प्रवर्तन निदेशालय ने धन शोधन के एक मामले में भारतीय प्रशासनिक सेवा की अधिकारी रानू साहू को शनिवार को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया, जिसने उसे तीन दिन के लिए केन्द्रीय एजेंसी की हिरासत में भेज दिया।
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिवक्ता सौरभ पांडेय ने बताया कि एजेंसी ने आज साहू को गिरफ्तार कर अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अजय सिंह राजपूत की अदालत में पेश किया। अदालत ने आईएएस अधिकारी को तीन दिन के लिए केन्द्रीय एजेंसी की हिरासत में भेज दिया।
पांडेय ने बताया, कोयल लेवी से जुड़ धन शोधन के मामले की जांच ईडी कर रही है। जांच में कोरबा और रायगढ़ जिले की कलेक्टर रह चुकीं साहू की संलिप्तता सामने आने के बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया है। साहू की 5.5 करोड़ रुपए की संपत्ति कुर्क की गई है।
उन्होंने बताया कि मामले की जांच जारी है।
उन्होंने कहा कि साहू से पूछताछ करने के लिए उसकी 14 दिनों की हिरासत मांगी गई थी, जिसपर अदालत ने 25 जुलाई तक तीन दिनों की हिरासत मंजूर की है।
इससे पहले साहू के अधिवक्ता फैजल रिजवी ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, साहू को 22 अक्टूबर से 23 जनवरी के बीच जब-जब बुलाया गया है उन्होंने जांच में पूरा सहयोग किया है। साहू की गिरफ्तारी फर्जी आधार पर की गई है। कोई भी ऐसा तथ्य नहीं है जो साबित करता हो कि साहू इसमें शामिल हैं। जो संपत्ति कुर्क की गई है वह उनके माता-पिता की है और वह 2019 से पहले की अर्जित है। जबकि ईडी ने जिस अपराध की बात कही है वह 2020 की है।’’
रिजवी ने बताया कि साहू ने अदालत में पेश होने के बाद कहा, ‘‘मेरी भी सुनी जाए। मुझे जितना बताना था बता दिया है। अब इनके पास पूछने के लिए कुछ भी नहीं बचा है।
अदालत से प्रार्थना है कि मुझे ईडी की हिरासत में ना भेजा जाए।’’
साहू के अधिवक्ता ने कहा, ‘‘ईडी ने वाट्सअप चैट के संबंध में जानकारी दी है। जबकि अधिकारी का मोबाइल जब्त नहीं किया गया है।’’ उन्होंने सवाल किया, क्या ईडी को अधिकार है कि वह किसी का भी व्हाट्सएप चैट निकाल सकती है और क्या उन्होंने इसके लिए अदालत से अनुमति ली थी?
छत्तीसगढ़-कैडर की 2010 बैच की आईएएस अधिकारी साहू वर्तमान में राज्य के कृषि विभाग में निदेशक के रूप में तैनात हैं। इस पोस्टिंग से पहले उन्होंने कोयला समृद्ध कोरबा और रायगढ़ जिलों में कलेक्टर के रूप में कार्य किया था।
ईडी के सूत्रों के मुताबिक, शुक्रवार को उनके रायपुर स्थित आवास पर छापेमारी की थी। कथित कोयला लेवी मामले की जांच के तहत ईडी ने पहले भी उन पर छापा मारा था और उनकी संपत्ति जब्त की थी।
आयकर विभाग की एक शिकायत का संज्ञान लेने के बाद ईडी ने धन शोधन की जांच शुरू की थी।