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त्रिकूट पर्वत पर रोप-वे हादसे में सरकार को तथ्यपरक रिपोर्ट पेश करने के निर्देश

झारखंड उच्च न्यायालय ने देवघर के त्रिकूट पर्वत पर अप्रैल में हुए रोप-वे हादसे में तीन लोगों की मौत के मामले में मंगलवार को राज्य सरकार द्वारा पेश रिपोर्ट पर असंतोष जताते हुए उसे तीन सप्ताह के भीतर नयी तथ्यपरक रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि ताजा रिपोर्ट में रोप-वे का शाफ्ट टूटने के कारणों का स्पष्ट उल्लेख होना चाहिए।
झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डॉक्टर रविरंजन और न्यायमूर्ति सुजीत नारायण प्रसाद की खंडपीठ ने मंगलवार को देवघर के त्रिकूट पहाड़ी पर रोप-वे दुर्घटना पर स्वतः संज्ञान से दर्ज मामले की सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिये।

इससे पहले मामले में सुनवाई के दौरान अदालत ने सरकार की ओर से दाखिल रिपोर्ट पर भारी नाराजगी जतायी। अदालत ने सरकार को रोप-वे के शाफ्ट की गुणवत्ता पर जांच रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिये क्योंकि शाफ्ट टूटने के कारण ही यह हादसा हुआ था।
मामले की जांच में पता चला था कि शाफ्ट बनाने में तकनीकी में समस्या थी। इससे पहले धनबाद स्थित सेंट्रल इंस्टीट्यूट ऑफ माइनिंग एंड फ्यूल रिसर्च (सिंफर) ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि रोप-वे के तार में कोई दिक्कत नहीं थी। अदालत ने सिंफर की रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया था।

इस रिपोर्ट को दुर्गापुर स्थित एक अन्य संस्थान ने भी सही बताया था। अदालत ने सरकार से बीआइटी मेसरा की 2009 की वह जांच रिपोर्ट को भी पेश करने को कहा है जिसमें कहा गया था कि रोप-वे में कंपन (वाइब्रेशन) था।
अदालत ने जानना चाहा कि बीआइटी की उक्त रिपोर्ट पर सरकार की ओर से क्या कदम उठाया गया था क्योंकि रोपवे में लगे सभी कलपुर्जों की गुणवत्ता की जांच की जाती है।
इस साल 10 अप्रैल को रोप-वे टूट जाने के कारण तीन लोगों की मौत हो गई थी। मीडिया में आयी खबरों पर उच्च न्यायालय ने स्वतः संज्ञान लेकर सुनवाई प्रारंभ की थी।
मामले में अगली सुनवाई के लिए 14 जनवरी की तिथि निर्धारित की गयी है।

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