नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश की आर्थिक वृद्धि को अपनी सरकार के नौ साल के कार्यकाल की राजनीतिक स्थिरता का ‘स्वाभाविक सह-उत्पाद’ बताते हुए उम्मीद जताई है कि 2047 तक भारत एक विकसित राष्ट्र होगा, जिसमें भ्रष्टाचार, जातिवाद और सांप्रदायिकता के लिए कोई जगह नहीं होगी।
प्रधानमंत्री मोदी ने पिछले सप्ताह पीटीआई-को दिए एक विशेष साक्षात्कार में कहा कि मुद्रास्फीति पर काबू पाने की कवायद में केंद्रीय बैंकों को नीतिगत रुख के बारे में समय पर और स्पष्ट सूचना देनी चाहिए ताकि प्रत्येक देश के महंगाई रोकने की लड़ाई के कदमों का दूसरे देशों पर नकारात्मक दुष्प्रभाव न पड़े।
इस समय जहां अधिकांश विकसित अर्थव्यवस्थाएं आर्थिक सुस्ती, गंभीर किल्लत, ऊंची मुद्रास्फीति और अपनी आबादी की बढ़ती उम्र की समस्या का सामना कर रही हैं वहीं भारत प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था बना हुआ है जिसके पास सबसे बड़ी युवा आबादी है।
मोदी ने कहा, ‘‘विश्व इतिहास में लंबे समय तक भारत दुनिया की अग्रणी अर्थव्यवस्थाओं में से एक था। बाद में उपनिवेशवाद के प्रभाव की वजह से हमारी वैश्विक पहुंच घट गई। लेकिन अब भारत एक बार फिर आगे बढ़ रहा है। हमने जिस रफ्तार से दुनिया की 10वीं से पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था तक लंबी छलांग लगाई है वह दर्शाता है कि भारत को अपना काम बखूबी पता है।
उन्होंने लोकतंत्र, जनांकिकी और विविधता के साथ विकास (चार ‘डी’) को भी जोड़ते हुए कहा कि वर्ष 2047 तक का काल व्यापक अवसरों से भरपूर है और इस दौर में रहने वाले भारतीयों के पास वृद्धि की एक नींव रखने का बड़ा अवसर है जिसे आने वाले हजारों साल तक याद रखा जाएगा।
भारत ने वित्त वर्ष 2021-22 के अंत में 3.39 लाख करोड़ डॉलर के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के साथ ब्रिटेन को पीछे छोड़ते हुए दुनिया की पांचवीं बड़ी अर्थव्यवस्था का दर्जा हासिल कर लिया था। भारत से आगे अब सिर्फ अमेरिका, चीन, जापान एवं जर्मनी ही हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि 2014 से पहले के तीन दशकों में देश में कई ऐसी सरकारें आईं जो अस्थिर थीं, जिसकी वजह से वे बहुत कुछ नहीं कर पाईं।
उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन पिछले कुछ वर्षों में जनता ने (भाजपा को) निर्णायक जनादेश दिया है जिससे देश में एक स्थिर सरकार है, अनुकूल नीतियां हैं और सरकार की कुल दिशा को लेकर स्पष्टता है। इस स्थिरता की ही वजह से पिछले नौ साल में कई सुधार लागू किए जा सके हैं।’’
उन्होंने कहा कि अर्थव्यवस्था, शिक्षा, वित्तीय क्षेत्र, बैंक, डिजिटलीकरण, कल्याण, समावेशन एवं सामाजिक क्षेत्र से संबंधित इन सुधारों ने एक मजबूत बुनियाद रखी है और ‘वृद्धि इसका स्वाभाविक सह-उत्पाद है। उन्होंने कहा, ‘‘भारत की त्वरित एवं सतत प्रगति ने दुनियाभर का ध्यान आकृष्ट किया है और कई देश हमारी वृद्धि गाथा को बेहद करीब से देखते रहे हैं।’’
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘ये देश इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि हमारी प्रगति कोई ‘दुर्घटना’ न होकर ‘सुधार, प्रदर्शन एवं बदलाव’ की एक स्पष्ट और कार्य-उन्मुख रूपरेखा का परिणाम है।’’
उन्होंने कहा, ‘‘लंबे समय तक भारत को एक अरब से अधिक भूखे पेट का देश माना जाता था, लेकिन अब भारत को एक अरब से अधिक आकांक्षावान मस्तिष्क, दो अरब से अधिक कुशल हाथों और करोड़ों युवा लोगों का देश माना जाता है।’’
उन्होंने कहा कि 100 से अधिक यूनिकॉर्न की मौजूदगी वाला भारत स्टार्टअप कंपनियों का तीसरा बड़ा गढ़ है और अंतरिक्ष के क्षेत्र में इसकी उपलब्धियों का जश्न आज पूरी दुनिया में मनाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि भारत दुनिया की लगभग सभी खेल स्पर्द्धाओं में पुराने रिकॉर्ड तोड़ रहा है और हर साल अधिक संख्या में विश्वविद्यालय दुनिया के अग्रणी शिक्षण संस्थानों में शामिल हो रहे हैं।
यूनिकॉर्न से आशय एक अरब डॉलर से अधिक मूल्यांकन वाले स्टार्टअप से है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘‘इस रफ्तार को देखकर मुझे यकीन है कि हम निकट भविष्य में दुनिया की शीर्ष तीन अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो जाएंगे। मुझे भरोसा है कि 2047 तक हमारा देश विकसित देशों में से एक होगा।’’
उन्होंने कहा कि एक विकसित देश के रूप में भारतीय अर्थव्यवस्था अधिक समावेशी एवं नवाचारी होगी, गरीब लोग निर्धनता के खिलाफ लड़ाई में जीत हासिल करेंगे और देश के स्वास्थ्य, शिक्षा एवं सामाजिक क्षेत्र दुनियाभर में बेहतरीन होंगे।
मोदी ने कहा, ‘‘हमारे देश में भ्रष्टाचार, जातिवाद एवं सांप्रदायिकता का कोई स्थान नहीं होगा। हमारे लोगों के जीवन की गुणवत्ता दुनिया के अग्रणी देशों के मुकाबले की होगी। सबसे बढ़कर, हम प्रकृति और संस्कृति दोनों का ध्यान रखते हुए यह मुकाम हासिल करेंगे।’’
ईवाई का अनुमान है कि भारत का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वर्ष 2028 तक जापान एवं जर्मनी दोनों को पीछे छोड़ते हुए पांच लाख करोड़ डॉलर पर पहुंच जाएगा। हालांकि, उस समय भी अमेरिकी अर्थव्यवस्था का आकार भारत से छह गुना बड़ा होगा।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘जी20 की हमारी अध्यक्षता के दौरान वित्त मंत्रियों एवं केंद्रीय बैंकों के गवर्नरों के साथ बैठक में इस पर जोर दिया गया कि केंद्रीय बैंकों द्वारा अपने नीतिगत रुख के बारे में समय पर एवं स्पष्ट सूचना देना महत्वपूर्ण है। इससे यह सुनिश्चित किया जा सकता है कि मुद्रास्फीति कम करने के लिए हर देश में उठाए जाने वाले नीतिगत कदम दूसरे देशों पर नकारात्मक दुष्प्रभाव न डालें।’’
आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) कर प्रतिस्पर्धा को सीमित कर और कंपनियों के कर भुगतान की जगह को बदलकर कर नियोजन एवं वंचना के लिए प्रोत्साहन घटाने के प्रस्तावों को लक्षित कर रहा है। ओईसीडी का यह प्रस्ताव उन कंपनियों के मुनाफे पर कर लगाने के देश के अधिकार का विस्तार करता है, जो देश में बिक्री करती हैं, लेकिन वे वहां पर भौतिक रूप से मौजूद नहीं हैं।
मोदी ने कहा, ‘‘यह सम्मेलन देशों और न्यायिक क्षेत्रों को अंतरराष्ट्रीय कर प्रणाली के ऐतिहासिक, प्रमुख सुधार के साथ आगे बढ़ने की अनुमति देगा। आप देख सकते हैं कि कई मुद्दों पर पर्याप्त प्रगति हुई है। यह उस विश्वास का भी परिणाम है जो अन्य भागीदार देशों ने भारत की अध्यक्षता में दिखाया है।’’
मॉर्गन स्टेनली ने अपनी एक हालिया रिपोर्ट में मोदी सरकार के नौ वर्षों को बदलाव वाला बताया है। इसके अलावा कॉरपोरेट कर को अन्य देशों के बराबर लाने, बुनियादी ढांचे में निवेश की गति बढ़ने, माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के बढ़ते संग्रह और जीडीपी में डिजिटल लेनदेन की बढ़ती हिस्सेदारी को प्रमुख पहल बताया।