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तिकोना आकार, 6 प्रवेश द्वार, सभ्यतागत लोकाचार, सूर्य मंदिर से कौटिल्य तक… नई संसद की वो जानकारी जो कहीं और नहीं

अंग्रेजों के जमाने में बना भारत का संसद भवन अब सिर्फ इतिहास में रह जाएगा। मौजूदा संसद भवन के पास नए संसद भवन की वो तस्वीरें आ गई हैं, जिसका हर किसी को इंतजार था। ये तस्वीरें हर भारतीयों को गौरवान्वित करने के लिए काफी हैं। नए संसद के एंट्री गेट से लेकर ऊपर लगा विशाल अशोक स्तंभ तक सभी नजर आ रहा है। पुराने संसद के बगल में तिकोने आकार में शानदार नई संसद की बिल्डिंग नजर आ रही है। अंदर लोकसभा और राज्यसभा का विशाल सदन दिख रहा है। नई संसद का ये ट्रेलर खुद पीएम मोदी ने ट्विटर पर पोस्ट किया और लोगों से एक खास रिक्वेस्ट भी कर डाली। पीएम मोदी ने कहा कि नया संसद भवन हर भारतीयों को गर्व से भर देगा। नई संसद भवन की इमारत भारत के लोगों की सामूहिक आशाओं और लोकतांत्रिक चेतना का प्रतिनिधित्व करती है। भारत की स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में इसकी स्थापना हमारे सभ्यतागत लोकाचार में निहित मूल्यों के गहन जागरण का प्रतीक भी है। 

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संसद भवन का आकार तिकोना क्यों रखा गया?
इमारत का ट्रायंगुलर डिजाइन 2019 में शुरू की गई सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना का हिस्सा है। दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की उभरती जरूरतों के अनुरूप एक कॉम्पैक्ट प्रशासनिक क्षेत्र के साथ ब्रिटिश युग के औपनिवेशिक झलक को बदल दिया गया है। इसका ज्यामितीय विन्यास कई धर्मों और मान्यताओं के अनुसार पवित्र है। भारत की संस्कृति में त्रिभुज का अपना बेहद ही अनूठा महत्व है। इसका जिक्र वैदिक संस्कृत में भी मिलता है, जिसे त्रिकोण कहा जाता है। कई तरह के तांत्रिक अनुष्ठानों के दौरान भी त्रिकोण आकृति की बनाई जाती है। इसे पवित्र श्री यंत्र से भी प्रेरित बताया जा रहा है।
नई संसद में कौन-कौन से हैं वो छह प्रवेश द्वार 
सेंट्रल कोर्टयार्ड के साथ 65,000 वर्ग मीटर में फैले नए भवन में लोकसभा, राज्यसभा, संवैधानिक हॉल, लाउंज, सेवा क्षेत्र और अन्य कार्यालय हैं।इसकी आंतरिक दीवारों को तीन राष्ट्रीय चिह्नों कमल, मोर और बरगद के पेड़ के प्रमुख रूपांकनों से सजाया गया है। पूरी इमारत में कला के लगभग 5,000 काम हैं, जिनमें पेंटिंग, दीवार पैनल, पत्थर की मूर्तियां, धातु के चित्र शामिल हैं। द एशियन एज की रिपोर्ट के अनुसार नई संसद में छह प्रवेश द्वार हैं गजद्वार, अश्वद्वार, गरुड़द्वार, हंसद्वार, मकरद्वार और शार्दुलद्वार हैं और प्रत्येक को बलुआ पत्थर से बने संरक्षक मूर्तियों से सजाया गया है। 

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कोणार्क के सूर्य मंदिर से कौटिल्य तक
नए संसद भवन में महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सुभाष चंद्र बोस और देश के अन्य प्रधानमंत्रियों के चित्र होंगे। कोणार्क के सूर्य मंदिर के पहिये के एक मॉडल के साथ भवन में बहुश्रुत कौटिल्य का एक चित्र स्थापित किया गया है। सार्वजनिक प्रवेश द्वार तीन दीर्घाओं की ओर ले जाते हैं। संगीत दीर्घा  भारत की नृत्य, गायन और वाद्य परंपराओं की समृद्धि को प्रदर्शित करती है। प्रख्यात संगीतकारों या उनके परिवार के सदस्यों ने दीर्घा को अपने वाद्य यंत्र भेंट किए हैं। इनमें उस्ताद बिस्मिल्लाह खान, पंडित रविशंकर, उस्ताद अमजद अली खान, पंडित हरिप्रसाद चौरसिया, विद्वान एन. रमानी और पंडित शिव कुमार शर्मा शामिल हैं। शिल्पा गैलरी सभी भारतीय राज्यों के बहुमुखी और विशिष्ट हस्तशिल्प को प्रदर्शित करती है। 
75 महिला कलाकारों द्वारा बनाई गई पेंटिंग्स 
इन सबके अलावा “जन जननी-जन्मभूमि” थीम  पर आधारित एक पीपुल्स वॉल भी है, जिसमें लोक और जनजातीय परंपराओं और 75 महिला जमीनी कलाकारों द्वारा बनाई गई पेंटिंग्स को दर्शाया गया है। पार्लियामेंट आर्ट गैलरी के केंद्रीय विषयों में से एक इसका संवैधानिक खंड है जो भारत की अनूठी सभ्यता यात्रा को “लोकतंत्र की जननी” के रूप में प्रदर्शित करता है। संवैधानिक दीर्घा को इसके निचे में स्थापित फ्रेस्को कलाकृति से भी सजाया गया है। इसमें मुख्य रूप से नंदलाल बोस द्वारा बनाई गई पेंटिंग शामिल हैं। भवन की सभी कलाकृतियां जमीनी स्तर के कलाकारों द्वारा बनाई गई हैं। इस इमारत को बनाने में योगदान देने वाले लगभग 60,000 श्रमिकों के प्रयासों को  “हैंड्स दैट मेड इट हैपन” नामक एक डिजिटल फ्लिपबुक पर प्रमुखता से प्रदर्शित किया गया है। 

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इस संसद की एक महत्वपूर्ण विशेषता यह है कि यहां धार्मिकता और कानून के शासन के प्रतीक के रूप में एक “सेनगोल” स्थापित किया जाएगा। यह आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत होगा। निःसंदेह यह नया भवन हमारी संस्कृति का जीता जागता संग्राहलय साबित होगा और वह आधार होगा जिस पर एक अरब से अधिक लोगों की आकांक्षाओं की पूर्ति होगी।

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