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Shaurya Path: Chhattisgarh-Kashmir Attack, SCO Summit, India-Pak, India-China, Sri Lanka, Sudan, China-Ukraine संबंधी मुद्दों पर Brigadier (R) DS Tripathi से बातचीत

नमस्कार प्रभासाक्षी न्यूज नेटवर्क के खास कार्यक्रम शौर्य पथ में इस सप्ताह कश्मीर और छत्तीसगढ़ में हुए हमलों की, चीन के रक्षा मंत्री की भारत यात्रा की, भारत-पाकिस्तान के संबंधों की, श्रीलंका में हो रहे विरोध प्रदर्शनों की और सूडान में चल रही हिंसा से संबंधित मुद्दों पर बात की गयी। इन सब मुद्दों पर हमारे साथ बातचीत के लिए मौजूद रहे बिग्रेडियर (सेवानिवृत्त) श्री डीएस त्रिपाठी जी। पेश हैं साक्षात्कार के मुख्य अंश- 
प्रश्न-1. सरकार काफी दावा करती है कि नक्सलियों के आतंक को समाप्त कर दिया गया है। लेकिन छत्तीसगढ़ में जिस तरह नक्सली हमले में हमारे 11 जवान शहीद हुए उससे सरकार के दावों पर गंभीर सवाल उठे हैं। इसके अलावा कश्मीर में भी जिस तरह पुंछ में हमारे जवानों पर घातक हमला हुआ उससे भी सरकार के उन दावों पर सवाल उठे हैं कि कश्मीर से आतंक अब समाप्त हो चुका है। इसे कैसे देखते हैं आप?
उत्तर- यह बात सही है कि यह दोनों घटनाएं दुर्भाग्यपूर्ण हैं। यदि और सतर्कता बरती जाती तो इन्हें टाला भी जा सकता था लेकिन यह बात भी सही है कि माओवादी उग्रवाद और कश्मीर में आतंकवाद पर काफी हद तक काबू पाया गया है। छत्तीसगढ़ की घटना की बात करें तो शहीद हुए जवान उसी इलाके के रहने वाले थे, वह उस क्षेत्र के हालात से अच्छी तरह परिचित थे फिर भी ऐसी घटना हो गयी तो जरूर इसमें किसी मुखबिर का हाथ है। अरनपुर थाना क्षेत्र में माओवादी कैडर की उपस्थिति की सूचना पर दंतेवाड़ा से डीआरजी बल को नक्सल विरोधी अभियान में रवाना किया गया था। अभियान के बाद वापसी के दौरान माओवादियों ने अरनपुर मार्ग पर बारूदी सुरंग में विस्फोट कर दिया। यह घटना यह सबक भी देती है कि किसी अभियान के लिए रवानगी और अभियान पूरा कर वापस लौटते समय अत्यधिक सावधानी बरतना जरूरी है। जहां तक आईईडी विस्फोट की बात है तो हमें इस क्षेत्र में और विशेषज्ञता हासिल करने की जरूरत है ताकि समय पूर्व ऐसी चीजें पकड़ में आ सकें और घटनाओं को टाला जा सके।
जहां तक पुंछ की घटना की बात है तो यह हैरानी की बात है कि रोड ओपनिंग पार्टी ने अगर सब कुछ ठीक पाया था तो यह हादसा कैसे हो गया। वैसे अभी इस मामले में जांच हो रही है जिससे सच सामने आ जायेगा। लेकिन घटना के संबंध में जो तथ्य सामने आ रहे हैं वह दर्शा रहे हैं कि यह एक बड़ी साजिश थी। जम्मू कश्मीर के पुंछ जिले में सेना के एक ट्रक पर घात लगाकर किए गए हमले में शामिल आतंकवादियों को पकड़ने के लिए चलाए जा रहे एक बड़े अभियान के तहत अभी तक करीब 50 लोगों को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया गया है। राष्ट्रीय राइफल्स इकाई द्वारा आयोजित इफ्तार के लिए अग्रिम इलाके के एक गांव में फलों और अन्य वस्तुओं को ले जा रहे ट्रक पर घात लगाकर हमला किया जाना चौंकाता भी है क्योंकि यह लोग एक नेक काम के लिए जा रहे थे। इसलिए ग्रामीणों ने ईद-उल-फितर का त्योहार भी सादगी से मनाया। यही नहीं, गांवों में शोक सभा आयोजित की गई जहां लोगों ने शहीदों के लिए विशेष प्रार्थना की।
ऐसा माना जा रहा है सात से आठ आतंकवादियों के दो समूहों ने इस हमले को अंजाम दिया। जांच में पता चला है कि आतंकवादी ट्रक पर हमला करने से पहले संभवत: सड़क मार्ग पर छिपे हुए थे। बख्तरबंद वाहन पर गोलियों के 50 से अधिक निशान मिले हैं जो आतंकवादियों द्वारा की गई अंधाधुंध गोलीबारी को दिखाती है। तलाश अभियान के दौरान जवानों को इलाके में कुछ प्राकृतिक गुफा वाले ठिकाने भी मिले जिनका संभवत: पहले आतंकवादियों ने इस्तेमाल किया होगा। सेना आईईडी की भी तलाश कर रही है। सेना को आशंका है कि आतंकवादियों ने घने वन्य क्षेत्र में, खासतौर से गहरी खाइयों और गुफाओं में आईईडी लगा रखे होंगे। इस तरह की भी खबरें आ रही हैं कि पुंछ आतंकी हमलों में जो गोलियां इस्तेमाल हुई वो स्टील की बनी हुई थीं। ये गोलियां नाटो ने इस्तेमाल की थीं। इसलिए कहा जा रहा है कि तालिबान भी इस हमले के पीछे हो सकता है क्योंकि 2021 में अमेरिका के अफगानिस्तान छोड़ने के बाद ये गोलियां लश्कर-जैश जैसे आतंकी संगठनों के पास पहुंची थीं। खबरों में कहा जा रहा है कि तालिबान राजस्व बढ़ाने के लिए हथियारों को बेच रहा है और इन्हें अब हमारे सैन्य संगठनों के खिलाफ इस्तेमाल किया जा रहा है।
प्रश्न-2. चीन के रक्षा मंत्री इस सप्ताह एससीओ बैठक में भाग लेने के लिए भारत का दौरा करेंगे। इसके अलावा हाल ही में दोनों देशों के कमांडरों ने पूर्वी लद्दाख में गतिरोध दूर करने के लिए बैठक की। क्या आने वाले दिनों में हम दोनों देशों के संबंधों को सामान्य होते हुए देख सकते हैं? इसी से जुड़ा एक सवाल यह भी है कि क्या दोनों देशों के संबंधों में बदलाव के संकेतों को देखकर ही पाकिस्तान के सेनाध्यक्ष चीन के दौरे पर भागे भागे गये हैं? 
उत्तर- चीन के रक्षा मंत्री एससीओ सम्मेलन में भाग लेने के लिए भारत पहुँच गये हैं। वह राष्ट्रपति शी जिनपिंग के करीबी हैं और कई मामलों को देखते हुए अमेरिका ने उन पर प्रतिबंध भी लगा रखा है। वर्तमान गतिरोध के बीच उनकी भारत यात्रा कई मायनों में अहम है। एससीओ सम्मेलन से इतर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से उनकी होने वाली वार्ता पर सभी की निगाह रहेगी लेकिन चीन के अड़ियल रुख को देखते हुए किसी अप्रत्याशित परिणाम की अपेक्षा नहीं की जानी चाहिए।
चीन के रक्षा मंत्री जनरल ली शांगफू 27 अप्रैल से एससीओ के रक्षा मंत्रियों की बैठक में भाग लेने के लिए आये हैं। चीन के रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा था कि आमंत्रण पर चीनी स्टेट काउंसलर और रक्षा मंत्री जनरल ली शांगफू 27-28 अप्रैल से नयी दिल्ली में शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के सदस्य देशों के रक्षा मंत्रियों की परिषद् की बैठक में भाग लेंगे। बैठक के दौरान, जनरल ली सम्मेलन को संबोधित करेंगे और अंतरराष्ट्रीय तथा क्षेत्रीय हालात के साथ-साथ रक्षा और सुरक्षा सहयोग के मुद्दों पर संवाद करने एवं विचारों का आदान-प्रदान करने के लिए संबंधित देशों के प्रतिनिधिमंडलों के प्रमुखों से मिलेंगे। जनरल ली के दौरे से पहले, चीनी रक्षा मंत्रालय ने 23 अप्रैल को चुशूल-मोल्दो सीमा स्थल पर आयोजित चीन-भारत कोर कमांडर स्तरीय बैठक के 18वें दौर के बारे में भी सकारात्मक बात की। चीन ने कहा है कि दोनों पक्ष सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति कायम करने के अलावा पूर्वी लद्दाख में लंबे समय से जारी गतिरोध से संबंधित ‘‘प्रासंगिक मुद्दों’’ के समाधान को ‘‘तेज’’ करने पर सहमत हुए हैं। रक्षा मंत्रालय के बयान में कहा गया है कि प्रासंगिक मुद्दों पर दोनों पक्षों के बीच मैत्रीपूर्ण और स्पष्ट विचारों का आदान-प्रदान हुआ। बयान में कहा गया है, ‘‘दोनों देशों के नेताओं के मार्गदर्शन में और दोनों विदेश मंत्रियों के बीच बैठक की उपलब्धियों के आधार पर, दोनों पक्ष सैन्य और राजनयिक माध्यम से निकट संपर्क और संवाद बनाए रखने, चीन-भारत सीमा के पश्चिमी खंड पर प्रासंगिक मुद्दों के निपटारे में तेजी लाने, सीमाई इलाकों में अमन-चैन बनाए रखने पर सहमत हुए।’’ हमें यहां पर यह भी ध्यान रखना चाहिए कि दो मार्च को, विदेश मंत्री एस जयशंकर ने नयी दिल्ली में जी-20 के एक सम्मेलन के मौके पर अपने चीनी समकक्ष छिन कांग के साथ बातचीत की थी। वार्ता में, जयशंकर ने छिन को बताया था कि भारत-चीन संबंधों की स्थिति ‘‘असामान्य’’ है।
जहां तक पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर की चीन यात्रा की बात है तो उसके बारे में आधिकारिक तौर पर बताया गया है कि द्विपक्षीय रक्षा संबंधों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से यह यात्रा की गयी लेकिन हमें यह भी देखना चाहिए कि हाल ही में आईएसआई प्रमुख भी चीन गये थे। पाकिस्तानी नेताओं की चीन की यह यात्राएं यह भी दर्शाती हैं कि भारत के भय से यह चीन की मदद मांग रहे हैं और आर्थिक तंगहाली से उबारने के लिए धन भी मांग रहे हैं। चूंकि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को चीन ने खाली हाथ लौटा दिया था इसलिए अब वहां की सेना के प्रमुख आदि चीन जाकर मदद मांग रहे हैं। जनरल असीम मुनीर तो सिर्फ चीन ही नहीं बल्कि कई देश होकर आये हैं। पिछले साल नवंबर में पाकिस्तानी सेना का पदभार संभालने के बाद से यह जनरल मुनीर की चौथी विदेश यात्रा है। जनवरी में उन्होंने सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) का दौरा किया था। उसके बाद, उन्होंने सुरक्षा से संबंधित रणनीतिक मुद्दों पर चर्चा करने के लिए ब्रिटेन के रक्षा मंत्रालय के निमंत्रण पर वहां का दौरा किया था। ब्रिटेन यात्रा के बाद जनरल मुनीर ने फिर से संयुक्त अरब अमीरात का दौरा किया था। आर्थिक संकट से जूझ रहे पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के बढ़ते दबाव के बीच सेना प्रमुख की यह यात्रा चीन से कम से कम छह अरब अमेरिकी डॉलर की वित्तीय सहायता की व्यवस्था करने के लिए थी। हालांकि, यात्रा के वित्तीय उद्देश्य के बारे में आधिकारिक तौर पर कुछ भी नहीं कहा गया। सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात के बाद चीन एकमात्र देश है जो पाकिस्तान को महत्वपूर्ण सहायता प्रदान करता है। अब तक, सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात ने पाकिस्तान को तीन अरब अमेरीकी डॉलर देने का ऐलान किया है। पाकिस्तान के हालात की बात करें तो वहां राजनीतिक उथल-पुथल के कारण आर्थिक संकट गहरा गया है। एक ओर गठबंधन सरकार और पाकिस्तान के अपदस्थ प्रधानमंत्री इमरान खान की पार्टी तहरीक-ए-इंसाफ के बीच लड़ाई तथा दूसरी ओर पंजाब में चुनाव कराने को लेकर सरकार और न्यायपालिका के बीच तकरार ने वित्तीय संकट को और गहरा कर दिया है।
प्रश्न-3. पाकिस्तान के विदेश मंत्री एक ओर तो एससीओ की बैठक में भाग लेने के लिए भारत आ रहे हैं तो दूसरी तरफ सुरक्षा परिषद समेत तमाम अंतरराष्ट्रीय मंचों पर पाकिस्तान कश्मीर राग को अलाप रहा है। इसके अलावा हाल ही में खबरें आईं कि पुंछ हमले को लेकर पाकिस्तान को भारत के संभावित हमले का डर सता रहा है। एक पाकिस्तानी पत्रकार ने तो खुलासा भी किया है कि पूर्व सेनाध्यक्ष बाजवा को अपने कार्यकाल के दौरान भारतीय सेना का डर सताता रहता था।
उत्तर- पाकिस्तान के विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो गोवा इसलिए आ रहे हैं क्योंकि पाकिस्तान को पता है कि यदि वह हर बैठक में भाग लेने से मना करेगा तो अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उसे बिल्कुल महत्व नहीं मिलेगा। जहां तक कश्मीर मुद्दे की बात है तो पाकिस्तान लगातार इसलिए यह मुद्दा उठाता रहता है क्योंकि वह दुनिया को भ्रमित करना चाहता है। लेकिन अब उसकी दाल गलने वाली नहीं है। कश्मीर मुद्दा उठा कर पाकिस्तान अपनी जनता को भी भ्रमित करना चाहता है ताकि वह असल मुद्दों पर सरकार से सवाल नहीं पूछे लेकिन पाकिस्तानी जनता भी अब सब कुछ समझ रही है। जहां तक पाकिस्तान में भारत के डर की बात है तो वह डर पाकिस्तान की सरकार अब जनता के मन में बैठाना चाहती है। दरअसल पाकिस्तान का सुप्रीम कोर्ट चुनाव कराने के लिए कह रहा है लेकिन सरकार चुनाव टालना चाहती है और इसके लिए तर्क दे रही है कि भारत हमला कर सकता है इसलिए हमें उस ओर ध्यान रखना है। जहां तक पाकिस्तानी पत्रकार की ओर से किये गये खुलासे की बात है तो वह बात तो एकदम सही है कि भारतीय सेना का खौफ पाकिस्तानी सेना को हमेशा सताता रहता है।
दिखाने को तो पाकिस्तानी सेना के अधिकारी सीने पर कई सारे मैडल लटका कर रखते हैं जबकि आज तक उन्होंने किसी देश के खिलाफ कोई युद्ध नहीं जीता। शेखी बघारने को तो पाकिस्तानी सेनाध्यक्ष भारत को कई बार देख लेने की चेतावनी भी दे देते हैं लेकिन हर बार भारत के साथ युद्ध में पाकिस्तान ने मुंह की खाई है। यही नहीं, पाकिस्तानी हुक्मरान कभी कभी अपने परमाणु बम की धौंस भी भारत को दिखाने लगते हैं लेकिन वह लोग खुद कितना घबराये और डरे हुए रहते हैं इसका खुलासा होने से पाकिस्तान की सारी सैन्य क्षमता पर सवाल खड़े हो गये हैं। यह खुलासा किसी और ने नहीं बल्कि पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार हामिद मीर ने एक टीवी इंटरव्यू में किया है। उन्होंने जो चौंकाने वाले खुलासे किये हैं उसके मुताबिक, पाकिस्तान को भारत के साथ युद्ध की आशंका थी जिसके चलते वह बेहद घबराया हुआ था। ब्रिटेन स्थित पाकिस्तानी मीडिया ‘यूके44’ के साथ एक साक्षात्कार में हामिद मीर ने पाकिस्तान की सैन्य शक्ति के संबंध में पूर्व पाक सेना प्रमुख जनरल जावेद बाजवा की राय का हवाला दिया। उन्होंने बताया कि सेनाध्यक्ष पद पर रहने के दौरान जनरल बाजवा ने स्वीकार किया था कि पाकिस्तान “भारत के साथ युद्ध नहीं कर सकता”।

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प्रश्न-4. श्रीलंका के आतंकवाद रोधी विधेयक में ऐसा क्या है, जो वहां बड़ी संख्या में विरोध प्रदर्शन देखने को मिल रहे हैं?
उत्तर- श्रीलंका में आतंकवाद से मुकाबले के लिए कठोर कानून की जगह लाए जा रहे नए विवादित आतंकवाद रोधी विधेयक के मसौदे के खिलाफ मुख्य तमिल पार्टी तमिल नेशनल अलायंस ने तगड़ा विरोध प्रदर्शन किया जिससे जनजीवन प्रभावित हुआ। दरअसल नया आतंकवाद विरोधी अधिनियम (एटीए), 1979 के कुख्यात आतंकवाद निवारण अधिनियम (पीटीए) की जगह लेगा। पीटीए को 1979 में तमिल अल्पसंख्यक उग्रवादी समूहों की अलगाववादी हिंसा के अभियान का मुकाबला करने के लिए एक अस्थायी व्यवस्था के रूप में पेश किया गया था। श्रीलंका के प्रधानमंत्री दिनेश गुणवर्धना ने कहा है कि नया आतंकवाद विरोधी कानून इस महीने के अंत में पेश किया जाएगा।
मार्च के मध्य में सरकार ने पीटीए की जगह एक नया विधेयक तैयार किया था। हमें ध्यान रखना चाहिए कि देश के उत्तर और पूर्व में एक अलग तमिल मातृभूमि स्थापित करने के लिए तीन दशकों में लिट्टे के सशस्त्र संघर्ष के दौरान सरकारी सैनिकों द्वारा पीटीए का व्यापक रूप से उपयोग किया गया था। अंतरराष्ट्रीय अधिकार समूहों और तमिल पार्टियों ने पीटीए के प्रावधानों की निंदा की है जो अदालतों में आरोप दायर किए बिना कई वर्षों तक मनमाने ढंग से हिरासत में रखने की अनुमति देता है। यही नहीं, लिट्टे के साथ शामिल होने के आरोप में तमिलों को बिना किसी आरोप के 20 से अधिक वर्षों तक गिरफ्तार किए जाने के उदाहरण सामने आए हैं। इसलिए इस कानून का विरोध हो रहा है।
प्रश्न-5. भारत हिंसाग्रस्त सूडान से भारतीयों को सुरक्षित निकाल पाने में सफल हो रहा है। ऑपरेशन कावेरी को सफलता तक पहुँचाने के लिए क्या प्रयास किये गये साथ ही विदेशों में संकट से घिरे भारतीयों को बचाने के लगातार सफल होते भारतीय मिशनों को कैसे देखते हैं आप?
उत्तर- हिंसाग्रस्त सूडान में 3000 से ज्यादा भारतीयों के फंसे होने की खबर जैसे ही सामने आई, वैसे ही भारत सरकार ने अपने लोगों को बचाने के लिए प्रयास शुरू कर दिये थे। प्रधानमंत्री से लेकर विदेश मंत्री तक ने एक-एक भारतीय की जान की चिंता करते हुए उनको सुरक्षित निकालने की रूपरेखा बनाई। इसके बाद मोदी सरकार ने ऑपरेशन कावेरी शुरू करने का ऐलान कर एक अनुभवी टीम को इस अभियान को सफलतापूर्वक पूरा करने के काम पर लगा दिया गया। ऑपरेशन कावेरी की सफलता के लिए विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने बाहरी मोर्चे पर सारा जिम्मा संभाला और हिंसा प्रभावित सूडान में तत्काल संघर्षविराम कराने के लिए संयुक्त राष्ट्र महासचिव को न्यूयॉर्क जाकर समझाया और आखिरकार भारत के प्रयास रंग लाये। जैसे ही सूडान में दोनों पक्ष 72 घंटे के संघर्षविराम पर सहमत हुए वैसे ही भारत समेत सभी देश अपने अपने नागरिकों को सुरक्षित निकालने में लग गये।
भारत ने अपनी नौसेना के जहाजों और वायुसेना के विमानों को पहले ही आपात योजना के तहत जेद्दा में तैनात कर रखा था इसलिए जैसे ही संघर्षविराम हुआ वैसे ही भारतीयों की सुरक्षित निकासी का अभियान ऑपरेशन कावेरी शुरू हो गया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पूरे ऑपरेशन की खुद निगरानी कर रहे हैं और निकासी अभियान में सहयोग के लिए उन्होंने विदेश राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन को जेद्दा में तैनात कर दिया। इस बीच, भारतीय नौसेना के जहाज भारतीयों को सूडान से निकाल भी रहे हैं और वहां भूख प्यास से परेशान भारतीयों के लिए खाने पीने का भरपूर सामान भी लेकर गये हैं ताकि उन्हें तत्काल राहत मिल सके। उधर, जो दृश्य सामने आ रहे हैं वह दर्शा रहे हैं कि नौसेना के जहाज और भारतीय वायुसेना के विमान में चढ़ता हर भारतीय भारत की सरकार और अपने देश का शुक्रिया अदा कर रहा है। हाथ में तिरंगा थामे जब भारतीय सूडान छोड़ रहे हैं तो अपने देश जल्द से जल्द पहुँचने की उनकी चाहत देखते ही बन रही है।
प्रश्न-6. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदमीर जेलेंस्की से बात की है। रूस-यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से जेलेंस्की के साथ चीन का यह पहला शीर्ष संवाद है। क्या आपको लगता है कि यह युद्ध अब समाप्ति की ओर बढ़ रहा है?
उत्तर- युद्ध समाप्ति की ओर नहीं बढ़ रहा है बल्कि यह अभी और लंबा खिंचेगा। चीन आजकल शांति दूत बनने की राह पर आगे बढ़ रहा है और वैश्विक मामलों में अपनी भूमिका बढ़ाना चाहता है इसलिए वह कभी खाड़ी देशों के ईरान से संबंध सुधरवाता है तो कभी इजराइल और फिलस्तीन के बीच शांति का प्रस्ताव रखता है तो कभी रूस-यूक्रेन युद्ध शांत करवाने का प्रस्ताव रखता है। लेकिन जहां तक रूस-यूक्रेन युद्ध की बात है तो वहां चीन का शांति प्रस्ताव रंग नहीं ला पायेगा क्योंकि रूस यूक्रेन के कब्जाये क्षेत्रों से पीछे नहीं हटेगा और यूक्रेन अपने क्षेत्रों को रूस को सौंप कर युद्ध समाप्त करने की बात मानेगा नहीं। दूसरा अमेरिका भी नहीं चाहेगा कि चीन इस युद्ध को रुकवा कर बड़ी उपलब्धि हासिल कर ले इसलिए वह यूक्रेन को कभी युद्ध बंद करने के लिए नहीं कहेगा। वहीं रूस भी चीन के कहने पर युद्ध बंद करने की बात नहीं मानेगा क्योंकि पुतिन का मानना है कि दुनिया के शक्तिशाली देशों में अमेरिका से टक्कर लेने वाला देश रूस ही रहना चाहिए, उस जगह वह चीन को कभी नहीं आने देंगे। इसलिए कहा जा सकता है कि फिलहाल यह युद्ध समाप्त होने के आसार नहीं हैं लेकिन जिनपिंग और जेलेंस्की की बातचीत से जो दरवाजे खुले हैं उसका स्वागत किया जाना चाहिए।

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