, चीनी और रूसी राष्ट्रपति की मुलाकात और रूस-यूक्रेन युद्ध के ताजा हालात से जुड़े मुद्दों पर ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) के साथ चर्चा की गयी। पेश है विस्तृत साक्षात्कार-
प्रश्न-1. इजराइल-हमास युद्ध अब किस दिशा में जाता दिख रहा है?
उत्तर- जहां तक दोनों ओर से हो रहे अमानवीय व्यवहार की बात है तो इसमें कोई दो राय नहीं कि अंतरराष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन इजराइल और हमास कर ही रहे हैं। उन्होंने कहा कि हर घड़ी इज़राइल-हमास संघर्ष में और भयावहता की खबरे आ रही हैं। ऐसे में अंतर्राष्ट्रीय कानून को क्या भूमिका निभानी चाहिए? और क्या वास्तव में इसमें लड़ाकों के व्यवहार को बाधित करने की कोई क्षमता है?
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि 7 अक्टूबर को, हमास आतंकवादी समूह ने जमीनी हमले से पहले इज़राइल के खिलाफ हजारों रॉकेट लॉन्च किए। आतंकवादियों ने दक्षिणी इज़राइल के कस्बों और किबुत्ज़िम में 1,400 से अधिक लोगों की हत्या कर दी और 3,400 अन्य को घायल कर दिया। होलोकास्ट के बाद से यह यहूदी लोगों के लिए सबसे घातक दिन था। मारे गए लोगों में से अधिकांश नागरिक थे, जिनमें कई बच्चे भी शामिल थे जिन्हें गोली मार दी गई, उड़ा दिया गया या जलाकर मार दिया गया। एक संगीत समारोह में सैंकड़ों युवाओं की भी हत्या कर दी गई और हमास लगभग 200 लोगों को बंधक बनाकर गाजा ले गया। उन्होंने कहा कि इज़राइल इस हमले का जवाब हवाई हमलों से दे रहा है, जिसमें अब तक गाजा में कम से कम 4,000 लोग मारे गए हैं और हजारों घायल हुए हैं। इन हताहतों में से अधिकांश फ़लस्तीनी नागरिक हैं। उन्होंने कहा कि गाजा पर संभावित जमीनी हमले की तैयारी के लिए इज़राइल ने भी तेजी से लगभग 360,000 आरक्षित सैनिक जुटाए हैं।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि हाल के दिनों में, गाजा के एक अस्पताल में हुए विस्फोट में सैंकड़ों लोग मारे गए, जिनमें मरीज़ और शरण की तलाश कर रहे विस्थापित लोग भी शामिल थे। हमास और कई अरब देशों ने विस्फोट के लिए इज़राइल को दोषी ठहराया है, जबकि इज़राइल ने फलस्तीनी इस्लामिक जिहाद को दोषी ठहराया है। उन्होंने कहा कि गाजा में ऐसे लोगों के लिए हालत गंभीर है, जिन्हें तत्काल मदद की जरूरत है, जिनमें इस महीने बच्चे को जन्म देने वाली 5,000 महिलाएं और नवजात शिशु भी शामिल हैं, जिनके परिवारों को इन बच्चों के लिए दूध तैयार करने के लिए पीने का पानी तक नहीं मिल पा रहा है। उन्होंने कहा कि इस बीच, इज़राइल ने गाजा को पानी, बिजली और ईंधन की आपूर्ति बंद कर दी है और क्षेत्र की पूरी तरह से घेराबंदी करने का आदेश दिया है। इज़राइल ने उत्तरी गाजा के निवासियों को भी दक्षिण की ओर जाने का आदेश दिया है। सहायता एजेंसियां मिस्र के साथ सीमा पार करके नागरिकों को अत्यंत आवश्यक मानवीय सहायता प्रदान करने में असमर्थ रही हैं।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि गाजा पहले से ही मानवीय संकट झेल रहा था। अब हालात पूरी तरह बेकाबू हो चुके हैं। उन्होंने कहा कि इस तरह से युद्ध करना गैरकानूनी है जिससे अनावश्यक पीड़ा हो। नागरिकों को निशाना बनाकर किए जाने वाले हमले अवैध हैं। उन्होंने कहा कि जो हालात दिख रहे हैं वह दर्शा रहे हैं कि इज़राइल वास्तव में गाजा पट्टी पर कब्ज़ा कर सकता है। यदि इजराइल ने जमीनी आक्रमण शुरू किया तो यह तर्क मजबूत हो जाएगा कि इजराइल गाजा पर कब्जा कर रहा है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा हमें यह भी ध्यान रखना चाहिए कि आम लोगों की जान का असल दुश्मन हमास ही है क्योंकि उसने यदि इजराइल पर हमला नहीं किया होता तो यह स्थिति ही पैदा नहीं होती। उन्होंने कहा कि हमास ने फ़लस्तीनी नागरिकों को यह कहकर नुकसान की स्थिति में डाल दिया कि वे इज़राइल के आदेश के अनुसार दक्षिणी गाजा को खाली न करें। इस समूह का इज़राइल के साथ संघर्ष में रणनीतिक उपकरण के रूप में नागरिकों को मानव ढाल के रूप में उपयोग करने का इतिहास है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि जहां तक इस युद्ध के भविष्य की बात है तो हमें यह ध्यान रखना होगा कि अंतर्राष्ट्रीय कानून पुष्टि करता है कि कोई देश सशस्त्र हमले के जवाब में अपनी रक्षा के लिए बल का प्रयोग कर सकता है। उन्होंने कहा कि हालांकि संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने तत्काल युद्धविराम का आह्वान किया है लेकिन इसका कोई असर नहीं होगा। संयुक्त राष्ट्र ने रूस-यूक्रेन संघर्ष को भी खत्म करने का आह्वान किया था लेकिन आगामी कुछ महीनों में इस युद्ध को चलते हुए दो साल हो जायेंगे। उन्होंने कहा कि इजराइली प्रधानमंत्री के सख्त तेवर को देखते हुए यही लग रहा है कि वह अपने देश को हमास रूपी समस्या से हमेशा के लिए छुटकारा दिलाने का निर्णय कर चुके हैं इसलिए यह युद्ध अभी लंबा चलेगा।
प्रश्न- 2. हमास झुकने या बातचीत करने की जगह मुकाबले को तैयार है। हमास को इतनी ताकत और समर्थन आखिर कहां से मिल रहा है?
उत्तर- हमास का इतिहास देखें तो यही प्रतीत होता है कि यह संगठन मर जायेगा लेकिन झुकेगा नहीं। इसका गठन 1987 के अंत में हुए पहले फिलिस्तीनी विद्रोह की शुरुआत में हुआ था। इसकी जड़ें मुस्लिम ब्रदरहुड की फ़िलिस्तीनी शाखा में हैं और इसे फ़िलिस्तीनी क्षेत्रों के अंदर एक मजबूत सामाजिक-राजनीतिक संरचना का समर्थन भी मिला हुआ है। हमास समूह का उद्देश्य इज़राइल के स्थान पर एक इस्लामिक फिलिस्तीनी राज्य की स्थापना करना है। हमास समूह फिलिस्तीन लिबरेशन ऑर्गनाइजेशन यानि पीएलओ और इज़राइल के बीच किए गए किसी समझौते को नहीं मानता है। हमास की ताकत गाजा पट्टी और वेस्ट बैंक के इलाकों तक ही केंद्रित है।

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ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि हमास ने अपने 1988 के चार्टर में कहा था कि फिलिस्तीन एक इस्लामी मातृभूमि है जिसे कभी भी गैर-मुसलमानों को नहीं सौंपा जा सकता है और इज़राइल से फिलिस्तीन का नियंत्रण छीनने के लिए पवित्र युद्ध छेड़ना फिलिस्तीनी मुसलमानों के लिए एक धार्मिक कर्तव्य है। हमास के इस सिद्धांत ने इसे इजराइल के साथ हमेशा के लिए संघर्ष की स्थिति में ला दिया। उन्होंने कहा कि हमास के सबसे बड़े मददगार की बात करें तो ईरान तो खुलकर यह बात स्वीकारता है इसके अलावा अरब और खाड़ी देशों से भी इस आतंकवादी संगठन को काफी मदद मिलती है।
प्रश्न-3. विदेश मंत्री एस. जयशंकर की वियतनाम यात्रा को कैसे देखते हैं आप?
उत्तर- यह यात्रा काफी महत्वपूर्ण रही। उन्होंने कहा कि इस यात्रा के माध्यम से जयशंकर दुनिया को यह संदेश देने में सफल रहे कि भारत एक ऐसा देश बनकर उभरा है जो उच्च स्तर के आत्मविश्वास के साथ दुनिया में कहीं अधिक योगदान देने तथा विश्व के विरोधाभासों से सामंजस्य बिठाने में सक्षम है। उन्होंने कहा कि वियतनाम के साथ भारत के गहरे ऐतिहासिक तथा सांस्कृतिक जुड़ाव रहे हैं जिसको वर्तमान नेतृत्व आगे बढ़ा रहा है। उन्होंने कहा कि दरअसल चीन ने फिशिंग बोट्स के नाम पर दक्षिण चीन सागर में हजारों नावें छोड़ रखी हैं जबकि इनका असल काम जासूसी करना है जिससे इस क्षेत्र के सारे देश परेशान हैं। उन्होंने कहा कि चीन भले एक ओर अपने बीआरआई सम्मेलन को सफल बनाने में जुटा हुआ था लेकिन दूसरी ओर उसकी आंखें वियतनाम में भारतीय विदेश मंत्री की यात्रा पर भी लगी हुई थी। भारत और वियतनाम और अमेरिका तथा वियतनाम के बीच होने वाली हर वार्ता, मुलाकात और समझौते को चीन गिद्ध दृष्टि से देखता रहता है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि भारत और वियतनाम एशिया में दो सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाएं हैं। दोनों देशों के बीच 15 अरब डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार बहुत तेजी से और बढ़ सकता है। उन्होंने कहा कि भारत और वियतनाम लंबे समय से विश्वसनीय साझेदार रहे हैं। उन्होंने कहा कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने वियतनाम के प्रधानमंत्री फाम मिन्ह चिन्ह समेत शीर्ष नेतृत्व से मुलाकात कर दोनों देशों के बीच व्यापार, ऊर्जा, रक्षा और समुद्री सुरक्षा जैसे क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की जिसके सफल परिणाम आने वाले समय में देखने को मिलेंगे। इसके साथ ही जयशंकर ने हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत के दृष्टिकोण को साझा करते हुए इस क्षेत्र में चीन के आक्रामक व्यवहार को लेकर भी चर्चा की। साथ ही जयशंकर और वियतनाम के विदेश मंत्री ने भारत और वियतनाम के बीच राजनयिक संबंधों की स्थापना के 50 वर्ष पूरे होने के अवसर पर संयुक्त रूप से स्मारक डाक टिकट भी जारी किया। दोनों नेताओं ने हनोई में 18वीं भारत-वियतनाम संयुक्त आयोग की बैठक की सह-अध्यक्षता भी की। दोनों देशों की चर्चाओं में राजनीतिक, रक्षा और समुद्री सुरक्षा, न्यायिक, व्यापार एवं निवेश, ऊर्जा, विकास, शिक्षा एवं प्रशिक्षण, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के अलावा सांस्कृतिक क्षेत्र में सहयोग शामिल था। दोनों पक्ष व्यापार और निवेश गतिविधियों के लिए अनुकूल माहौल बनाने के लिए निकट समन्वय पर भी सहमत हुए, जिसके तहत आपसी कारोबार को जल्द ही 20 अरब अमेरिकी डॉलर तक लाने का प्रयास किया जाएगा। 
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि भारत, अमेरिका तथा कई अन्य शक्तिशाली देश संसाधन संपन्न क्षेत्र में चीन के बढ़ते कदमों के बीच स्वतंत्र, खुले और समृद्ध हिंद प्रशांत क्षेत्र सुनिश्चित करने की जरूरत पर लगातार जोर देते रहे हैं। उन्होंने कहा कि चीन विवादित दक्षिण चीन सागर के लगभग पूरे हिस्से पर अपना दावा करता है, हालांकि ताइवान, फिलीपीन, ब्रुनेई, मलेशिया और वियतनाम सभी इसके कुछ हिस्सों पर दावा करते हैं। बीजिंग ने दक्षिण चीन सागर में कृत्रिम द्वीप और सैन्य प्रतिष्ठानों का निर्माण किया है। चीन का पूर्वी चीन सागर में जापान के साथ भी क्षेत्रीय विवाद है। उन्होंने कहा कि दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों के संगठन (आसियान) को इस क्षेत्र के सबसे प्रभावशाली समूहों में से एक माना जाता है, तथा भारत और अमेरिका, चीन, जापान और ऑस्ट्रेलिया सहित कई अन्य देश इसके संवाद भागीदार हैं।
प्रश्न-4. चीन में संपन्न बीआरआई सम्मेलन और पुतिन-जिनपिंग मुलाकात का क्या असर हुआ?
उत्तर- रूसी राष्ट्रपति व्लादीमिर पुतिन और चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग दुनिया में अपनी बादशाहत कायम करने के लिए साथ आ गये हैं। उन्होंने कहा कि चीन और रूस ने मिलकर जिस तरह यूक्रेन युद्ध में नाटो की शक्ति को कमजोर किया है उससे साबित होता है कि यह दोनों देश आगे भी मिलकर पश्चिमी और यूरोपीय देशों की नाक में दम किये रहेंगे। उन्होंने कहा कि जिस तरह चीन ने युद्ध में रूस का खुलकर साथ दिया है और जिस तरह आर्थिक मोर्चे पर चुनौतियों से जूझ रहे चीन की मदद के लिए रूस आगे आया है उससे दोनों देशों के रिश्ते और प्रगाढ़ हुए हैं।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इस महीने चीन में तीन महत्वपूर्ण घटनाएं घटीं। पहली यह कि रूस-यूक्रेन युद्ध और मध्य पूर्व में एक और ताज़ा संघर्ष के बीच, रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दोनों देशों के बीच गहरे संबंधों की पुष्टि करने के लिए अपने “प्रिय मित्र” शी जिनपिंग से मिलने के लिए चीन पहुंचे। दूसरा, चीन ने शी जिनपिंग की महत्वाकांक्षी परियोजना बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) के 10 साल पूरे होने का ‘जश्न मनाने’ के लिए एक उच्च स्तरीय शिखर सम्मेलन की मेजबानी की। इस सम्मेलन को चीन के भू-राजनीतिक और भू-आर्थिक संबंधों में गेम चेंजर के रूप में देखा जा रहा है। तीसरा और अधिक महत्वपूर्ण पहलू चीनी अर्थव्यवस्था की तीसरी तिमाही के परिणाम संतोषजनक नहीं होना है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि चीन की बीआरआई परियोजना में 150 देश शामिल हैं जिसमें से 130 तो चीन में हुए सम्मेलन में मौजूद थे। यहां तक कि सम्मेलन में अफगानिस्तान की भी उपस्थिति थी जबकि उसकी सरकार को अब तक किसी देश ने मान्यता नहीं दी है। उन्होंने कहा कि वास्तव में, बीआरआई महज़ एक आर्थिक परियोजना से कहीं अधिक है। यह अन्य विकासशील देशों के साथ अपनी पहुंच बढ़ाने और एक मजबूत शक्ति के रूप में उभरने की चीन की विशाल रणनीतिक योजना थी जो अमेरिका को उसकी नंबर एक की स्थिति से उखाड़ फेंकेगी। उन्होंने कहा कि चीन इन उद्देश्यों को कितना हासिल कर पाया है, इसका आकलन अभी बाकी है, लेकिन यह निश्चित रूप से आसान रास्ता नहीं है, जैसा कि बीजिंग ने 10 साल पहले सोचा होगा। उन्होंने कहा कि 2013 में शी की स्थिति काफी अलग थी। उन्होंने कहा कि जैसे-जैसे यह परियोजना आगे बढ़ी तो छोटी और कमजोर अर्थव्यवस्थाओं को चीन से ऋण लेने का बोझ महसूस होने लगा। कोविड-19 महामारी और रूस-यूक्रेन युद्ध ने पहले से ही तनावग्रस्त अर्थव्यवस्थाओं के लिए और बाधाएँ पैदा कर दीं, इसलिए कई देश इससे दूर हो गये। उन्होंने कहा कि अब खुद चीन की अर्थव्यवस्था सुस्ती के दौर में प्रवेश कर गई है। उन्होंने कहा कि ऐसे समय में पुतिन ने चीन से व्यापारिक रिश्ते तो मजबूत किये ही हैं साथ ही जिनपिंग के साथ खड़े होकर उन्होंने कई देशों को वैश्विक राजनीति के बदलते केंद्र के साथ जुड़ने का इशारा भी कर दिया है। उन्होंने कहा कि पुतिन और जिनपिंग ने द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के अलावा वैश्विक घटनाक्रमों पर भी विस्तार से चर्चा की और अमेरिका तथा नाटो देशों की दादागिरी खत्म करने के लिए विस्तृत रणनीति बनाई है जिसके परिणाम आने वाले दिनों में दिखेंगे।
प्रश्न-5. रूस-यूक्रेन संघर्ष के ताजा हालात क्या हैं?
उत्तर- युद्ध चल रहा है मगर स्थिर है। उन्होंने कहा कि दुनिया का ध्यान इस समय मध्य-पूर्व के हालात की ओर लग गया है इसलिए खुद रूस और यूक्रेन भी अपने युद्ध पर ध्यान नहीं दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि एक ओर रूसी राष्ट्रपति चीन के दौरे पर पहुँचे हैं तो यूक्रेन के राष्ट्रपति भी मदद के लिए विभिन्न देशों के दौरे पर हैं। उन्होंने कहा कि लेकिन रूस ने दर्शा दिया है कि वह कितनी बड़ी ताकत है। यूक्रेन को अमेरिका, ब्रिटेन तथा अन्य कई देशों ने अपने टैंक, मिसाइलें और ना जाने कौन-कौन-से अस्त्र शस्त्र दे दिये लेकिन कोई कारगर सिद्ध नहीं हुआ। 
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि युद्ध को चलते हुए 600 से ज्यादा दिन हो गये लेकिन यूक्रेन अब तक कोई भी निर्णायक बढ़त हासिल नहीं कर पाया है। उन्होंने कहा कि इस सप्ताह यूक्रेन के सशस्त्र बलों के कमांडर-इन-चीफ जनरल वलेरी ज़ालुज़नी ने कहा कि सैनिकों को पूर्वी शहर अवदीवका में नए सिरे से रूसी हमले का सामना करना पड़ा। ज़ालुज़नी ने टेलीग्राम पर लिखा, “दुश्मन हमारी सुरक्षा में सेंध लगाने और [अवदीवका] को घेरने की कोशिशों में पीछे नहीं हट रहा है।” उन्होंने कहा कि रूसी सैनिक और बड़ी मात्रा में बख्तरबंद उपकरण ला रहे हैं और साथ ही विमान और तोपखाने भी तैनात कर रहे हैं। वहीं रूस की ओर से कहा गया है कि उसकी सेनाओं ने अवदीवका के पास एक कमांड प्वाइंट को नष्ट कर दिया था और कुपियांस्क के पास 11 यूक्रेनी हमलों को नाकाम कर दिया था।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इसके अलावा यूक्रेन की दक्षिणी सेना समूह के प्रवक्ता ऑलेक्ज़ेंडर श्टुपुन ने जानकारी दी है कि यूक्रेनी सैनिक दक्षिणी ज़ापोरिज़िया क्षेत्र के वेरबोव गांव के दक्षिण-पश्चिम में 400 मीटर (एक चौथाई मील) आगे बढ़ गए हैं। उन्होंने कहा कि वेरबोव, रोबोटिन से कुछ किलोमीटर पूर्व में है। इस गांव पर यूक्रेन ने पिछले महीने आज़ोव सागर की ओर चलाये गये अपने अभियान के तहत पुनः कब्जा कर लिया था। इसके अलावा, वाशिंगटन डीसी स्थित थिंक टैंक इंस्टीट्यूट फॉर द स्टडी ऑफ वॉर ने कहा है कि ऐसा प्रतीत होता है कि यूक्रेनी सेना दक्षिणी खेरसॉन क्षेत्र में डीनिप्रो नदी के पूर्वी तट पर घुस गई है। हालांकि इस बात की पुष्टि नहीं हो सकी है। उन्होंने कहा कि इस बीच, यूक्रेनी सेना ने दावा किया है कि रूसी सेना ने 17 अलग-अलग हथियारों का उपयोग करके पूर्वी, दक्षिणी और उत्तरी यूक्रेन में औद्योगिक और नागरिक बुनियादी ढांचे के साथ-साथ सैन्य ठिकानों पर बैलिस्टिक और क्रूज मिसाइलों और हमलावर ड्रोन सहित नए हवाई हमले किए। बताया गया है कि यूक्रेनी बलों ने तीन ड्रोन और एक क्रूज मिसाइल को मार गिराया।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इसके अलावा रूस के रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि उसने यूनाइटेड किंगडम के तीन सैन्य विमानों- दो लड़ाकू विमानों के साथ एक टोही विमान को रोकने के लिए दो Su-27 लड़ाकू विमानों को तैनात किया, क्योंकि वे काला सागर के ऊपर रूसी हवाई क्षेत्र के पास पहुंचे थे। उन्होंने कहा कि साथ ही नाटो ने कहा है कि हाल ही में समुद्र के नीचे बुनियादी ढांचे को हुए नुकसान के बाद उसने बाल्टिक सागर में गश्त बढ़ा दी है। उन्होंने कहा कि इसके अलावा यूक्रेन की संसद ने 2024 के बजट को अपनी प्रारंभिक मंजूरी दे दी, जिससे सेना और राष्ट्रीय रक्षा के लिए धन में वृद्धि होगी। वित्त मंत्री सेरही मार्चेंको ने कहा है कि अगले साल सरकार की प्राथमिकताओं में रक्षा और सुरक्षा के लिए धन जमा करना और “यूक्रेन की जीत को करीब लाने के लिए” आबादी के लिए सामाजिक भुगतान सुनिश्चित करना भी शामिल है।
ब्रिगेडियर श्री डीएस त्रिपाठी जी (सेवानिवृत्त) ने कहा कि इस तरह रूस-यूक्रेन युद्ध से जुड़े यह छिटपुट ताजा समाचार ही रहे। उन्होंने कहा कि लेकिन रूस अब सर्दियों के लिए तैयारी कर चुका है और इस बार उसका प्रहार ऐसा होगा कि यूक्रेन के लिए उसे संभालना मुश्किल हो जायेगा। उन्होंने कहा कि जिस तरह उत्तर कोरियाई नेता किम जोंग उन रूस आये और अब रूस के विदेश मंत्री उत्तर कोरिया में गये हुए हैं, वह दर्शा रहा है कि रूस अब खतरनाक से खतरनाक कदम उठाने से भी नहीं चूकेगा। उन्होंने कहा कि अमेरिका ने भी जानकारी दी है कि उत्तर कोरिया ने यूक्रेन में इस्तेमाल के लिए रूस को हथियार मुहैया कराये हैं। उन्होंने कहा कि रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने जिस तरह रूस-चीन और उत्तर कोरिया के साथ नियमित सुरक्षा वार्ता का प्रस्ताव रखा है वह काफी बड़े संकेत दे रहा है। उन्होंने कहा कि अब तक की लड़ाई में एक बात साफ है कि रूस ने पहले दिन भी बढ़त बनाई हुई थी और वह आज भी बढ़त बनाये हुए है। उन्होंने कहा कि जिस तरह पश्चिमी देशों का ध्यान इजराइल की मदद की ओर गया है उससे यूक्रेन के जल्द ही अलग-थलग पड़ जाने की संभावना है।

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