गोरखपुर। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने रविवार को कहा कि भारतीय सभ्यता और संस्कृति प्राचीन काल से ही लोकतांत्रिक मूल्यों से परिपूर्ण रही है। योगी ने रविवार को गोरक्षापीठ के ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथ जी महाराज की 55वीं और ब्रह्मलीन महंत अवैद्यनाथ जी महाराज की 10वीं पुण्यतिथि के उपलक्ष्य में समसामयिक विषयों के सम्मेलनों की श्रृंखला के पहले दिन ‘लोकतंत्र की जननी है भारत’ विषयक सम्मेलन में अपने अध्यक्षीय संबोधन में यह बात कही। उन्होंने कहा, ‘दुनिया में जब सभ्यता, संस्कृति और मानवीय मूल्यों के प्रति आग्रह नहीं था तब भारत में सभ्यता, संस्कृति और मानवीय जीवन मूल्य चरम पर थे।’
एक आधिकारिक बयान के अनुसार योगी ने कहा, ‘भारतीय सभ्यता और संस्कृति प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक लोकतांत्रिक मूल्यों से परिपूर्ण रही है। इसका उद्देश्य किसी का हरण करना या किसी पर जबरन शासन करना नहीं था बल्कि इसकी भावना ‘सर्वे भवंतु सुखिनः’ की रही है।’ उन्होंने कहा, ‘इसका नया स्वरूप आज प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘सबका साथ सबका विकास’ के संकल्प में दिखता है। योगी ने कहा, हमारी ऋषि परंपरा जीयो और जीने दो की रही है क्योंकि यही सच्चा लोकतंत्र है और इस मूल्यपरक लोकतंत्र को किसी और ने नहीं बल्कि भारत ने दिया है।’
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मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सम्मेलन के मुख्य अतिथि राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह का अभिनंदन करते हुए कहा कि लोकतंत्र के बारे में वैदिक कालखंड से लेकर रामायणकालीन और महाभारत कालीन अनेक उदाहरण देखने को मिलते हैं। मुख्यमंत्री ने कहा, ‘यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि देश में कुछ लोगों पर गुलामी की मानसिकता आज भी हावी है, जबकि भारत में लोकतंत्र की जड़ें प्राचीन समय से ही गहरी रही हैं।’
उन्होंने कहा, ‘हमारा लोकतंत्र तभी तक सुरक्षित है जब तक हमारा संविधान सुरक्षित है। संविधान को पवित्र भावना से जाति, मत, मजहब, क्षेत्र से ऊपर उठकर इसे सुरक्षित-संरक्षित रखने का दायित्व सभी लोगों को उठाना होगा।’ मुख्यमंत्री ने कहा, ‘हम संविधान को सर्वोच्च सम्मान देते हुए आगे बढ़ेंगे तो हमारा लोकतंत्र और मजबूत-पुष्ट होगा।’
सम्मेलन के मुख्य अतिथि राज्यसभा के उपसभापति हरिवंश नारायण सिंह ने कहा कि लोकतंत्र के संस्कार पांच हजार वर्ष पुराने भारतीय मूल्यों से गढ़े गए हैं। सही मायने में भारतीय मूल्यों और संस्कारों से ही लोकतंत्र चल रहा है। सिंह ने कहा कि खुलकर अपनी बात रखना ही लोकतंत्र का यथार्थ है और यह मूल्य भारत की हजारों वर्षों की परंपरा में निहित रहा है।
राज्यसभा के उप सभापति ने कहा, ‘भारतीय लोकतंत्र में जनता को हर प्रकार की आजादी के साथ खामी को भी ठीक करने की गुंजाइश है।’ उन्होंने कहा, ‘अंग्रेजी मूल्यों से प्रभावित लोगों ने ही भारतीय लोकतंत्र को आयातित समझने की भूल की है। इस भूल का कारण यह रहा कि भारतीय लोकतंत्र को यूनान की नजर से देखने की आदत डाली गई।’
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उन्होंने कहा, ‘भारत को आजादी मिलने के बाद कई विदेशी विद्वानों ने कहा था कि भारत में लोकतंत्र टिकेगा नहीं और आज उसका जवाब यह है कि अगले साल हम संविधान लागू होने का अमृत वर्ष मनाने जा रहे हैं।’ हरिवंश ने कहा, ‘आज भारत अपने को लोकतंत्र की जननी के वास्तविक नजरिये से दुनिया के सामने पेश कर रहा है। पहले इस विषय पर चर्चा नहीं होती थी। आज भारत ने जी-20 सम्मेलन के माध्यम से इस पर बात की।’