दिल्ली उच्च न्यायालय ने अरविंद केजरीवाल को मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग करने वाली एक और याचिका खारिज कर दी और इस संबंध में बार-बार मुकदमेबाजी पर नाराजगी व्यक्त की। अदालत ने कहा कि यह जेम्स बॉन्ड फिल्म नहीं है जिसके सीक्वल होंगे। आम आदमी पार्टी (आप) के पूर्व विधायक संदीप कुमार द्वारा दायर याचिका में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा उत्पाद शुल्क नीति मामले में गिरफ्तारी के बाद केजरीवाल को दिल्ली के मुख्यमंत्री पद से हटाने की मांग की गई है। अदालत ने कहा कि यह जेम्स बॉन्ड फिल्म की तरह नहीं है जहां हम सीक्वल बनाएंगे। (उपराज्यपाल इस पर फैसला लेंगे)। आप हमें राजनीतिक जाल में फंसाने की कोशिश कर रहे हैं।
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कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन और न्यायमूर्ति मनमीत पीएस अरोड़ा की अध्यक्षता वाली पीठ ने अदालत को राजनीतिक जाल में शामिल करने के प्रयास के लिए याचिकाकर्ता को फटकार लगाई और चेतावनी दी कि सिस्टम का मजाक बनाने के लिए उस पर 50,000 रुपये का जुर्माना लगाया जाएगा। पीठ ने कहा कि इन जैसे लोगों के कारण ही अदालतें मजाक बनकर रह गई हैं। आप व्यवस्था का मजाक बनाने की कोशिश कर रहे हैं और हमें राजनीतिक जाल में फंसाने की कोशिश कर रहे हैं। हम इसमें शामिल नहीं होंगे।
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अदालत ने संदीप कुमार के वकील से पूछा क्या आपने किसी अदालत को राज्यपाल शासन या राष्ट्रपति शासन लगाते देखा है? क्या सुप्रीम कोर्ट या हाई कोर्ट ने किसी मुख्यमंत्री को हटाया है? याचिकाकर्ता संदीप कुमार ने दावा किया कि अरविंद केजरीवाल की अनुपलब्धता ने संवैधानिक तंत्र को जटिल बना दिया है और वह संविधान के अनुसार कभी भी जेल से सरकार नहीं चला सकते। कोर्ट ने साफ किया कि दिल्ली के राज्यपाल इस मामले पर फैसला ले सकते हैं।