भारतीय विज्ञान कांग्रेस एसोसिएशन (आईएससीए) ने विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) द्वारा उसके खिलाफ लगाए गए वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों को खारिज कर दिया है। डीएसटी ने अगले साल आयोजित होने वाली भारतीय विज्ञान कांग्रेस से खुद को अलग कर लिया है।
डीएसटी सचिव को लिखे पत्र में, आईएससीए के महासचिव अरविंद कुमार सक्सेना ने यह भी कहा कि 110 साल पुरानी संस्था को वैज्ञानिकों की वार्षिक सभा का स्थान तय करने के लिए सरकार से मंजूरी लेने की आवश्यकता नहीं है।
उन्होंने दावा किया कि डीएसटी वार्षिक भारतीय विज्ञान कांग्रेस कार्यक्रम के आयोजन स्थल को लेकर उससे अनुमति लेने पर जोर देकर आईएससीए के प्रति स्वायत्तता कम करने वाला रवैया अपना रहा है।
सक्सेना का यह पत्र पिछले महीने डीएसटी द्वारा जारी एक नोटिस के जवाब में आया है, जिसमें उसने अगले साल जनवरी में होने वाले भारतीय विज्ञान कांग्रेस से खुद को अलग कर लिया था। डीएसटी ने उसमें वित्तीय अनियमितताओं और वार्षिक कार्यक्रम के स्थल को एकतरफा रूप से लखनऊ विश्वविद्यालय से लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी, जालंधर में स्थानांतरित करने का आरोप लगाया है।
सक्सेना ने कहा कि आईएससीए को डीएसटी द्वारा उसकी स्वायत्तता खत्म करने को लेकर कलकत्ता उच्च न्यायालय में दायर एक मामले के कारण दबाव का सामना करना पड़ रहा है।
सक्सेना ने डीएसटी नोटिस में उल्लिखित आईएससीए में वित्तीय अनियमितताओं के आरोपों को बिल्कुल गलत और निराधार बताया। उन्होंने कहा कि ऑडिट टीम और डीएसटी ने इस साल आईएससीए के खातों का चार बार ऑडिट किया है और कोई वित्तीय अनियमितता नहीं मिली है।
सक्सेना ने डीएसटी से विज्ञान प्रसार के हित में और आईएससीए और डीएसटी के बीच एक स्वस्थ कार्यात्मक संबंध बनाए रखने के लिए नोटिस वापस लेने का आग्रह किया।